सीएसजेएमयू से डिग्र्री हासिल करना या माइग्र्रेशन सर्टिफिकेट हासिल करना आसान नहीं है। इसके लिए फीस डिपाजिट करने के बाद भी स्टूडेंट्स को यहां एक विभाग से दूसरे विभाग तक चक्कर काटना पड़ता है। विंडोज पर जो इम्प्लाईज बैठते हैैं वो जानकारी मांगने पर ठीक से जवाब तक नहीं देते हैैं। मंडे की सुबह भी एक एमएससी पासआउट स्टूडेंट माइग्र्रेशन सर्टिफिकेट लेने आया जिसके बारे में उसे कोई जानकारी नहीं दे रहा था। स्टूडेंट ने रजिस्ट्रार से लेकर डिप्टी रजिस्ट्रार तक फरियाद की, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। ये देखकर आई नेक्स्ट रिपोर्टर ने पूरे मामले की पड़ताल की तो ऐसे कई स्टूडेंट्स मिले जो किसी न किसी सर्टिफिकेट के लिए पिछले कई दिनों से यूनिवर्सिटी के चक्कर काट रहे हैं. 

सिर्फ आश्वासन ही मिला

इलाहाबाद के रहने वाले बृजेश पांडेय ने बताया कि उसने ईयर 2011 में यूनिवर्सिटी के इंस्टीट्यूट ऑफ बायो साइंस एण्ड बायो टेक्नोलॉजी से एमएससी बायोटेक में पास किया था। अब वो लखनऊ यूनिवर्सिटी में एडमिशन लेने गया तो उससे माइग्र्रेशन सर्टिफिकेट की डिमांड की गयी। इसके लिए उन्होंने सीएसजेएमयू में बीती 6 सितंबर को अप्लाई किया था। यूनिवर्सिटी से कहा गया कि दस दिन बाद आना और माइग्र्रेशन मिल जाएगा। लेकिन, इसके लिए वो दिन भर भटकते रहे। माइग्रेशन सर्टिफिकेट मिलना तो दूर, उन्हें इसके बारे में कोई जानकारी भी नहीं दे रहा था। उन्होंने रजिस्ट्रार सैय्यद वकार हुसैन से बात की जिस पर उन्होंने डिप्टी रजिस्ट्रार के पास भेज दिया। वहां से जब इन्क्वॉयरी की गयी तो वहां पता चला कि अभी तक उनका इनरोलमेंट नंबर ही नहीं मिला है। और बृजेश को फाइनली वापस लौटना पड़ा.

डिग्र्री के लिए एक महीने से भटक रहे

चौबेपुर के रहने वाले आशुतोष ने बताया कि डीसी लॉ कॉलेज से एलएलबी पास किया था। अब बार काउंसिल ऑफ इंडिया में रजिस्ट्रेशन कराना है जिसके लिए डिग्र्री की जरूरत पड़ रही है। अगस्त के सेकेंड वीक में डिग्र्री के लिए पैसा डिपाजिट किया था। लेकिन अभी तक पेपर कहां है, कुछ अता-पता नहीं है। किसी भी विन्डो पर बात करो, कोई सही जानकारी नहीं मिलती है। वीसी से मिलने गया तो पता चला कि वो ऑफिस में नहीं हैैं। जब बुहत जानकारी की तो बताया गया कि वो आउट ऑफ स्टेशन हैैं.

वर्जन 
किसी स्टूडेंट को प्रॉब्लम है तो वो सीधे मिल सकता है। माइग्र्रेशन के लिए डिप्टी रजिस्ट्रार से स्टूडेंट बात करें। अगर कर्मचारी बदसलूकी कर रहें हैैं तो फिर उनके खिलाफ एक्शन लिया जाएगा. 
   सैय्यद वकार हुसैन, रजिस्ट्रार

आगरा यूनिवर्सिटी में एडमिशन कराया। वहां से माइग्र्रेशन की डिमांड की गयी। इस पर रिटेन में दे दिया कि दो वीक में सबमिट कर देंगे। लेकिन, एक वीक गुजर गया पर पेपर कहां है, कुछ जानकारी नहीं मिल रही है. 
       पूजा अवस्थी, स्टूडेंट
सीएसजेएमयू से बीएससी करने के बाद अब बुंदेलखंड यूनिवर्सिटी में एडमिशन लिया है। वहां माइग्र्रेशन मांगा गया है। बीते 7 दिन से डेली दौड़ रहे हैैं लेकिन कोई सटीक जानकारी नहीं मिल रही कि कब तक सर्टिफिकेट मिल जाएगा.
          रोहित सिंह, स्टूडेंट
ईयर 2009 में कानपुर विद्या मंदिर से पीजी पास किया था। अब डिग्र्री की जरुरत पड़ी है तो यहां पर अप्लाई किया। लेकिन दो वीक हो गए, अभी तक डिग्री नहीं मिली.
            रचना, स्टूडेंट
वीएसएसडी कॉलेज से बीकॉम किया था। इसके  बाद एमकॉम हरसहाय से किया। अब एमफिल के लिए लखनऊ यूनिवर्सिटी में एडमिशन लिया है। इसकी वजह से माइग्र्रेशन की जरूरत पड़ी है। बीते 15 दिन से भटक रहे हैैं लेकिन कोई कुछ बता नहीं रहा है. 
            अंकित यादव, स्टूडेंट

