- पुलिस अब तक नहीं खोज पाई अफसाना के कातिल को

- गम और गुस्से के साथ लोग हर रोज उतर रहे हैं सड़क पर

- अभाविप ने मारवाड़ी कॉलेज से अल्बर्ट एक्का चौक तक निकाला मार्च

RANCHI (19 Apr) : सिटी में बेटियों की सुरक्षा के सवाल पर युवाओं में आक्रोश बढ़ता ही जा रहा है। हर रोज लोग सड़क पर उतर कर प्रदर्शन कर रहे हैं। अफसाना के कातिलों का अब तक कोई सुराग नहीं मिला है, जबकि पुलिस दस दिन पहले ही कह चुकी थी कि वह जल्द ही मामले का पटाक्षेप कर देगी। इस मुद्दे को लेकर अफसाना के कॉलेज के स्टूडेंट्स ने गुरुवार को आक्रोश मार्च निकाला। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (अभाविप) के बैनर तले स्टूडेंट्स ने मारवाड़ी कॉलेज से लेकर अल्बर्ट एक्का चौक तक मार्च निकाला और बेटियों के खिलाफ हो रही हिंसा के खिलाफ नारेबाजी भी की।

'डीजे-आईनेक्स्ट' के साथ प्रदर्शन

मारवाड़ी कॉलेज के स्टूडेंट्स ने 'दैनिक जागरण-आईनेक्स्ट' की प्रतियों के साथ प्रदर्शन किया। स्टूडेंट्स ने कहा कि अखबार में लगातार इस आशय की खबरें प्रकाशित हो रही हैं कि सिटी की 'बेटियां अनसेफ' हैं। इस पर गंभीरता के साथ विचार करते हुए सरकार को उचित कदम उठाने चाहिए।

बन रहा है भययुक्त माहौल

मार्च में शामिल अभाविप की राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य जागृति उपाध्याय ने कहा कि जिस प्रकार से देश भर में बलात्कार की घटनाएं बढ़ी हैं, उससे छात्राओं के लिए एक भययुक्त माहौल बन रहा है, जो 'बेटी पढ़ाओ, बेटी बचाओ' के लक्ष्य में रुकावट प्रतीत होता है। झारखंड में पिछले एक वर्ष में लगभग 181 घटनाएं बलात्कार से संबंधित हुई हैं ,जिस पर मामले दर्ज हैं, लेकिन पुलिस अब तक कुछ नहीं कर पाई है ।

सीबीआई जांच हो, कठोर नियम बनें

मार्च में शामिल अभाविप के सदस्यों ने कहा कि राज्य सरकार झारखंड में हुई घटनाओं की अविलंब सीबीआई जांच कराए। साथ ही पूरे देश में ऐसी घटनाओं पर रोक लगाने के लिए कठोर नियम बनाये जायें एवं सख्ती से उसका पालन भी हो। मार्च में कॉलेज अध्यक्ष विपुल तिवारी, वर्षा खलखो, कॉलेज की छात्रा प्रमुख प्रगति दूबे, अनु कुमारी, करिश्मा कुमारी, अनुराधा रॉय, निशा कुमारी, मधु कटिवाल, प्रीती कुमारी, शिवानी सिंह सहित अन्य कार्यकर्ता मौजूद थे।

स्टूडेंट्स के कोट

ऐसे आपराधिक कृत्य करने वाले अमानवीय लोगों को मौत की सजा दी जानी चाहिए और देश में ऐसी घटनाओं पर लगाम लगाने हेतु सरकार व समाज को गहन चिंतन करना चाहिए।

ाजल तिवारी

बलात्कार पर कड़े कानून और समयबद्ध न्याय सुनिश्चित होना चाहिए। साथ ही, समाज में पर महिला विरोधी हिंसा के खिलाफ जन-जागरूकता अभियान चलाने की भी आवश्यकता है ।

करिश्मा कुमारी

जिन लोगों ने ऐसा घृणित अपराध किया है उनको कड़ी सजा मिलनी चाहिए। सरकार यह सुनिश्चित करे कि बेटियां सुरक्षित माहौल में पढ़ने के लिए अपने-अपने स्कूल-कॉलेज जा सकेंगी।

आकांक्षा वर्मा

महिलाओं पर सुनियोजित ढंग से हमले हो रहे हैं। इन पर केवल एफआईआर दर्ज कर सो जाने से कुछ नहीं होगा। कार्रवाई के स्तर पर जवाबदेही तय होनी चाहिए, तभी हिंसा कम होगी।

नुराधा रॉय

जब कभी महिलाओं के साथ अमानवीय कृत्य होता है, तो लोग जागते हैं पर थोड़े दिनों के बाद सबकुछ पहले जैसा ही चलने लगता है। हमें इस परिपाटी को तोड़ना हो। सुरक्षा वैकल्पिक नहीं, अनिवार्य हो।

निशा कुमारी

जब तक एक भी बेटी असुरक्षित है, तब तक किसी नारे को सफल नहीं किया जा सकता। समाज को भी सचेत रहना होगा, ताकि किसी बेटी के साथ कोई अन्याय न होने पाये।

प्रगति दूबे

हिंसा के इस माहौल में बेटियों को शिक्षण संस्थानों में भेजना भी अभिभावकों के लिए मुसीबत बन गया है। सरकार यह सुनिश्चित करे कि अपराधियों को खुली छूट नहीं दी जाएगी।

दीपेश कुमार