- सात अप्रैल को राजधानी के सभी प्राइवेट और मिशनरी स्कूल बंद

- एसोसिएशन ने कहा आरटीई में

मानकों से हटकर होते है बच्चों के आवंटन

- आरटीई में केवल छह से 14 वर्ष के बच्चों को एडमिशन देने का प्रावधान

LUCKNOW: राजधानी के 65 प्राइवेट और मिशनरी स्कूल 7 अप्रैल को बंद रहेंगे। यह स्कूल निजी स्कूलों पर बढ़ते सरकारी नियंत्रण, राइट टू एजुकेशन को गलत तरीके से लागू करने और स्कूल कर्मियों की सुरक्षा के मुद्दे पर विरोध के तौर पर बंद किये जा रहे हैं। दिल्ली के रामलीला मैदान में अन्य स्कूली संगठनों की ओर से इसी दिन प्रदर्शन किया जाएगा। इसी के समर्थन में शहर की अनएडेड प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन की ओर से थर्सडे को यह घोषणा की गई है। इस फैसले को यूपी सरकार की ओर से प्राइवेट स्कूलों पर लगाई जा रही लगाम से जोड़कर देखा जा रहा है। हालांकि एसोसिएशन का कहना है कि इसका फीस विधेयक से कोई ताल्लुक नहीं है बल्कि यह देशव्यापी आंदोलन है। जिसमें दूसरे राज्यों के स्कूल संगठन भी शामिल हैं।

हर घटना में स्कूल को बनाया जाता है आरोपी

अनएडेड प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल अग्रवाल ने कहा कि कोई घटना होती है तो सीधे तौर पर स्कूल को आरोपी बना दिया जाता है। जबकि स्कूल संचालक व वहां काम करने वाले शिक्षक व कर्मी भी आम इंसान हैं। ऐसे में उनके भी कुछ अधिकार हैं इसलिए सरकार उनकी भी सुरक्षा के लिए भी गाइडलाइन बनाए। ताकि कोई भी घटना होने पर वह भी सुरक्षित रह सकें। संगठन के सेक्रेटरी लोकेश सिंह ने कहा कि स्कूल सरकार के खिलाफ नहीं है, बस उन्हें स्वयत्ता चाहिए। वहीं ट्रेजरार सर्वेश कुमार गोयल ने कहा कि कोई भी घटना होने पर पब्लिक के दबाव में स्कूल पर एफआईआर हो जाती है। बाद में उस पर आरोप तक नहीं साबित होते। इससे स्कूलों में भय की स्थिति है।

गलत तरीके से आवंटित होते है आरटीई में 80 प्रतिशत स्टूडेंट्स

एसोसिएशन की सदस्य गीता गांधी ने बताया कि राइट टू एजुकेशन के तहत स्कूलों में भेजे जा रहे 80 प्रतिशत से अधिक बच्चे इसके पात्र नहीं हैं। एक्ट में लिखा है कि 6 से 14 साल की आयु के बच्चों को एडमिशन दिया जाए जबकि प्रदेश सरकार इससे कम आयु के बच्चों को भेजती है। इसका एक्ट में कोई जिक्र नहीं है। साथ ही भुगतान के रूप में 450 रुपए दिये जाते हैं, इसका भी एक्ट में कोई उल्लेख नहीं है। सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों पर सरकार कितना खर्च करती है वह इसका ऑडिट नहीं कराती। नियम के तहत स्कूल की फीस और सरकारी खर्च में जो कम है वह दिया जाना चाहिए। हम आरटीई का विरोध नहीं कर रहें, बस अपात्र बच्चों का विरोध कर रहे हैं। सरकार एक्ट में संशोधन करा दे तो हमें सब स्वीकार है।

मनमानी पर एसोसिएशन कसेगी शिकंजा

अनिल अग्रवाल ने कहा कि निजी स्कूलों की मनमानी पर एसोसिएशन शिकंजा कसेगी। बुक लिस्ट को नोटिस बोर्ड पर लगाया जाएगा और अभिभावकों को स्वतंत्रता दी जाएगी कि वह कहीं से भी किताबें खरीदें। जो इसका उल्लंघन करेंगे उन पर एसोसिएशन कार्रवाई भी करेगी। इसके अलावा अगर किसी स्कूल में कोई घटना होती है तो एसोसिएशन अपने लेवल पर भी उसकी जांच करेगी। साथ ही उन्होंने यह साफ किया कि एसोसिएशन फीस अध्यादेश के खिलाफ नहीं है। वह सरकार के आदेश का पूरी तरह से पालन करने को तैयार हैं।