- पिछला भुगतान न होने से किताबें छापने से किया इंकार

LUCKNOW: आगामी एक अप्रैल से शुरू होने जा रहे बेसिक शिक्षा विभाग के नए सेशन पर संकट के बाद गहरा गए हैं। सरकारी स्कूलों में क्लास एक से आठ तक करीब दो करोड़ बच्चों की किताबों प्रिंट होने पर समस्या खड़ी हो गई है। किताबें छापने वाले प्रकाशकों ने चेतावनी दी है कि यदि पिछले साल का बकाया भुगतान नहीं किया गया तो आगे का काम नहीं करेंगे। यह जानकारी यूपी बेसिक एजूकेशन प्रिंटर्स एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष शैलेंद्र जैन ने दी।

हर साल छपती हैं 14 करोड़ किताबें

जैन ने बताया कि प्रत्येक साल 14 करोड़ के आसपास किताबें छापी जाती हैं। साल 2015 में करीब 25 प्रकाशकों ने किताबें छापने का काम किया। लेकिन, 10 महीने बाद भी मुद्रक, प्रकाशकों को सिर्फ 45 फीसदी का ही भुगतान किया गया। अब साल 2016 का नया सेशन एक अप्रैल से शुरू होना है। निशुल्क पाठय पुस्तकों की निविदा जमा करने की तिथि 26 मार्च तय की गई। इतने कम समय में 14 करोड़ किताबें कैसे छापी जाएंगी। वह भी तब जब पिछले वर्ष का करीब 58 फीसदी भुगतान ही नहीं किया गया। प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि जब तक पिछला भुगतान नहीं किया जाता, हम काम करने की स्थिति में नहीं रहेंगे।