ई-रिक्शा का रास्ता हुआ साफ

मोदी सरकार ने ऑर्डिनेंस रूट का सहारा लेते हुए ई-रिक्शा और ई-कार्ट्स को रेगुलराईज कर दिया है. हालांकि ई-रिक्शा को चलाने के लिए कुछ तय नियमों का पालन करना जरूरी होगा. मसलन एक ई-रिक्शा रोड पर चलते हुए अधिकतम चार सवारियों को बिठा सकता है. इसके साथ ही ई-रिक्शा की गति 25 किलोमीटर से ज्यादा नहीं की जा सकती. उल्लेखनीय है कि सरकार ने इन थ्री-व्हीलर्स में 2000 वाट से ज्यादा की मोटर होना आवश्यक बनाया है. इसके अलावा मोदी सरकार ने ई-कार्ट्स के लिए भी नियम बनाए हैं. इन नियमों के अनुसार एक ई-कार्ट के लिए एक बार में 40 किलोग्राम से अधिक भारी सामान ढोना अवैध है. इसके अलावा ई-रिक्शा और ई-कार्ट को रजिस्ट्रेशन मार्क डिस्प्ले करने से जुड़े डॉक्यूमेंट जैसे लेटर्स के साइज, ट्रांसफर ऑफ ओनरशिप, सर्टिफिकेट एंड फिटनेस आदि का पालन करना होगा.

गरीबों के लिए मददगार हैं ई-रिक्शा

लोकसभा में ट्रांसपोर्ट मिनिस्टर नितिन गडकरी ने मोटर व्हीकल अमेंडमेंट बिल के डिस्कशन में कहा, 'ई-रिक्शा अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अल्पसंख्यक वर्ग के गरीबों के लिए बेहद मददगार होंगे. इसके बाद संसद सदस्यों ने ई-रिक्शा से जुड़े खतरों के बारे में भी प्रश्न किए जिनका गडकरी ने समुचित रूप से जवाब दिया.

अब रजिस्टर करानें होंगे ई-रिक्शा

ई-रिक्शा को वैध बनाए जाने के बाद अब ई-रिक्शा मालिकों को ऑटोमोबाइल नियमों के तहत अपने रिक्शों को रजिस्टर कराना होगा. इन नियमों में ऑटोमोबाइल लैंप, व्हील रिम, इंस्टॉलेशन, लाइटिंग और लाइट सिग्नलिंग डिवाइसेज की परफॉर्मेंस जैसे मानकों को फॉलो करना पड़ेगा.

आखिर बंद क्यों हुए थे ई-रिक्शा

देश में ई-रिक्शा का चलन दिल्ली, उत्तरप्रदेश, वेस्ट बंगाल और महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा है. इन राज्यों में यह ई-रिक्शे डीजल या सीएनजी से चलने वाले वाहनों को कड़ी टक्कर दे रहे थे. लेकिन इसी बीच इन वाहनों से होने वाले एक्सीडेंट के मामले सामने आए जिनमें किसी प्रकार का रजिस्ट्रेशन ना होने की वजह से वाहन चालकों को पकड़ा नही जा सका. इसके साथ ही यात्री इंश्योरेंस भी क्लेम नही कर सके. इसके बाद दिल्ली हाईकोर्ट में ई-रिक्शों के खिलाफ एक जनहित याचिका दायर की गई जिसकी सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने इन रिक्शों के ऑपरेशन पर प्रतिबंध लगा दिया था.

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