- रोड ट्रांसपोर्ट एंड सेफ्टी बिल पर विरोध किया श्रमिक संगठनों ने

- रेलवे, एसबीआई और बैंक ऑफ बड़ौदा नहीं शामिल थे हड़ताल में

- बैंक और पोस्ट ऑफिस की हड़ताल से करोड़ों की क्लियरिंग के नुकसान का आंकलन

LUCKNOW: देशव्यापी हड़ताल प्रदेश की राजधानी में मिलाजुला असर दिखा। 12 सूत्रीय मांगों को लेकर केंद्र, राज्य और प्राइवेट सेक्टर्स के कर्मचारियों ने वेडनेसडे को भारत बंद का ऐलान किया था। हालांकि, रेलवे और भारतीय स्टेट बैंक के कर्मचारी इसमें शामिल नहीं थे। इस हड़ताल से बैंकिंग, बीमा, रोडवेज, एयरवेज, तेल और गैस से जुड़े संस्थानों में सेवाएं ठप रही। परिवहन सेवा ठप होने से स्कूल और ऑफिस जाने वाले लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ा। हालांकि, सिटी में ऑटो, टैम्पो ने पब्लिक को राहत दी। वहीं, पोस्ट ऑफिस और बीमा कंपनीज में कामकाज ठप होने से बड़े पैमाने पर घाटा हुआ है।

चारबाग से जीपीओ तक निकाली रैली

राजधानी में भी कर्मचारियों ने हड़ताल हुंकार भरी। कर्मचारी नेताओं ने बताया कि स्टेट बैंक और बैंक ऑफ बड़ौदा को छोड़कर बाकी सभी बैंक के कर्मचारी हड़ताल में शामिल रहे। बीमा, इनकम टैक्स, बीएसएनएल और पोस्ट ऑफिस के कर्मचारियों के हड़ताल पर रहने से वहां भी लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ा। दिन में विभिन्न श्रमिक संगठनों ने सेंटर फॉर ट्रेड यूनियंस के बैनर तले चारबाग से जीपीओ तक रैली निकालकर केंद्र की श्रमिक विरोधी नीतियों का विरोध किया। उनका कहना था कि सरकार अगर अपने निजीकरण के रास्ते को नहीं छोड़ेगी तो कर्मचारी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर भी जा सकते हैं।

बिजली विभाग भी स्ट्राइक पर

यूपी राज्य विद्युत अभियंता संघ ने भी हड़ताल का समर्थन किया था। संगठन के सदस्यों ने विरोध सभा कर केंद्र सरकार की श्रमिक विरोधी नीतियों के प्रति अपनी नाराजगी जताई। जूनियर इंजीनियर्स के संगठन राज्य विद्युत परिषद जूनियर इंजीनियर्स संगठन इस हड़ताल में प्रत्यक्ष रूप से शामिल हुआ। हालांकि, उन्होंने बिजली आपूर्ति को बाधित नहीं किया लेकिन इसके अलावा नए कनेक्शन से लेकर बिलिंग तक के काम प्रभावित रहे। ऐसे में बिजली उपभोक्ता मायूस होकर विभागों से लौट गए।

दो हिस्से में बंटने से बेअसर रही हड़ताल

केंद्र सरकार से अपनी मांगों की सहमति न मिलने से श्रमिक संगठनों में जबरदस्त आक्रोश नजर आया। काफी लंबा समय दिए जाने के बाद भी केंद्र सरकार पर बिल में संशोधन का कोई असर नहीं पड़ने से गुस्साये श्रमिक संगठन ट्यूज्डे नाइट से ही हड़ताल पर चले गए थे। केंद्र की श्रमिक विरोधी नीतियों के विरोध में कम्युनिस्ट संगठनों की ओर से बुलाए गए राष्ट्रव्यापी बंद का असर राजधानी में मिलाजुला दिखा। आंशिक रूप से बैंकों के काम पर असर पड़ा। हालांकि दो हिस्सों में बंटे कर्मचारियों और अधिकारियों की वजह से बैंकों में हड़ताल पर कोई खास असर नहीं दिखा।

