सबको admission नामुमकिन

सिटी के सभी डिग्री कॉलेज के रेग्युलर कोर्सेज (बीए, बीएससी, बीकॉम) में अवेलेबल सीट्स क ा टोटल नंबर 9,840 है। जबकि, सीबीएसई, आईसीएसई और यूपी बोर्ड से इंटरमीडियट के टोटल पासआउट स्टूडेंट्स का नंबर 41,776 है। इस हिसाब से एक सीट के लिए कम से कम चार दावेदार बनते हैं। अगर प्रोफेशनल कोर्सेज (बीटेक, बीबीए, बीसीए) को भी मिला लिया जाए तो सीट्स की संख्या तकरीबन 12 हजार हो जाती है। इसके बावजूद भी ओवरऑल पासआउट स्टूडेंट्स को एडमीशन दे पाना नामुमकिन ही होगा।

Options पर रखें नजर

एजुकेशन एक्सपट्र्स की मानें तो इंटरमीडियट के पासआउट स्टूडेंट्स को बढ़ते कॉम्पिटीशन के चलते क म से कम 5 ऑप्शंस रखने चाहिए। इनमें प्रोफेशनल कोर्सेज, रेग्युलर कोर्सेज, डिस्टेंस लर्निंग, डिफरेंट यूनिवर्सिटीज को प्रायरिटी के बेस पर अप्रोच करना चाहिए। वहीं, अपने माक्र्स के मुताबिक स्वयं को परखना सबसे ज्यादा जरूरी है। लास्ट टू या थ्री ईयर्स की मेरिट और कट ऑफ लिस्ट की जानकारी जरूर लें। एडमीशन के लिए ट्राई करते समय अपने डॉक्यूमेंट्स पहले से ही तैयार रखें। कई बार डॉक्यूमेंट्स पूरे या सही ना होने पर भी एडमीशन कैंसिल हो जाते हैं।

आस-पास से आते हैं students

क्लास 12 में सेकेंड या थर्ड डिविजनर्स स्टूडेंट्स को एडमीशन के लिए तमाम जद्दोजहद करनी होती है। इनमें साइंस साइड के स्टूडेंट्स के लिए यह संघर्ष और भी बढ़ जाता है। वह चाहे किसी भी बोर्ड से क्यों ना हों। स्टूडेंट्स भी जानते हैं कि उन्हें आसानी से एडमीशन नहीं मिलेगा। प्रजेंट रिजल्ट में तो सेकेंड और थर्ड के बजाय फस्र्ट डिविजनर्स क ो ही एडमीशन के लिए स्ट्रगल करना पड़ सकता है। इसके साथ ही बरेली मंडल होने की वजह से यहां आस-पास के डिस्ट्रिक्ट्स के स्टूडेंट्स का प्रेशर भी रहता है।

यूपी बोर्ड स्टूडेंट्स की प्रॉब्लम

सीबीएसई और आईसीएसई स्टूडेंट्स के सामने यूपी बोर्ड के स्टूडेंट्स के एडमीशन का संघर्ष और भी बढ़ जाता है। दरअसल, यूपी बोर्ड में फस्र्ट डिवीजन पाने वालों की संख्या बढऩे के बावजूद कम ही है। सत्र 2012-13 के रिजल्ट में बरेली से यूपी बोर्ड के क्लास 12 में विद ऑनर्स पास होने वालों की संख्या मात्र 2191 है। वहीं, यूपी बोर्ड में 15,675 स्टूडेंट्स फस्र्ट डिवीजन, 16,777 स्टूडेंट्स सेकेंड डिवीजन और 1127 स्टूडेंट्स थर्ड डिवीजन पास आउट हैं। जबकि, आईसीएसई-12 में 855 और सीबीएसई-12 में 2,590 स्टूडेंट्स पास हुए हैं।

वास्तव में यह एक बड़ी समस्या है। इसकी शुरुआत तो बेसिक एजुकेशन से ही हो जाती है। यहां से सभी को पास करने का जो प्रावधान है, उसी का नतीजा है कि स्टूडेंट आगे चलकर बड़ी संख्या में पासआउट तो होते हैं पर उनमें स्किल्स की कमी होती है। ऐसे में स्टूडेंट्स को हायर स्टडीज में एडमीशन मिलने में प्रॉब्लम होती है। एडमीशन न मिलने से स्टूडेंट्स में फ्रस्ट्रेशन पैदा होता है। बेरोजगारी भी बढ़ती है। पर इस बार तो फस्र्ट डिविजनर्स में ही कॉम्पिटीशन बढ़ता जाएगा। स्टूडेंट्स को डिफरेंट ऑप्शंस पर नजर रखना बहुत जरूरी है।

प्रो। एनपी सिंह, एजुकेशन एक्सपर्ट

प्रैक्टिकल सब्जेक्टस में अच्छे माक्र्स अचीव करने और एग्जामनर्स के पास कॉपी चेकिंग का एक्स्ट्रा लोड होने की वजह से स्टूडेंट्स का सही-सही इवैल्युएशन नहीं हो पाता है। ऐसे में कई बार अच्छे स्टूडेंट्स को भी कम माक्र्स मिलते हैं और उसे हायर स्टडीज में एडमीशन लेने में प्रॉब्लम होती है। हालांकि, इस बार के रिजल्ट में थर्ड डिवीजन से पास होने वालों का नंबर काफी कम है। ऐसे में इस बार तो फस्र्ट डिविजनर्स के लिए प्रॉब्लम बढ़ जाएगी। इसके लिए स्टूडेंट्स को एडमीशन के लिए स्मार्टली प्रिपे्रशन करनी होगी।

डॉ। राकेश आजाद, एजुकेशन एक्सपर्ट

'मेरिट से एडमीशन होने की वजह से ग्रेजुएशन में एडमीशन मिलना काफी मुश्किल हो रहा है। फस्र्ट डिवीजन माक्र्स अचीव करने के बाद भी बीएससी में एडमीशन मिलना मुश्किल ही लग रहा है.'

- नाजरीन, स्टूडेंट

'मैं साइंस की स्टूडेंट हूं। क्लास 12 में मेरी फस्र्ट डिवीजन हैं। मैं बरेली कॉलेज से बीएससी करना चाहती हूं पर लास्ट ईयर की मेरिट देखकर मुझे लगता नहीं है कि मुझे एडमीशन मिल पाएगा.'

- प्रतिभा पटेल, स्टूडेंट

'फस्र्ट डिवीजन माक्र्स से पास होने की खुशी तो है लेकिन इस बार तो विद ऑनर्स पास होने वालों का नंबर भी काफी बढ़ गया है। ऐसे में मेरिट से एडमीशन मिलना आसान नहीं होगा.'

- प्रियंका सिंह, स्टूडेंट

Report by- Nidhi Gupta

National News inextlive from India News Desk