फ्लैग : रिश्वत मांगने के आरोपी बाबू बनवारी लाल के बचाव में उतरा कर्मचारी संघ पड़ा भारी

-दोपहर बाद मेयर ने विवाद का किया पटाक्षेप, तब ऑफिस में खुले ताले

- मेयर बोले हम सब एक परिवार के सदस्य हैं झगड़ा ठीक नहीं

BAREILLY:

नगर निगम में सम्पत्ति नाम चेंज कराने के लिए 2500 रुपए रिश्वत मांगने का मसला कर्मचारियों के भारी विरोध के बीच गायब हो गया। उपसभापति के सिर अभद्रता का ठीकरा फोड़कर साथी कर्मचारी के बचाव में उतरा नगर निगम कर्मचारी संघ अपने मकसद में सफल हो गया। जब मेयर ने उपसभापति और आरोपी बाबू को एक परिवार का सदस्य बताकर विवाद का पटाक्षेप कर दिया, लेकिन वह बाबू पर लगे आरोप की जांच कराना भूल गए, जो उपसभापति से पब्लिक ने की थी और जिसको लेकर विवाद हुआ था।

आइंदा ऐसा नहीं होगा ऐसा

विवाद का पटाक्षेप होने से पहले लगातार तीसरे दिन नगर निगम में कामकाज ठप रहा। लिहाजा, दोपहर तक आए फरियादियों को वापस लौटना पड़ा। बता दें कि मेयर थर्सडे को दोनों पक्षों से मिले थे, लेकिन रिश्वत मांगने के आरोपी बनवारी लाल मौर्या के नहीं होने से कर्मचारी नेताओं ने समझौता करने से साफ मना कर दिया। लिहाजा, थर्सडे को पूरे दिन कोई काम नहीं हो सका। फ्राइडे को कर विभाग के लिपिक बनवारी लाल, उपसभापति अतुल कपूर और यूनियन के नेताओं को एक साथ समझौते के लिए बुलाया गया। उपसभापति अतुल कपूर का कहना था कि उन्होंने कोई अभद्रता नहीं की है। मेरे ऊपर लगे आरोप गलत हैं। वहीं बनवारी लाल मौर्या अपने ऊपर लगे रिश्वत मांगने के आरोप को गलत ठहराया।

क्या है पूरा मामला

बता दें कि दो दिन पहले बमनपुरी निवासी एडवोकेट ऋषिकांत सम्पत्ति के नाम में परिवर्तन के लिए नगर निगम गये हुए थे। जो कि पिछले 25 दिन से नगर निगम का चक्कर काट रहे थे। ऋषिकांत की यह शिकायत थी कि बनवारी लाल मौर्या उनसे नाम परिवर्तन के एवज में 2500 रुपए रिश्वत मांग रहा है। जिसकी शिकायत उन्होंने उपसभापति से की। उसके बाद ही मामला बिगड़ गया, कर्मचारी हड़ताल पर चले गये थे।

बाबू पर लगे रिश्वत के आरोप की जांच कराई जाएगी। रिश्वतखोरी को किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

उमेश गौतम, मेयर