ये हैं प्रमुख मांगें

- दुर्घटना की दशा में चालकों के खिलाफ सात साल की कैद और तीन लाख रुपए के अर्थदंड को समाप्त किया जाए।

- निजी कंपनियों को ड्राइविंग लाइसेंस बनाने और फिटनेस सर्टिफिकेट देने के प्रावधान को समाप्त किया जाए।

- राष्ट्रीय और राज्य प्राधिकरण गठित करने और कॉरपोरेट बॉडी बनाने के नियम को समाप्त किया जाए।

- परिवहन निगमों का पूर्व की तरह विशेष दर्जा बरकरार रखा जाए।

- बिल में बसों का वर्गीकरण पूर्व की ही तरह स्टेज कैरेज और कांट्रेक्ट कैरेज बरकरार रखा जाए।

- राष्ट्रीय प्राधिकरण का गठन करने और उसे टैक्स वसूलने के अधिकार संबंधी प्रावधान को समाप्त कर पहले की ही तरह ये अधिकार राज्यों के पास बहाल रखे जाएं।

- मोटर ट्रांसपोर्ट वर्कर्स एक्ट 1961 में काम के घंटे बढ़ाने के प्रस्ताव को वापस लिया जाए।

बसें ठप, भटकते रहे पैसेंजर्स

समय: सुबह आठ बजे: जगह: चारबाग बस अड्डा। प्लेटफार्म एक से लेकर 30 तक पैसेंजर्स की भीड़ लगी थी। किसी को गोरखपुर जाना था तो किसी को दिल्ली। लोग बसों के बारे में जानकारी करने में जुटे थे। बसों के बाहर खड़े ड्राइवर्स और कंडक्टर्स से हुई बातचीत में जब पैसेंजर्स को पता चला कि हड़ताल के चलते बसें रवाना नहीं की जाएंगी, तो उनके होश फाख्ता हो गए। चिलचिलाती गर्मी में बस अड्डे पहुंचे पैसेंजर्स को उल्टे पांव वापस लौटना पड़ा। वहीं, निगम के कर्मचारियों की माने तो हड़ताल के चलते लखनऊ यूनिट को ही अकेले 70 लाख रुपये का नुकसान उठाना पड़ा है जबकि प्रदेश में लगभग सात करोड़ के घाटे का आकलन किया जा रहा है।

प्राइवेट टैक्सी और ट्रेन का सहारा

ट्रेड यूनियंस की आह्वान पर बुधवार को भारत बंद आंदोलन में रोड सेफ्टी बिल के विरोध में उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम (यूपीएसआरटीसी) से जुड़े संगठनों के शामिल होने से खासी परेशानी का सामना करना पड़ा। बसें न मिलने से राजधानी के बस अड्डे पहुंचे पैसेंजर्स को या तो प्राइवेट टैक्सी का सहारा लेना पड़ा या फिर रेलवे स्टेशन का रुख करना पड़ा। हालांकि, परिवहन निगम के अधिकारियों ने बताया कि हमारे यहां हड़ताल का कोई असर नहीं है जबकि बसों का संचालन दिनभर ठप रहा।

घाटे भरा दिन

निगम के कर्मचारियों की माने तो हड़ताल के चलते लखनऊ यूनिट को ही अकेले 70 लाख रुपये का नुकसान उठाना पड़ा है जबकि प्रदेश में लगभग सात करोड़ के घाटे का आकलन किया जा रहा है। लखनऊ चारबाग से रोजाना 80 हजार और कैसरबाग बस अड्डे से रोजाना 35 हजार पैसेंजर्स सफर करते हैं। परिवहन निगम के कर्मचारियों की हड़ताल पर रहने पर लखनऊ से बसों का संचालन नहीं किया जा सका। अन्य क्षेत्रों से इक्का-दुक्का बसें ही राजधानी पहुंची। परिवहन निगम कर्मचारियों का कहना था कि हड़ताल के चलते बस अड्डे से बसों को हटा दिया गया है। उनका संचालन आउटर से हो रहा है।

