RANCHI: हीमोफीलिया के मरीजों को अब चोट लगने पर हर बार फैक्टर लगाने के लिए नहीं आना होगा। रिम्स में प्रोफायलेक्सिस डोज की शुरुआत कर दी गई है, जहां हीमोफीलिया से ग्रसित छह बच्चों को प्रोफायलेक्सिस का डोज दिया गया। ऐसे में अब चोट लगने पर ब्लीडिंग से मरीज की स्थिति खराब नहीं होगी। इतना ही नहीं, छोटे बच्चों को स्कूल जाने में भी दिक्कतों का सामना नहीं करना होगा। ये बातें डॉ। संजय सिंह ने बच्चों को डोज देने के दौरान बताई। वहीं डॉ। गोविंद सहाय ने कहा कि इस नई व्यवस्था से सरकार पर भी थोड़ा कम बोझ पड़ेगा। वहीं हर बार फैक्टर लेने की समस्या से भी मरीजों को छुटकारा मिल जाएगा। मौके पर हीमोफीलिया सोसायटी वीमेन विंग की चेयरपर्सन मुक्ता जायसवाल, सेक्रेटरी संतोष कुमार जायसवाल, संगीता देवी, लक्ष्मी, सुषमा, वीणा समेत अन्य मौजूद थे।

हफ्ते में दो बार मिलेगा डोज

हीमोफीलिया से ग्रसित बच्चों को हफ्ते में दो बार प्रोफायलेक्सिस का डोज दिया जाएगा। इससे ब्लीडिंग की संभावना 50-60 परसेंट तक कम हो जाएगी। वहीं फैक्टर चढ़ाने की भी जरूरत नहीं पड़ेगी। वीमेन विंग ही इलाज के लिए आने वाले मरीजों को इसे लेकर जागरूक करेगी। बताते चलें कि हीमोफीलिया के मरीजों को चोट लगने पर इंटरनल ब्लीडिंग होती है। ऐसे में टाइम पर फैक्टर नहीं मिलने से कई बार मरीज की मौत भी हो जाती है।