शहर मेंं बिजली विभाग को प्राइवेट करने की घोषणा हो चुकी है। सरकार इस बहाने अपना कर्जा उतारने की फिराक में है और लोगों को सुविधा देने की दुहाई देने की बात कर रही है। शहर में बिजली निजीकरण की हवा एक बार फिर तेज हो गई है। बिजली विभाग की दिक्कतों से परेशान कंज्यूमर निजीकरण का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं तो विभाग के कर्मचारियों ने बार फिर इसके खिलाफ आवाज उठाने का मन बनाया है। आखिर क्या होगा, अगर मेरठ में बिजली का निजीकरण हो जाए? पेश है एक रिपोर्ट।

एक नजर फायदे पर खत्म होगी परेशानी

बिजली का निजीकरण बहुत जरूरी हो गया है। आखिरकार इस निजीकरण से कंज्यूमरों की परेशानी काफी हद तक खत्म हो जाएगी। बात महकमे के लापरवाही की हो या फिर रिश्वत की,  ये परेशानी निजीकरण से खत्म हो ही जाएगी।

दलाली होगी खत्म

सब जानते हैं कि एक छोटा सा काम कराने के लिए भी बिजली विभाग में दलाली चलती है। ऐसे में दलाल उनका काम कराने के लिए पैसा ऐंठते हैं। हालत ये है कि दलालों ने बिजली विभाग में ही अपना डेरा जमा लिया है।

रिश्वतखोरी पर लगाम

रिश्वत खोरी भी बिजली विभाग में एक बड़ी समस्या बन गयी है। एक छोटे से काम कराने के लिए इस विभाग में रिश्वत चलती है। इस रिश्वत खोरी से ही कंज्यूमर बेहद परेशान रहते हैं। निजीकरण होगा तो रिश्वतखोरी पर भी लगाम लग जाएगी।

बेवजह की कटौती खत्म

बिजली का निजीकरण होगा, तो निजी कंपनी आवश्यक बिजली खुद ही खरीदेगी, नतीजा यह होगा कि सिटी में हो रही बिजली की कमी को पूरा किया जा सकेगा। इससे बेवजह होने वाली कटौती भी खत्म हो जाएगी और लोगों को चैन की नींद आएगी।

लापरवाही का होगा खत्म

अक्सर देखा जाता है कि बिजली विभाग में कोई भी काम पूरा कराने के लिए कई दिन लग जाते हैं। बिजली का तार भी टूट जाता है तो उसे ठीक करने में पूरा दिन लग जाता है। निजीकरण होने से इन समस्याओं से लोगों को मुक्ति मिलेगी।

बिलों की गड़बड़ी खत्म

विभाग में कंज्यूमरों के बिल में अक्सर गड़बड़ी होती है लोग परेशान हो जाते हैं। चक्कर काटने के बावजूद  भी बिल सही होने में काफी समय लग जाता है। बिलों में होने वाली गड़बडिय़ां निजीकरण के बाद खत्म हो जाएंगी। ऐसा उम्मीद की जा सकती है।

एक नजर नुकसान पर भी

कंपनियों की दादागीरी

बात फायदे की है तो आपको बता दें कि बिजली निजीकरण से नुकसान भी हो सकता है। बिजली निजी हाथों में जाने के बाद दबाव बनाना मुश्किल हो सकता है। प्राइवेट कंपनियों की दादागिरी से भी लोग दो चार हो सकते हैं।

बिजली दर बढ़ेंगी?

साफ है बिजली निजी हाथों में जाएगी, तो वो अपना नुकसान पूरा करने के लिए अपने मन मुताबिक बिजली दरें तय करेगी। ऐसे में अगर बिजली चोरी नहीं रुकती है तो बिजली की दरें बढ़ाई जाएगीं। बिजली दरें बढऩे का असर सहीसमय पर बिल जमा करने वाले कंज्यूमरों पर भी पड़ेगा।

 कर्मचारियों की कमी

अगर निजीकरण होगा तो निजी कंपनी अपने एम्पलॉइज पर ही भरोसा करना ठीक समझेगी। ऐसे में हो सकता है कि शुरूआत में कर्मियों की कमी देखी जाए और लोगों के सामने दिक्कतों का अंबार लग जाए।

चोरी कैसे रुकेगी

बिजली चोरी सिटी की सबसे बड़ी समस्या है। सिटी के जिन एरियों में बिजली चोरी होती है वहां बिजली विभाग कार्यवाही करने से भी डरता है। ऐसे में अगर निजीकरण होगा तो क्या गारंटी है कि बिजली की चोरी रुक जाएगी। अगर बिजली की चोरी नहीं रुकी तो स्थिति सुधर ही नहीं पाएगी।

'बिजली निजीकरण सफल नहीं हो सकता। सरकार ने आगरा और नोएडा में भी ये फैसला लिया था लेकिन आज वहां की पब्लिक परेशान है। कंपनी अपने मुताबिक कंज्यूमरों पर रेट थोप रही हैं। निजीकरण नहीं होने दिया जाएगा। कर्मचारी एक बार फिर आंदोलन को तैयार हैं.'

-दिलमणि, सदस्य कर्मचारी संघ

'बिजली निजीकरण प्रदेश सरकार का फैसला है। इससे फायदा होगा तभी सरकार इस बारे में सोच रही है। हमारा काम न अब कम है न ही तब होगा.'

-पीके गोयल, एसई अर्बन