परिवहन निगम की यूनियन भी शामिल

हड़ताल में यूपी रोडवेज इम्प्लाइज यूनियन के प्रांतीय अध्यक्ष रामजी त्रिपाठी, महामंत्री तेज बहादुर शर्मा, यूपी रोडवेज वर्कर्स यूनियन के प्रांतीय अध्यक्ष हकदाद खां, महामंत्री आरसी श्रीवास्तव, मंत्री जियाउद्दीन, रजनीश मिश्रा, क्षेत्रीय महामंत्री पीसी मिश्रा, शाखा अध्यक्ष आरएस वर्मा, संविदा कर्मचारी संघर्ष यूनियन के महामंत्री कन्हैया लाल पांडेय, क्षेत्रीय अध्यक्ष कौशलेंद्र सिंह के अलावा तमाम कर्मचारी, चालक व परिचालक बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया।

हड़ताल का कोई खास असर निगम की बसों पर नहीं पड़ा। इसके लिए पहले से ही इंतजाम किए गए थे। पैसेंजर्स को अधिक परेशानी का सामना नहीं करना पड़ा।

-के रविंद्र नायक

एमडी, यूपीएसआरटीसी।

पैसेंजर्स से बातचीत

कैसरबाग बस अड्डे पर बस न चलने से सिर्फ मुझे ही नहीं तमाम पैसेंजर्स को खासी परेशानी नहीं हुई। अन्य विकल्प तलाशे लेकिन बहुत से लोग वापस घर लौट गए।

रजनीश, पैसेंजर।

मुझे गोंडा जाना था। पांच को कृष्णजन्माष्टमी की छुट्टी है और नेक्स्ट डे संडे। ऐसे में दो दिन पहले ही छुट्टी लेकर घर जाना था। अब तो रात तक इंतजार करना पड़ेगा।

शुभम, पैसेंजर

बसों की समय सारिणी को ध्यान में रखते हुए मैं सुबह सात बजे ही यहां आ गया। मुझे यहां से फैजाबाद जाना था लेकिन बस न मिलने से आज की यात्रा टालनी पड़ी।

निजाम, पैसेंजर

सीतापुर में कुछ जरूरी काम था। फैमिली के साथ घर से आया था लेकिन बस ना मिलने के कारण अब वापस लौट रहा हूं।

गुड्डू, पैसेंजर

जानी हकीकत

हड़ताल के दौरान परिवहन निगम के मुख्य प्रधान प्रबंधक संचालन एचएस गाबा ने चारबाग और कैसरबाग बस अड्डों का निरीक्षण किया। उन्होंने यह जानने की कोशिश की कि इस हड़ताल से पैसेंजर्स परेशान हैं या नहीं। उनके साथ ही महाप्रबंधक राजीव चौहान, क्षेत्रीय प्रबंधक एके सिंह भी मौजूद रहे।

कर रखी थी प्लानिंग

रोडवेज अधिकारी दिनभर हड़ताल की बात से इंकार करते रहे। उनका कहना है कि बसों का संचालन विभिन्न रुट पर रोज की तरह ही किया गया। महाप्रबंधक राजीव चौहान ने बताया कि कुल तीन से अधिक बसों का संचालन किया गया। 121 बसों का संचालन बस अड्डों से और आउटर से 132 बसों का संचालन किया गया। निगम के अधिकारियों ने बताया कि मंगलवार रात में ही बसों को बस स्टॉप से बाहर भेजा जा चुका था जिससे उनके संचालन में दिक्कत न हो।