इस कहते हैं 'पोल-खोल'

मलदहिया चौराहे के पास गांधी अध्ययनपीठ के गेट पर गिरा ये पोल कोई आम घटना नहीं है। ये इशारा है अपने शहर में लापरवाही का। इस पोल ने उस पोल को खोला है जो वास्तव में किसी की जान भी ले सकता है। शुक्रवार की रात आई आंधी में धराशायी हुए इस पोल के अलावा भी काफी कुछ ऐसा है जो गिरा तो किसी की सांसें उखाड़ देगा

न जाने कब सिर पर टपक पड़े मौत

- शहर में मौजूद सैकड़ों बिजली और होर्डिग्स के खंभे अपने बेस से हो चुके हैं जर्जर

- तेज आंधी-तूफान में ये सूख पत्ते की तरह गिरकर ले सकते हैं किसी की जान

- एक्सिडेंट्स में टेढ़े हुए खंभों की भी नहीं लेता कोई सुध

VARANASI :

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कैंट के पास इंग्लिशियालाइन पर जर्जर यूनिपोल मौजूद था। इस पर अलग-अलग स्थानों को सूचना देने वाला बोर्ड लगा था। जमीन में धंसा हिस्सा जर्जर होने पर आसपास के लोगों ने इसे हटाने के लिए लोकल एडमिनिस्ट्रेशन को लिखा। वह हटाया नहीं गया। शुक्रवार की रात आंधी में पोल धराशायी हो गया। गनीमत रही कोई इसकी चपेट में नहीं आया।

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महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के गेट संख्या तीन के पास मलदहिया पर जर्जर पोल पर बोर्ड लगा था। गेट से गुजरने वालों निगाह टिकाए उधर से गुजरते थे। हर वक्त डर था कि अब गिरा तो तब गिरा। आंधी में पोल टिक नहीं सका। तेज आवाज के साथ पटरी पर गिर पड़ा। हर रोज पटरी पर सोने वाले उस दिन नहीं थे। उनकी जान बच गयी।

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आंधी ने कोनिया, मछोदरी और रसूलगढ़ में एक दर्जन पोल जमीन से उखड़ गए। बिजली सप्लाई करने वाले तार रोड पर बिखर गए। पूरे एरिया की बिजली सप्लाई बंद हो गयी। रात होने से पोल और बिजली ने किसी की जान नहीं ली। बिजली की व्यवस्था को सुधारने के लिए बिजली विभाग को खूब मशक्कत करनी पड़ी।

यह तो महज एक शुरुआत है। वेस्टर्न डि‌र्स्टबेंस से बिगड़े मौसम ने शहर के दर्जनों पोल और पेड़ों को उखाड़ डाला। गनीमत रही कि यह सबकुछ देर रात में हुआ। उस वक्त सड़कों पर चहल-पहल ना के बराबर थी। गिरे पोल और पेड़ों की चपेट में आने से किसी की जान नहीं गयी। लेकिन ऐसा हर बार नहीं होना है। सिटी में हर ओर जर्जर पोल मौजूद हैं। इन्हें हटाने की जहमत किसी ने नहीं उठायी है। अभी तक इनके सहारे बिजली सप्लाई हो रही है। उन पर लगे बोर्ड शहर के बारे में सूचनाएं दे रहे हैं। यह पोल रोड किनारे और डिवाइडर्स पर मौजूद हैं। एक पखवारे बाद जब आंधी-तूफान का मौसम आएगा तो इनमें से ढेरों फिर ढेर हो जाएंगे। इनके चपेट में आने से किसी जान भी जाए चली जाए तो आश्चर्य नहीं होगा।

काफी पुराने हैं ये पोल

शहर में इलेक्ट्रिक सप्लाई का इंतजाम दशकों पुराने पोल से हो रहा है। लोहे के यह पोल रख-रखाव के अभाव में जर्जर हो चुके हैं। ज्यादातर जमीन पर इस तरह से टिके हैं कि हल्के के धक्के या तेज हवा के झोंके से जमीन पर गिर पड़ें। इस तरह के सिटी के तमाम सूचना बोर्ड भी जर्जर हालत में हैं। किसी का बेस जंग खा चुका है तो किसी का के टॉप पर लगा बोर्ड जर्जर हो चुका है। इन्हें जमीन पर लाने के लिए बस एक झटका ही काफी है। जर्जर पोल को बदलने या उनके रख-रखाव को लोकल एडमिनिस्ट्रेशन बिल्कुल गंभीरता से नहीं लेता है। जबकि कई-कई बार पब्लिक उसका ध्यान इस ओर दिलाती है। जर्जर होने की वजह से कई बार बारिश के दौरान पोल में करंट उतरने लगता है। इसकी चपेट में आने से जानवर और इंसान की जान चली जाती है।