सीएसजेएमयू से डिग्र्री हासिल करना या माइग्र्रेशन सर्टिफिकेट हासिल करना आसान नहीं है। इसके लिए फीस डिपाजिट करने के बाद भी स्टूडेंट्स को यहां एक विभाग से दूसरे विभाग तक चक्कर काटना पड़ता है। विंडोज पर जो इम्प्लाईज बैठते हैैं वो जानकारी मांगने पर ठीक से जवाब तक नहीं देते हैैं। मंडे की सुबह भी एक एमएससी पासआउट स्टूडेंट माइग्र्रेशन सर्टिफिकेट लेने आया जिसके बारे में उसे कोई जानकारी नहीं दे रहा था। स्टूडेंट ने रजिस्ट्रार से लेकर डिप्टी रजिस्ट्रार तक फरियाद की, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। ये देखकर आई नेक्स्ट रिपोर्टर ने पूरे मामले की पड़ताल की तो ऐसे कई स्टूडेंट्स मिले जो किसी न किसी सर्टिफिकेट के लिए पिछले कई दिनों से यूनिवर्सिटी के चक्कर काट रहे हैं. 

सिर्फ आश्वासन ही मिला

इलाहाबाद के रहने वाले बृजेश पांडेय ने बताया कि उसने ईयर 2011 में यूनिवर्सिटी के इंस्टीट्यूट ऑफ बायो साइंस एण्ड बायो टेक्नोलॉजी से एमएससी बायोटेक में पास किया था। अब वो लखनऊ यूनिवर्सिटी में एडमिशन लेने गया तो उससे माइग्र्रेशन सर्टिफिकेट की डिमांड की गयी। इसके लिए उन्होंने सीएसजेएमयू में बीती 6 सितंबर को अप्लाई किया था। यूनिवर्सिटी से कहा गया कि दस दिन बाद आना और माइग्र्रेशन मिल जाएगा। लेकिन, इसके लिए वो दिन भर भटकते रहे। माइग्रेशन सर्टिफिकेट मिलना तो दूर, उन्हें इसके बारे में कोई जानकारी भी नहीं दे रहा था। उन्होंने रजिस्ट्रार सैय्यद वकार हुसैन से बात की जिस पर उन्होंने डिप्टी रजिस्ट्रार के पास भेज दिया। वहां से जब इन्क्वॉयरी की गयी तो वहां पता चला कि अभी तक उनका इनरोलमेंट नंबर ही नहीं मिला है। और बृजेश को फाइनली वापस लौटना पड़ा।

डिग्र्री के लिए एक महीने से भटक रहे

चौबेपुर के रहने वाले आशुतोष ने बताया कि डीसी लॉ कॉलेज से एलएलबी पास किया था। अब बार काउंसिल ऑफ इंडिया में रजिस्ट्रेशन कराना है जिसके लिए डिग्र्री की जरूरत पड़ रही है। अगस्त के सेकेंड वीक में डिग्र्री के लिए पैसा डिपाजिट किया था। लेकिन अभी तक पेपर कहां है, कुछ अता-पता नहीं है। किसी भी विन्डो पर बात करो, कोई सही जानकारी नहीं मिलती है। वीसी से मिलने गया तो पता चला कि वो ऑफिस में नहीं हैैं। जब बुहत जानकारी की तो बताया गया कि वो आउट ऑफ स्टेशन हैैं। किसी स्टूडेंट को प्रॉब्लम है तो वो सीधे मिल सकता है। माइग्र्रेशन के लिए डिप्टी रजिस्ट्रार से स्टूडेंट बात करें। अगर कर्मचारी बदसलूकी कर रहें हैैं तो फिर उनके खिलाफ एक्शन लिया जाएगा. 

   सैय्यद वकार हुसैन, रजिस्ट्रार

आगरा यूनिवर्सिटी में एडमिशन कराया। वहां से माइग्र्रेशन की डिमांड की गयी। इस पर रिटेन में दे दिया कि दो वीक में सबमिट कर देंगे। लेकिन, एक वीक गुजर गया पर पेपर कहां है, कुछ जानकारी नहीं मिल रही है. 

       पूजा अवस्थी, स्टूडेंट

सीएसजेएमयू से बीएससी करने के बाद अब बुंदेलखंड यूनिवर्सिटी में एडमिशन लिया है। वहां माइग्र्रेशन मांगा गया है। बीते 7 दिन से डेली दौड़ रहे हैैं लेकिन कोई सटीक जानकारी नहीं मिल रही कि कब तक सर्टिफिकेट मिल जाएगा।

          रोहित सिंह, स्टूडेंट

ईयर 2009 में कानपुर विद्या मंदिर से पीजी पास किया था। अब डिग्र्री की जरुरत पड़ी है तो यहां पर अप्लाई किया। लेकिन दो वीक हो गए, अभी तक डिग्री नहीं मिली।

            रचना, स्टूडेंट

वीएसएसडी कॉलेज से बीकॉम किया था। इसके  बाद एमकॉम हरसहाय से किया। अब एमफिल के लिए लखनऊ यूनिवर्सिटी में एडमिशन लिया है। इसकी वजह से माइग्र्रेशन की जरूरत पड़ी है। बीते 15 दिन से भटक रहे हैैं लेकिन कोई कुछ बता नहीं रहा है. 

            अंकित यादव, स्टूडेंट