व‌र्ल्ड बैंक सख्त करने जा रहा है अपनी गाइडलाइन। पहली किस्त से काम पूरा नहीं हुआ, तो जारी नहीं होगी अगली किश्त।

- कई सेक्टर्स में चल रहा है व‌र्ल्ड बैंक की फंडिंग से काम, समय से काम पूरा न होने की रही हैं शिकायतें।

- प्रदेश में ग्रामीण क्षेत्रों की योजनाओं पर फिलहाल लागू नहीं किया जाएगा प्रोग्राम फॉर रिजल्ट कॉन्सेप्ट।

DEHRADUN: उत्तराखंड की विभिन्न योजनाओं के लिए अरबों रुपए दे रहे व‌र्ल्ड बैंक की जल्द ही जारी होने वाली नई गाइडलाइन बेपरवाह सरकारी एजेंसियों पर भारी पड़ सकती है। ये गाइडलाइन न सिर्फ निर्माण एजेंसियों को झटका देगी, बल्कि उन्हें अपनी आदत सुधारने के लिए मजबूर भी करेगी। दरअसल, व‌र्ल्ड बैंक ने यह फैसला लगभग कर लिया है, कि उत्तराखंड के शहरी क्षेत्रों में होने वाले कार्यो के लिए वह प्रोग्राम फॉर रिजल्ट के कॉन्सेप्ट को लागू करेगा। यानी नया बजट तब ही दिया जाएगा जब पहले जारी किये गये बजट का समयबद्ध तरीके से उपयोग हो चुका होगा।

कई सेक्टर्स में व‌र्ल्ड बैंक कर रहा मदद

व‌र्ल्ड बैंक पेयजल, सफाई, सीवरेज सिस्टम से लेकर आपदा प्रबंधन और रोड निर्माण तक के लिए उत्तराखंड को फंडिंग कर रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों को पेयजल सुविधा उपलब्ध कराने वाले स्वैप प्रोजेक्ट का पहला चरण दिसंबर ख्0क्भ् में ही खत्म हुआ है। इसके तहत, 8ब्0 करोड़ के बजट से फ्8भ्क् योजनाओं पर काम हुआ है।

जवाबदेही पर फोकस करने पर जोर

व‌र्ल्ड बैंक ने उत्तराखंड की निर्माण एजेंसी के साथ काम करते हुए जवाबदेही की कई मौकों पर कमी महसूस की है। हाल ये है कि कई योजनाओं में पहली किश्त के तौर पर मिले बजट का इस्तेमाल किए बगैर दूसरी किस्त ले ली गई। मगर पहले चरण का काम ही निर्धारित समय पर पूरा नहीं हो पाया। इसी बात को ध्यान में रखते हुए व‌र्ल्ड बैंक ने अब साफ कर दिया है कि प्रोग्राम फॉर रिजल्ट कॉन्सेप्ट पर वह काम करेगा। राज्य जल एवं स्वच्छता मिशन के सलाहकार वीके सिन्हा के मुताबिक, व‌र्ल्ड बैंक का जोर काम की समयबद्धता और जवाबदेही से जुड़ा है। इससे और बेहतर रिजल्ट निकलकर आएंगे।

ग्रामीण क्षेत्रों की योजनाओं में शिथिलता

व‌र्ल्ड बैंक ग्रामीण फॉर रिजल्ट कॉन्सेप्ट को फिलहाल ग्रामीण क्षेत्रों में लागू नहीं करेगा। इसे सिर्फ शहरी क्षेत्रों, उसमें भी खास तौर पर पेरी अरबन इलाकों में लागू किया जाएगा। इसकी वजह ये ही मानी जा रही है कि ग्रामीण क्षेत्रों में संसाधनों के अभाव और तमाम सारी दूसरी दिक्कतों के कारण व‌र्ल्ड बैंक गांवों के साथ सख्ती नहीं करना चाहता। हालांकि देर-सबेर गांवों के मामले में भी इस कॉन्सेप्ट को लागू किया जा सकता है।