हर एरिया है आसमानी मौत

-आंधी के दौरान इंग्लिशिया लाइन और मलदहिया पर जर्जर सूचना बोर्ड गिर पड़े।

- कोनिया, मछोदरी, रसूलगढ़ में ताल बिजली के पोल उखड़ गए। तरना उपकेन्द्र से बड़े एरिया में बिजली सप्लाई करने वाले क्भ् पोल जमीन पर आ गए।

-आशापुर, सारनाथ, बरईपुर, दौलतपुर, लालपुर, पहडि़या, महमूरगंज, सुदामापुर पोल टूट गए।

- वीआईपी मूवमेंट वाले पाण्डेयपुर, कचहरी एरिया में रोड किनारे और डिवाइडर पर एक दर्जन जर्जर पोल मौजूद हैं।

- नदेसर, तेलियाबाग, कैंट, लहुराबीर, इंग्लिशिया लाइन लाइन वाले भीड़-भाड़ और बिजनेस पॉइंट पर मौजूद जर्जर पोल जानलेवा बन सकते हैं।

- लंका, अस्सी, शिवाला, सोनारपुरा जैसे पुराने इलाके में दो दर्जन लोहे के जर्जर पोल मौजूद हैं।

- चौक, मैदागिन, नई सड़क, दालमंडी कबीरचौरा एरिया में भी जर्जर पोल मौजूद हैं।

पेड़ भी हैं जानलेवा

इस शहर में रोड किनारे मौजूद पेड़ भी जानलेवा बन सकते हैं। तेज हवा के झोंकों ने दर्जन पेड़ धराशायी कर दिए। अभी भी कई ऐसे हैं जो कभी भी रोड या किसी बिल्डिंग पर गिर सकते हैं। वैसे तो हरे-भरे पेड़ काटकर ढेरों बिल्डिंग बना गयी हैं। इसके बाद भी अभी कई एरिया में बड़े-बड़े पेड़ हैं। इनके आसपास मौजूद कंक्रीट की बिल्डिंग की वजह से इन पेड़ों की जड़ें कमजोर हो चुकी हैं। सालों पुराने होने की वजह से भी जड़ों की पकड़ जमीन पर ढीली पड़ गयी है। यह पेड़ तेज हवा बर्दाश्त नहीं कर पा रहे हैं। जिस तरह से जर्जर पोल की तरफ कोई ध्यान नहीं दे रहा है उसी तरह से खतरनाक हालत में मौजूद पेड़ों तरफ भी लोकल एडमिनिस्ट्रेशन का कोई ध्यान नहीं है।

पब्लिक से बातचीत

सिटी के लगभग हर एरिया में जर्जर पोल और पेड़ मौजूद हैं। इनकी वजह से एक्सिडेंट का डर हर वक्त होता है। तेज हवा के दौरान तो डर बढ़ जाता है।

दीपक चौरसिया, भेलूपुर

सिटी में रोड पर चलते समय हर तरफ से चौकन्ना रहना पड़ता है। खासतौर पर आंधी-पानी के समय। न जाने किस ओर से कौन का जर्जर पोल या पेड़ गिर पड़े।

जितेन्द्र सिंह, लंका

मौसम ने तो अभी केवल ट्रेलर दिखाया है। बरसात के मौसम इस तरह की तेज हवा और बारिश होती है। ऐसे में न जाने कितने जर्जर पोल गिरेंगे। इसकी चपेट में आने वाली की जान नहीं बचेगी।

जावेद कुरैशी, नई सड़क

रोड किनारे या डिवाइडर पर मौजूद खतरनाक पोल को हटाने का काम चल रहा है। कई एरिया से इन्हें हटाया भी जा चुका है। जो कुछ बचे हैं उन्हें भी जल्द हटाया लिया जाएगा।

एमपी सिंह

एडीएम सिटी