सिटी में ऐसे कई इंटरनेट कैफे चल रहे हैं, जहां पर आपको एंट्री पाने के लिए आईडी प्रूफ, मोबाइल नंबर और फोटो दिखाने की जरूरत नहीं है। लेकिन कैफे के अंदर जाने के लिए ‘उसको’ साथ लेकर जाना पड़ेगा। जी हां नेट कैफे में एंट्री पाने के लिए आपके साथ गर्लफ्रेंड का होना जरूरी है। सिटी में नेट कैफे की आड़ में तीन दर्जन से ज्यादा इस तरह की अश्लीलता की दुकान चल रही हैं। शॉकिंग फैक्ट ये है कि यहां से सट्टेबाजी और हवाले का भी बड़े पैमाने पर काम किया जा रहा है। एलआईयू की इस रिपोर्ट के आधार पर सिटी पुलिस अलर्ट मोड में है। इस वक्त पुलिस की राडार में दो दर्जन से ज्यादा नेट कैफे हैं। जिन पर पुलिस की स्पेशल टीम की नजर है.
नेट कैफे लेकिन कंप्यूटर एक भी नहीं
क्राइम ब्रांच के सोर्सेज के मुताबिक सिटी के किदवईनगर, बर्रा, नौबस्ता, आजाद नगर, गोविंदनगर सहित कई एरियॉज में ऐसे इंटरनेट कैफे चल रहे हैं, जहां पर बोर्ड तो नेट कैफे का लिखा हुआ है। गेट के बाहर इंटरनेट यूज करने के टाइम के साथ रेट चार्ट भी लिखा हुआ है। लेकिन कैफे के अंदर एक भी कंप्यूटर नहीं है। कैफे में कई पार्टीशियन में कैबिन बने हुए हैं। अब आप सोच रहे होंगे कि तो फिर कैफे में होता क्या है? आइए आपको बताते है कि इन कैफे के अंदर क्या होता है.
कैफे के अंदर होती है ग्रैंड मस्ती
ये बात तो साफ हो गई है कि नेट कैफे के अंदर इंटरनेट यूज करने के लिए कंप्यूटर नहीं हैं। और एंट्री करने के लिए आई कार्ड के रूप में एक गर्लफ्रेंड का होना जरूरी है। यही कॉम्बीनेशन कैफे को ग्रैंड मस्ती के सेट में बदल देता है। कपल्स यहां पर बने केबिंस में कुछ फुर्सत के पल बिताते हैं. 
आल टाइम हाऊस फुल 
नेट कैफे में एक भी कंप्यूटर न होने के बावजूद ये कैफे आल टाइम हाऊस फुल रहते हैं। यहां मिलने वाली फैसेलिटी की वजह से आने वाले कपल्स एक घंटे के 200 से 500 रुपये तक पेमेंट करते हैं। पुलिस के मुताबिक कई कैफे वाले तो फुली एअरकंडीशंड की फैसेलिटी भी दे रहे हैं.
नेट कैफे का ग्राफ हुआ डाउन
आज के दौर में सभी के हाथों में स्मार्ट फोंस हैं। सर्विस प्रोवाइडर कंपनी रिजनेबल रेट पर इंटरनेट फैसेलिटी दे रही हैं। जिसकी वजह से सिटी में पिछले कई सालों से नेट कैफे की संख्या में लगातार कमी आई है। इस वक्त सिटी में 200 से 250 नेट कैफे चल रहे हैं। जिनमें से ज्यादातर बिना रजिस्ट्रेशन के ही काम कर रहे हैं। ऐसे में ज्यादा कमाई के चक्कर में कुछ लोगों के ग्रुप्स ने इंटरनेट कैफे की आड़ में अश्लीलता का कारोबार चलाना शुरू कर दिया.
लार्ज स्केल पर होती है सट्टेबाजी
कैफे की आड़ में कई बड़े सट्टेबाज अपना गोरखधंधा चला रहे हैं। सभी सुविधाओं से लैस इन कैफेज में टीवी स्क्रीन, फोन लाइंस, मोबाइल और लाखों रुपये के बीच लार्ज स्केल पर सट्टेबाजी का खेल खेला जा रहा है। एलआईयू की रिपोर्ट के मद्देनजर सिटी पुलिस ऐसे एरियॉज और कुछ आइडेंटिफाईड पर्संस को फॉलो कर रही है। पुलिस का कहना है कि जल्द ही इस बड़े नेटवर्क को क्रेक करने में कामयाबी मिलेगी.
खतरनाक साबित हो सकती है ये लापरवाही
एक सीनियर पुलिस ऑफिसर के मुताबिक नेट कैफे के रजिस्ट्रेशन का कोई विधिक प्रावधान नहीं है। लेकिन वर्ष 2008 में इंडिया में हुई आतंकी वारदात को अंजाम देने के लिए साइबर कैफे के इस्तेमाल किए जाने के खुलासे के बाद केंद्र सरकार के निर्देश पर शहर भर में चल रहे नेट कैफे की जानकारी टेलीफोन कम्युनिकेशन डिपार्टमेंट की मदद से जुटाई गई थी। सभी कैफे ओनर्स को इंस्ट्रक्शंस भी दिए गए थे कि नेट यूज करने से पहले यूजर को आई कार्ड, फोटो, मोबाइल नंबर व अन्य कोई भी आईडी प्रूफ दिखाना जरूरी होगा। कुछ महीनों तक इस मामले को गंभीरता से लिया गया लेकिन इसके बाद से ये पूरा मामला ठंडे बस्ते में चला गया। इस वक्त भी शहर में चल रहे नेट कैफे का लेटेस्ट आकड़ा नहीं है। जो पुलिस और समाज के लिए खतरनाक साबित हो सकता है.
सिटी में नेट कैफेज पर पुलिस की नजर है। एक स्पेशल टीम इस तरह के नेट कैफेज को आइडेंटिफाई करने में जुटी हुई है। इस दिशा में बहुत हद तक सफलता भी मिली है। जल्द ही ऐसे कैफेज पर पुलिस का शिकंजा कसेगा। इसके लिए टेलीफोन कम्युनिकेशन डिपार्टमेंट की मदद ली जाएगी। इसके अलावा एलआईयू की रिपोर्ट के आधार पर भी एक्शन लिया जाएगा.
आरके चतुर्वेदी, डीआईजी

