- चचेरे भाइयों ने ही करवाया था मर्डर, विधायक को फंसाने के लिए दिया था घटना को अंजाम

- खुद को बेदाग दिखाने के लिए कंधे पर मरवाई थी गोली, तमंचा व मर्डर में इस्तेमाल बाइक बरामद

ALLAHABAD:

अपनों ने फिर से रिश्ते को कलंकित कर दिया। प्रापर्टी डीलर व कारोबारी ललित वर्मा के कातिल उसके चचेरे भाई विक्रम व संतोष ही निकले। ललित को रास्ते से हटाकर चचेरे भाई एक तीर से दो निशाना मारना चाहते थे। ललित को मारकर रास्ते का कांटा निकालना और विरोधी एडवोकेट राजेश त्रिपाठी व विधायक पूजा पाल को फंसाना उनका मकसद था। खुद पर शक न हो, इसलिए विक्रम ने अपने कंधे पर गोली मरवा ली थी। पुलिस ने उसके बयान की वीडियो रिकार्डिग कराने के बाद मर्डर में इस्तेमाल तमंचे व पल्सर बाइक को बरामद कर लिया है। इस मामले में संतोष व उसका साथी पूरामुफ्ती कौशांबी का राजा पाल फरार है।

एफआईआर निकली गलत

ललित वर्मा का मर्डर सिविल लाइंस में पंचशील कालोनी में आईजी रेलवे के बंगले के पास सुनसान गली में तीन फरवरी की रात हुआ था। गोली ललित के सिर में लगी थी जबकि उसका चाचा मान सिंह का बेटा विक्रम जख्मी हो गया था। मामले में नया मोड़ तब आया जब ललित के पिता विनोद ने खुद को घटना का चश्मदीद बताते हुए विधायक पूजा पाल समेत सात को नामजद कर दिया। उन्होंने घटना स्थल भी बदल दिया। कहा कि कातिल सफारी से आए थे। जब पुलिस ने पंचशील कालोनी में लगे सीसीटीवी कैमरों की जांच की तो सफारी की कहानी फर्जी निकली। यह भी पता चला कि विनोद स्पॉट पर नहीं था। सीसीटीवी कैमरों से दो बाइक से चार लोगों के स्पॉट तक जाने की पुष्टि हुई। बाद में वहां से लौटते हुए तीन लोग ही दिखते हैं। एक बाइक से था जबकि दो पैदल थे। मंगलवार को एसएसपी केएस इमेनुएल ने विक्रम को मीडिया के सामने पेश कर घटना के खुलासे का दावा किया। कहा कि जिन लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई गई थी, उनके नाम हटा दिए गए हैं।

तो ललित मार देता

एसएसपी के मुताबिक विक्रम को डर था कि ललित विरोधी पूजा पाल व एडवोकेट राजेश को फंसाने के लिए उसका मर्डर कर सकते हैं। उसके मर्डर की प्लानिंग ताऊ विनोद व उनके बेटे जितेंद्र ने नैनी जेल में बनाई थी। जेल में राजेश त्रिपाठी पर जानलेवा हमले के मामले में विनोद, जितेंद्र के साथ ही विक्रम का सगा भाई सोनू भी बंद था। सोनू ने दोनों को बात करते हुए सुना था और विक्रम को इसकी जानकारी दी थी। यह मामला दो महीने पहले का है। विनोद को बाद में जमानत मिल गई थी तो विक्रम को अपनी जान पर खतरा नजर आने लगा। वह ललित को तीन फरवरी को एडवोकेट से मिलने के बहाने साथ लेकर सिविल लाइंस पहुंचा। पीछे-पीछे संतोष व राजा पाल थे। ललित बाइक पर विक्रम के साथ था। विक्रम ने सन्नाटा देखकर ललित को उतार दिया और पीछे से आए संतोष ने सिर में गोली दाग दी। विक्रम पर किसी को शक न हो, इसलिए संतोष ने ही उसके कंधे में गोली मार दी। सीसीटीवी में तीनों साथ-साथ एमजी रोड पर जाते हुए दिखे हैं।

भाई की मौत का जिम्मेदार मानता था

विक्रम अपने सगे भाई रंजीत की मौत के लिए ताऊ विनोद के बड़े बेटे जितेंद्र को जिम्मेदार मानता था। उनका कहना था कि चलती ट्रेन से जितेंद्र ने ही रंजीत को धक्का दे दिया। रंजीत की मौत मुंबई से लौटते वक्त शंकरगढ़ में ट्रेन से गिरने से हुई थी। उसको डर था कि ताऊ के बेटे प्रापर्टी की लालच में उसको भी रास्ते से हटा सकते हैं। उसको यह बात पता चल गई थी कि मकसद विरोधियों को ही फंसाना है तो ललित से पहले वही क्यों न चाल चल दे। राजेश व विधायक से प्रापर्टी को लेकर झगड़ा है। जहां ललित की फैमिली का मार्केट है, उसी के पीछे विधायक का ऑफिस है।

मीडिया के सामने पलटा

पुलिस ने विक्रम के बयान की वीडियो रिकार्डिग पेश की। इसके बाद विक्रम को बुलाया गया। वह कैमरों के सामने अपने बयान से पलट गया। कहा कि उसको मारकर पुलिस ने जुर्म कुबूल करवाया है।

बाक्स

साजिश में पूर्व सांसद का नाम

विधायक पूजा पाल का नाम एफआईआर में डलवाने में एक पूर्व सांसद का नाम भी सामने आया। आरोप लगा कि विधायक को फंसाकर वह अपनी रोटी सेंकना चाहते हैं। विक्रम की फैमिली को पूर्व सांसद पीछे से सपोर्ट कर रहे थे।

यह हुए थे नामजद

पूजा पाल, विधायक

संदीप यादव

राहुल पाल, विधायक का भाई

दिलीप पाल

मुकेश केसरवानी

राजेश त्रिपाठी, एडवोकेट

पृथ्वी पाल

अरेस्ट

विक्रम सिंह, जयंतीपुर कालोनी

फरार

संतोष सिंह, जयंतीपुर

राजापाला, पूरामुफ्ती कौशांबी