ढाई महीने की देरी
अभी तक एडमिशन प्रोसेस के चलते दस मेरिट जारी की जा चुकी हैं, लेकिन सरकारी कॉलेज अभी तक खाली हैं। वहीं सेल्फ फाइनेंस और प्राइवेट कॉलेजों में तो 90 परसेंट सीटें खाली पड़ी हैं। इसके साथ ही यूनिवर्सिटी के प्रोसेस के चलते एडमिशन सेशन पहले ही ढाई महीने लेट हो चुका है.

75 हजार सीटें खाली
यूजी के प्रोफेशनल कॉलेजों में करीब 32 हजार सीटें खाली हैं। सेल्फ फाइनेंस कॉलेजों में करीब 17 हजार सीटें खाली हैं। कुल मिलाकर यूजी में 56 हजार सीटें खाली हैं, जबकि प्राइवेट कॉलेजों की बात की जाए तो करीब 75 हजार सीटें कुल मिलाकर खाली हैं। क्या ये सीटें बिना ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन ओपन किए भर पाएंगी। जबकि यूनिवर्सिटी की वेबसाइट के अनुसार अभी भी 3 लाख 82 हजार स्टूडेंट रजिस्ट्रेशन कराने का इंतजार कर रहे हैं। यही हालात रहे तो प्राइवेट कॉलेज बंद हो जाएंगे। दस परसेंट स्टूडेंट्स में कॉलेज का खर्चा और टीचर्स की सेलेरी भी नहीं निकल पाएगी.

एसोसिएशन के सुझाव
- ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन और एडमिशन समानांतर शुरू किए जाएं.
- इसके लिए प्राइवेट कॉलेजों को एक महीने का समय दिया जाए.
- भले ही स्टूडेंट कॉलेज में जाकर एडमिशन कराए और साथ के साथ एडमिशन ले ले.
- सिर्फ नए रजिस्ट्रेशन के आधार पर ही एडमिशन हों.
- प्राइवेट कॉलेजों के लिए मेरिट जारी करने की भी जरुरत नहीं है, क्योंकि यहां पर सीटें ज्यादा और स्टूडेंट कम बचे हैं.

"इस बारे में मुख्यमंत्री को मौजूदा हालात से अवगत कराया गया है। साथ ही सचिव उच्च शिक्षा को भी लिखा गया है। उम्मीद है कि कॉलेजों को कुछ राहत दी जाएगी."
डॉ। वीएम सक्सेना, इंचार्ज लीगल सेल, एसोसिएशन ऑफ सेल्फ फाइनेंस प्राइवेट कॉलेज

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