सिटी में ऐसे कई इंटरनेट कैफे चल रहे हैं, जहां पर आपको एंट्री पाने के लिए आईडी प्रूफ, मोबाइल नंबर और फोटो दिखाने की जरूरत नहीं है। लेकिन कैफे के अंदर जाने के लिए ‘उसको’ साथ लेकर जाना पड़ेगा। जी हां नेट कैफे में एंट्री पाने के लिए आपके साथ गर्लफ्रेंड का होना जरूरी है। सिटी में नेट कैफे की आड़ में तीन दर्जन से ज्यादा इस तरह की अश्लीलता की दुकान चल रही हैं। शॉकिंग फैक्ट ये है कि यहां से सट्टेबाजी और हवाले का भी बड़े पैमाने पर काम किया जा रहा है। एलआईयू की इस रिपोर्ट के आधार पर सिटी पुलिस अलर्ट मोड में है। इस वक्त पुलिस की राडार में दो दर्जन से ज्यादा नेट कैफे हैं। जिन पर पुलिस की स्पेशल टीम की नजर है।

नेट कैफे लेकिन कंप्यूटर एक भी नहीं

क्राइम ब्रांच के सोर्सेज के मुताबिक सिटी के किदवईनगर, बर्रा, नौबस्ता, आजाद नगर, गोविंदनगर सहित कई एरियॉज में ऐसे इंटरनेट कैफे चल रहे हैं, जहां पर बोर्ड तो नेट कैफे का लिखा हुआ है। गेट के बाहर इंटरनेट यूज करने के टाइम के साथ रेट चार्ट भी लिखा हुआ है। लेकिन कैफे के अंदर एक भी कंप्यूटर नहीं है। कैफे में कई पार्टीशियन में कैबिन बने हुए हैं। अब आप सोच रहे होंगे कि तो फिर कैफे में होता क्या है? आइए आपको बताते है कि इन कैफे के अंदर क्या होता है।

कैफे के अंदर होती है ग्रैंड मस्ती

ये बात तो साफ हो गई है कि नेट कैफे के अंदर इंटरनेट यूज करने के लिए कंप्यूटर नहीं हैं। और एंट्री करने के लिए आई कार्ड के रूप में एक गर्लफ्रेंड का होना जरूरी है। यही कॉम्बीनेशन कैफे को ग्रैंड मस्ती के सेट में बदल देता है। कपल्स यहां पर बने केबिंस में कुछ फुर्सत के पल बिताते हैं. 

