-अब आंगनबाड़ी कार्यकताओं की ली जा रही मदद

DEHRADUN : आशा कार्यकर्ताओं की हड़ताल से पल्स पोलियो अभियान को जबदस्त झटका लगा है। अभियान के पहले दिन आमतौर पर भ्0 प्रतिशत से अधिक बच्चों को बूथों पर दवा पिलाई जाती है, लेकिन इस बार केवल ब्फ्.ब्8 प्रतिशत बच्चों को ही दवा पिलाई जा सकी है। सोमवार से शुरू हुआ घर-घर जाकर दवा पिलाने का अभियान भी आशा वर्कर्स के बहिष्कार से प्रभावित हो रहा है। स्वास्थ्य विभाग अब डोर-टू-डोर कार्यक्रम में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की मदद ले रहा है।

ख् लाख से ज्यादा बच्चे

इस पल्स पोलियो अभियान में कुल ख् लाख क्भ् हजार क्90 बच्चों को पोलियोरोधी दवा पिलाने का लक्ष्य रखा गया है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा लगातार हड़ताल कर रही आशा वर्कर्स को मनाने का प्रयास किया गया, लेकिन आशा वर्कर्स अपनी न्यूनतम मजदूरी की मांग पूरी हुए बिना काम करने के लिए तैयार नहीं हुई। इसके बाद आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को इस अभियान में शामिल करना पड़ा।

एएनएम का काम बढ़ा

आशा वर्कर्स की हड़ताल के कारण एएनएम का काम बढ़ गया है। आशा वर्कर्स के रहते हुए हर टीम के साथ एएनएम का होना जरूरी नहीं था, लेकिन इस बार हर टीम के साथ एक एएनएम को होना जरूरी है।

कई दिनों से हैं हड़ताल पर

पिछले क्क् सालों में यह पहला मौका है, जबकि आशा वर्कर्स पल्स पोलियो अभियान में साथ नहीं दे रही हैं। वे न्यूनतम मजदूरी की मांग को लेकर पिछले कई दिनों से हड़ताल पर हैं। हालांकि शुरुआती दौर में आशा वर्कर्स ने तय किया था कि पल्स पोलियो जैसे राष्ट्रीय अभियान में वे जरूर शामिल होंगी, लेकिन अधिकारियों और शासन में बेरुखी को देखते हुए उन्होंने अपनी राय बदल ली।

आशा वर्कर्स के न रहने से दिक्कतें तो हो रही हैं, लेकिन हम आंगनबाड़ी वर्कर्स और कुछ एनजीओ की मदद ले रहे हैं। बूथ पर लक्ष्य कुछ कम रहा, लेकिन डोर-टू-डोर प्रोग्राम का पहला दिन ठीक रहा। हालांकि सोमवार को कितने बच्चों को दवा पिलाई गई, यह कल तक ही पता चल पायेगा। एक-दो दिन और कार्यक्रम चलाना पड़ेगा, लेकिन हम लक्ष्य पूरा कर लेंगे।

डॉ। उत्तम सिंह चौहान, जिला कार्यक्रम अधिकारी