फ्लैग: नगर निगम और वीडीए ने अपना-अपना खम्भा मानने से किया इनकार

- 8 अप्रैल को सेटेलाइट पर हुआ था हादसा, युवती के सिर पर गिरा था खम्भा

- सीएम पोर्टल पर दो महीने बाद 'सरकार' को बनाया बेवकूफ, पेंडिंग शिकायत को बता दिया निस्तारित

BAREILLY:

होनहार युवती प्रियंका वर्मा की मौत को सिस्टम ने मजाक बना दिया। सेटेलाइट पर स्ट्रीट लाइट का पोल सिर पर गिरने से हुई प्रियंका की मौत मामले में दोषी कौन है, दो माह से यह तय नहीं हो पा रहा है। सीएम पोर्टल पर मुआवजे को लेकर हुई शिकायत में नगर निगम और बीडीए स्ट्रीट लाइट अपनी मानने के लिए तैयार नहीं हैं। सीएम पोर्टल पर 'सरकार' को बेवकूफ बनाते हुए दोनों विभाग के अधिकारियों ने यह कहकर शिकायत का निस्तारण कर दिया कि पोल उनका नहीं है। ऐसे में बड़ा सवाल है कि आखिर शहर में लगी स्ट्रीट लाइटें किसकी हैं।

फिलहाल, शिकायतकर्ता प्रोफेसर डॉ। प्रमोद कुमार ने दोनों विभागों के अधिकारियों की कारस्तानी की शिकायत दोबारा सीएम पोर्टल पर की है।

जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं

नगर निगम का कहना है कि सेटेलाइट पर स्ट्रीट लाइट का पोल बीडीए ने लगाया है, तो जिम्मेदारी भी उसकी ही बनती है। जबकि, बीडीए ने यह कहते हुए जिम्मेदारी लेने से मना कर दिया कि 3 वर्ष पहले उन्होंने पोल लगाए थे। उसे नगर निगम को हैंडओवर कर दिया गया था। आखिर, यह जिम्मेदारी कौन तय करेगा कि पोल किसका है और दोषी कौन हैं। दोनों ही विभाग के अधिकारियों ने सीएम पोर्टल का मजाक बना कर रख दिया है। शासन के सख्त निर्देश के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हो सकी है।

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग भी चुप

दोषियों पर कार्रवाई नहीं होने पर प्रियंका के पिता विजय बहादुर वर्मा ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग से शिकायत की थी। दोषी विभाग के खिलाफ कार्रवाई करते हुए बेटी को न्याय दिलाने की गुहार लगाई थी। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने भी कोई ठोस कदम हीं उठाया। प्रियंका के पिता विजय बहादुर ने बताया कि डेढ़ महीने पहले आयोग से शिकायत की थी, लेकिन अभी तक कुछ नहीं हुआ।

समीक्षा अधिकारी का एग्जाम देने आई थी प्रियंका

टिहरी जिले के भिलंगना ब्लॉक के राजकीय इंटर कॉलेज कुमशिला में कार्यरत विजय बहादुर वर्मा की बेटी प्रियंका अपने पिता के साथ समीक्षा अधिकारी का एग्जाम देने के लिए 8 अप्रैल को बरेली आई हुई थी, जिसका सेंटर पीलीभीत रोड आलमनगर सूर्या इंटर कॉलेज में पड़ा था। सेटेलाइट पर सुबह 7 बजे वह साधन का इंतजार कर रहे थे। तभी सीयूजीएल के एक टैंकर ड्राइवर ने गाड़ी बैक करते हुए स्ट्रीट लाइन को टक्कर मार दी। जिससे जर्जर पोल टूट कर प्रियंका के ऊपर गिर गया था। जिससे प्रियंका सिर में गंभीर चोटें आई थी और उसके बाये हाथ पैर की हड्डी टूट गई थी। इलाज के लिए सिद्ध विनायक हॉस्पिटल में एडमिट कराया गया था। स्वास्थ्य में सुधार नहीं होने पर 12 अप्रैल को लखनऊ केजीएमसी रेफर कर दिया गया, जहां इलाज के दौरान 13 अप्रैल को प्रियंका की मौत हो गई थी। प्रियंका राजकीय इंटर कॉलेज कठूड़ हिंदाव में गेस्ट टीचर थी।