आल टाइम हाऊस फुल 

नेट कैफे में एक भी कंप्यूटर न होने के बावजूद ये कैफे आल टाइम हाऊस फुल रहते हैं। यहां मिलने वाली फैसेलिटी की वजह से आने वाले कपल्स एक घंटे के 200 से 500 रुपये तक पेमेंट करते हैं। पुलिस के मुताबिक कई कैफे वाले तो फुली एअरकंडीशंड की फैसेलिटी भी दे रहे हैं।

नेट कैफे का ग्राफ हुआ डाउन

आज के दौर में सभी के हाथों में स्मार्ट फोंस हैं। सर्विस प्रोवाइडर कंपनी रिजनेबल रेट पर इंटरनेट फैसेलिटी दे रही हैं। जिसकी वजह से सिटी में पिछले कई सालों से नेट कैफे की संख्या में लगातार कमी आई है। इस वक्त सिटी में 200 से 250 नेट कैफे चल रहे हैं। जिनमें से ज्यादातर बिना रजिस्ट्रेशन के ही काम कर रहे हैं। ऐसे में ज्यादा कमाई के चक्कर में कुछ लोगों के ग्रुप्स ने इंटरनेट कैफे की आड़ में अश्लीलता का कारोबार चलाना शुरू कर दिया।

लार्ज स्केल पर होती है सट्टेबाजी

कैफे की आड़ में कई बड़े सट्टेबाज अपना गोरखधंधा चला रहे हैं। सभी सुविधाओं से लैस इन कैफेज में टीवी स्क्रीन, फोन लाइंस, मोबाइल और लाखों रुपये के बीच लार्ज स्केल पर सट्टेबाजी का खेल खेला जा रहा है। एलआईयू की रिपोर्ट के मद्देनजर सिटी पुलिस ऐसे एरियॉज और कुछ आइडेंटिफाईड पर्संस को फॉलो कर रही है। पुलिस का कहना है कि जल्द ही इस बड़े नेटवर्क को क्रेक करने में कामयाबी मिलेगी।

खतरनाक साबित हो सकती है ये लापरवाही

एक सीनियर पुलिस ऑफिसर के मुताबिक नेट कैफे के रजिस्ट्रेशन का कोई विधिक प्रावधान नहीं है। लेकिन वर्ष 2008 में इंडिया में हुई आतंकी वारदात को अंजाम देने के लिए साइबर कैफे के इस्तेमाल किए जाने के खुलासे के बाद केंद्र सरकार के निर्देश पर शहर भर में चल रहे नेट कैफे की जानकारी टेलीफोन कम्युनिकेशन डिपार्टमेंट की मदद से जुटाई गई थी। सभी कैफे ओनर्स को इंस्ट्रक्शंस भी दिए गए थे कि नेट यूज करने से पहले यूजर को आई कार्ड, फोटो, मोबाइल नंबर व अन्य कोई भी आईडी प्रूफ दिखाना जरूरी होगा। कुछ महीनों तक इस मामले को गंभीरता से लिया गया लेकिन इसके बाद से ये पूरा मामला ठंडे बस्ते में चला गया। इस वक्त भी शहर में चल रहे नेट कैफे का लेटेस्ट आकड़ा नहीं है। जो पुलिस और समाज के लिए खतरनाक साबित हो सकता है।

सिटी में नेट कैफेज पर पुलिस की नजर है। एक स्पेशल टीम इस तरह के नेट कैफेज को आइडेंटिफाई करने में जुटी हुई है। इस दिशा में बहुत हद तक सफलता भी मिली है। जल्द ही ऐसे कैफेज पर पुलिस का शिकंजा कसेगा। इसके लिए टेलीफोन कम्युनिकेशन डिपार्टमेंट की मदद ली जाएगी। इसके अलावा एलआईयू की रिपोर्ट के आधार पर भी एक्शन लिया जाएगा।

आरके चतुर्वेदी, डीआईजी