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LUCKNOW: सपा-बसपा गठबंधन द्वारा किनारे किये जाने के बाद राहुल गांधी ने ट्रंप कार्ड चल दिया है। उनके इस निर्णय को न सिर्फ बीजेपी के कद्दावर नेताओं को दी गई चुनौती के रूप में देखा जा रहा है। बल्कि, सपा-बसपा द्वारा उनकी पार्टी को बेहद कम आंके जाने का जवाब भी माना जा रहा है।

बीजेपी के कद्दावरों को सीधी चुनौती

वर्तमान में बीजेपी के तीन कद्दावर नेता पूर्वांचल के ही सांसद हैं या रहे हैं। जहां वर्ष 2014 में पीएम नरेंद्र मोदी ने पूर्वांचल की सबसे अहम सीट वाराणसी से चुनाव जीता था। वहीं, योगी आदित्यनाथ भी सीएम पद संभालने से पहले तक गोरखपुर सीट से ही सांसद रहे हैं। बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष डॉ। महेंद्र नाथ पांडेय भी पूर्वांचल की चंदौली सीट से सांसद हैं। प्रियंका को महासचिव बनाते हुए पूर्वी उत्तर प्रदेश का प्रभारी बनाए जाने को बीजेपी के इन कद्दावरों को कांगे्रस की ओर से खुली चुनौती देने की तैयारी के रूप में देखा जा रहा है।

गठबंधन के जवाब में बनाई रणनीति
हाल ही में बीएसपी प्रमुख मायावती और सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने लोकसभा चुनाव में गठबंधन का एलान किया था। दोनों पार्टियों के बीच हुए समझौते में सपा-बसपा ने प्रदेश की कुल 80 सीटों में से 38-38 सीटें आपस में बांट ली थीं। दो सीटें संभावित सहयोगी आरएलडी के लिये छोड़ी गई थीं। दोनों ही पार्टियों ने कांग्रेस को गठबंधन में शामिल नहीं किया लेकिन, रायबरेली व अमेठी सीट पर सोनिया व राहुल के खिलाफ प्रत्याशी न उतारने का फैसला किया गया था। गठबंधन के एलान के वक्त मायावती और अखिलेश यादव ने कहा था कि कांग्रेस को गठबंधन में शामिल करने से वोटों के लिहाज से सपा-बसपा को कोई फायदा नहीं मिलता। माना जा रहा है कि सपा-बसपा के इस मूव के बाद कांग्रेस को नई और मजबूत रणनीति पर सोचने को मजबूर होना पड़ा।

प्रदेश मुख्यालय में ऑफिस व वॉररूम का निर्माण जोरों पर
बुधवार को प्रियंका को महासचिव बनाए जाने की घोषणा के बाद उन्हें प्रदेश की राजनीति में धूमधाम से एंट्री कराने की तैयारी भी शुरू कर दी गई हैं। उनके लिये माल एवेन्यू स्थित पार्टी के प्रदेश मुख्यालय में नये कार्यालय व वॉररूम के निर्माण ने जोर पकड़ लिया है। उल्लेखनीय है कि पार्टी कार्यालय में बीते कुछ दिनों से आगामी लोकसभा चुनावों को देखते हुए नये मीडिया सेंटर व वाररूम का निर्माण कार्य चल रहा है। महासचिव के पद पर प्रियंका के नाम की घोषणा होते ही मुख्यालय में इसी के साथ उनके कार्यालय के निर्माण का काम भी तेज कर दिया गया है। बताया जा रहा है कि आगामी 10 फरवरी को राहुल गांधी बहन प्रियंका के साथ राजधानी में रैली कर प्रदेश में पार्टी के चुनाव प्रचार का आगाज करेंगे। इसके साथ ही वे इस कार्यालय का उद्घाटन करने के साथ नये मीडिया सेंटर में प्रियंका के साथ संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस को भी संबोधित करेंगे।

हो सकती है रायबरेली से प्रत्याशी
प्रियंका व राहुल की मां और यूपीए की चेयरपर्सन सोनिया गांधी बीते कुछ समय से बीमार चल रही हैं। 2017 के विधानसभा चुनावों में भी इसी अस्वस्थता की वजह से सोनिया ने प्रचार नहीं किया था। इस लिहाज से संभावना जताई जा रही है कि सोनिया आगामी लोकसभा चुनाव न लडऩे का फैसला कर सकती हैं। ऐसी स्थिति में प्रियंका को कांग्रेस रायबरेली से चुनाव मैदान में भी उतार सकती है।

प्रियंका पर होगी इन सीटों की जिम्मेदारी

प्रियंका को पूर्वी उत्तर प्रदेश का प्रभार दिया गया है। प्रदेश के इस हिस्से में कुल 27 लोकसभा सीटें हैं। जिनमें पीएम नरेंद्र मोदी की वाराणसी व सीएम योगी आदित्यनाथ की गोरखपुर के अलावा आजमगढ़, बलिया, गाजीपुर, डुमरियागंज, देवरिया, चंदौली, भदोही, बस्ती, बांसगांव (सुरक्षित), राबट्र्सगंज, मीरजापुर, मछलीशहर, महराजगंज, कुशीनगर, जौनपुर, घोसी, गोंडा, सुलतानपुर, प्रतापगढ़, कौशांबी, फूलपुर, इलाहाबाद, सलेमपुर, अंबेडकरनगर व संतकबीरनगर शामिल हैं।

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