अब भी कर रहे हादसे का इंतजार

प्रियंका वर्मा की मौत के बाद भी जिम्मेदार नहीं चेत रहे हैं। शहर में अब भी कई जगहों पर मौत का खम्भा लटक रहा है। पोल के बेस एकदम गल चुके हैं। वहीं कई जगह पर तिरछे हो चुके हैं, लेकिन नगर निगम उसे रिप्लेस करने की जहमत नहीं उठा रहा है। यह पोल प्रियंका की तरह किसी और की भी जान ले सकते हैं।

अयूब खां चौराहा से चौपुला चौराहा के बीच डिवाइडर पर लगे स्ट्रीट लाइट के पोल लटके पड़े हैं। जरा सी हवा चलने या गाड़ी का धक्का लगने पर पोल किसी भी वक्त राहगीरों के ऊपर गिर सकता है। प्रेम नगर, कलेक्ट्रेट, सिविल लाइंस आदि जगहों पर भी जर्जर पोल हैं। कोर्ट के पास बेस से गल चुके पोल की शिकायत वकीलों ने बिजली विभाग से भी की है। लेकिन उसने पोल को बदलने की जगह एक पतले तार से पोल का ऊपर सिरा पास के ही एक पेड़ से बांध दिया है।

एक नजर शिकायतों पर

- 8 अप्रैल को प्रियंका के पिता विजय बहादुर वर्मा ने बारादरी थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी।

- 15 अप्रैल को सामाजिक संस्था जागर के सचिव एवं बीसीबी में लॉ के प्रोफेसर डॉ। प्रदीप कुमार ने सीएम पोर्टल पर घटना की शिकायत की।

- 15 अप्रैल को ही शासन ने डीएम को मामले की जांच कर 30 अप्रैल तक रिपोर्ट सौंपने को कहा।

- डीएम ने बिजली विभाग सेकंड डिवीजन के एक्सईएन को आवश्यक कार्रवाई करने के आदेश दिए।

- 17 अप्रैल को बिजली विभाग ने बताया कि जिस पोल से घटना हुई है, वह नगर निगम का है। जिसके बाद डीएम ने नगर निगम को आवश्यक कार्रवाई करने के निर्देश दिए।

- 1 मई को नगर निगम ने अपना बीडीए के ऊपर पल्ला झाड़ दिया। कहना था कि बीडीए ने पोल लगाया है।

- 1 मई को ही डीएम ने बीडीए को शिकायत का निस्तारण करने को कहा।

- 8 मई को बीडीए ने अपनी रिपोर्ट सौंपी कि पोल के अनुरक्षण एवं संचालन का कार्य नगर निगम का है। बीडीए द्वारा इस संबंध में कोई कार्रवाई नहीं की जानी है।

- 8 मई तक नगर निगम और बीडीए ने दोनों अपने-अपने ढंग से शिकायत का निस्तारण कर देने की रिपोर्ट बना दी।

- 8 जून को शिकायतकर्ता प्रोफेसर डॉ। प्रमोद कुमार ने दोबारा फीडबैक दिया कि शिकायत का निस्तारण नहीं किया गया है।

एक नजर घटना क्रम पर

- 8 अप्रैल 2018 को प्रियंका वर्मा के सिर पर सेटेलाइट के पास गिरा स्ट्रीट लाइट का पोल।

- सिर में गंभीर चोट लगने के कारण 8 अप्रैल को ही प्रियंका को इलाज के लिए सिद्ध विनायक में एडमिट कराया गया।

- 4 दिन बाद भी प्रियंका के स्वास्थ्य में कोई सुधार नहीं हुआ, तो डॉक्टर ने रेफर कर दिया।

- 12 अप्रैल को प्रियंका को इलाज के लिए लखनऊ केजीएमसी ले जाया गया।

- 13 अप्रैल दोपहर 2.30 बजे प्रियंका ने अंतिम सांस ली।

- 14 अप्रैल को बलिया पैतृक गांव में अंतिम संस्कार किया गया।

पोल को बीडीए ने लगाया था। नगर निगम को हैंडओवर नहीं है। लिहाजा, कोई हादसा या खराबी आती है, तो बीडीए की ही जिम्मेदारी बनती है।

राजेश श्रीवास्तव, नगर आयुक्त

भले ही पोल लगाने का काम बीडीए ने किया है, लेकिन उसके अनुरक्षण एवं संचालन की जिम्मेदारी नगर निगम की है। ऐसे में, हादसे के लिए बीडीए जिम्मेदार नहीं है।

सुरेंद्र कुमार, सचिव, बीडीए