भारत खाद्यान्न मामले में है आत्मनिर्भर, पर फसलों की बर्बादी भी हो रही है बहुत अधिक

- बनारस में 'नास' का खुलेगा सेंटर, पूर्वाचल की खेती को मिलेगी नई जान

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हमने 273 मिलियन मीट्रिक टन से भी अधिक खाद्यान्न उत्पादन के लक्ष्य को प्राप्त किया है। पर विडंबना यह है कि इसमें से तकरीबन 27 मिलियन टन खाद्यान्न बरबाद हो जा रहा है। अगर पैसे में देखा जाय तो यह बर्बादी 80 से 90 हजार करोड़ रुपये की आयेगी। यह बातें शनिवार को नेशनल एकेडमी ऑफ एग्रीकल्चर साइंस (नास) के प्रेसिडेंट प्रो। पंजाब सिंह ने मीडिया से कहीं। वह सुंदरपुर स्थित भारतीय सब्जी अनुसंधान केन्द्र के गेस्ट हाउस में पत्रकारों से बात कर रहे थे। बताया कि जल्द ही नास का सेंटर बनारस में स्थापित होगा। जिससे पूर्वाचल के किसानों को बहुत फायदा मिलेगा। उन्होंने कहा कि प्रोडक्शन तो भरपूर है लेकिन उस प्रोडक्शन के बदले किसान को कुछ भी नहीं मिल पा रहा है। कहा कि खेती बढ़ी है लेकिन किसान घट रहे हैं। आज 40 परसेंट से अधिक किसान खेती छोड़ कर किसी दूसरे रोजगार की आस में है।

सबसे गरीब आबादी भारत में

उन्होंने कहा कि आज विश्व में हमारी जगह छठें सबसे अमीर राष्ट्र की है। दुनिया की 7वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था हमारी है। इसके बावजूद यह भी उतना ही सत्य है कि भारत में दुनिया की सबसे बड़ी गरीब आबादी रहती है। इसलिए किसान जब सशक्त होगा तो देश सशक्त होगा। हम युवाओं को गांव से बाहर जाने से रोकें और उनमें ख्रेती के प्रति लगाव पैदा करें देश को हम विकसित राष्ट्र बना सकते हैं। वरना हमारे सारे दावे समाज के सिर्फ एक अति समृद्ध तबके के लिए ही सही साबित होगा। इसके विपरीत देश की अधिकतर आबादी भूखमरी और गरीबी से जूझती रहेगी।

फार्ड संवाद का लोकार्पण

प्रो। पंजाब सिंह ने फाउंडेशन फॉर एडवांसमेंट ऑफ एग्रीकल्चर एण्ड रूरल डेवलपमेंट (फार्ड) की ओर से प्रकाशित मैगजीन का लोकार्पण किया। फार्ड फाउंडेशन किसानों तथा ग्रामीण अंचलों में रहने वाले लोगों के जीवन स्तर में सुधार लाने के लिए काम कर रहा है।