-कर्मचारी परिषद ने हड़ताल को बताया सफल, गुरुवार को कई और संगठन हो सकते हैं शामिल

-स्वास्थ्य सेवा पर व्यापक असर, निजी हॉस्पिटल्स जाने को मजबूर मरीज

LUCKNOW: राज्य कर्मचारियों की हड़ताल ने बुधवार को प्रदेशवासियों को जमकर छकाया। अस्पतालों में सुबह तीन घंटे के कार्य बहिष्कार के दौरान ओपीडी ठप रहीं और जांच कराने आए मरीजों को भी परेशान होना पड़ा। वहीं, पीडब्ल्यूडी, उद्यान, परिवहन, वाणिज्य कर और शिक्षा विभाग के दफ्तरों में सन्नाटा पसरा रहा। राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष हरिकिशोर तिवारी ने दावा किया है कि हड़ताल पूर्णतय: सफल है। बुधवार को हड़ताल के असर से उत्साहित परिषद ने गुरुवार से कई और संगठनों को भी हड़ताल से जोड़ने की कोशिश शुरू कर दी है। राजधानी में हड़ताल का सबसे ज्यादा असर स्वास्थ्य सेवाओं पर देखने को मिला, जहां अस्पताल पहुंचे मरीज इलाज न मिलने की वजह से निजी हॉस्पिटल्स का रुख करने को मजबूर हुए।

तीन घंटे दवाओं, जांच को परेशान

राज्य कर्मचारी परिषद के आह्वान पर बुधवार को बलरामपुर, सिविल, लोहिया, लोकबंधु व अन्य अस्पतालों में भी कर्मचारियों ने सेवाएं ठप रखीं। सुबह 11 बजे तक की गई हड़ताल के कारण मरीज बेहाल रहे। जांचों से लेकर दवाओं तक के लिए मरीज भटकते रहे। हालांकि कार्य बहिष्कार के दौरान इमरजेंसी सेवाएं बहाल रहीं। अस्पतालों के विभिन्न संवर्ग के कर्मचारियों ने कर्मचारी परिषद के समर्थन में सुबह 11 बजे तक सेवाएं ठप रखी। हड़ताल के चलते सुबह से अल्ट्रासाउंड, एक्स रे आदि जांच कराने आये मरीजों को मायूस होकर लौटना पड़ा।

आरटीओ दफ्तर मे भी काम ठप

बुधवार को राजधानी के ट्रांसपोर्ट नगर स्थित आरटीओ कार्यालय व रहीमनगर स्थित एआरटीओ कार्यालय में ड्राइविंग लाइसेंस, रजिस्ट्रेशन, आरसी व अन्य कार्यो को कराने पहुंची आम जनता को मायूस होकर वापस लौटना पड़ा। आरटीओ व एआरटीओ कार्यालय का कामकाज पूरी तरह से बंद रखा। हालांकि, अधिकारी जरूर दफ्तर में मौजूद रहे लेकिन, कर्मचारियों की अनुपस्थिति में कोई काम न हो सका। आरटीओ कार्यालय कर्मियों के पहले दिन की हड़ताल में विभाग को तकरीबन एक करोड़ रुपए का सीधे तौर पर नुकसान का अनुमान लगाया जा रहा है।

माध्यमिक व बेसिक कार्यालयों में काम ठप

राज्य कर्मचारी परिषद की ओर से पूरे प्रदेश में बुलाई गई तीन दिवसीय हड़ताल का असर माध्यमिक शिक्षा व बेसिक शिक्षा विभाग के दफ्तरों पर भी देखने को मिला। बुधवार को राजधानी के माध्यमिक और बेसिक शिक्षा परिषद के कार्यालयों में किसी तरह का कोई काम नहीं हुआ। सुबह से ही विभाग के कर्मचारी अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के बाद कार्यालय के बाहर एकत्र हुए। इसके बाद सांकेतिक धरना प्रदर्शन किया। इसके बाद पूरे दिन वह कार्यालय में इधर-उधर बैठकर टाइम पास करते रहे। दोनों ही कार्यालय में काम से आने वाले लोगों को हड़ताल की बात कहकर गेट पर ही वापस लौटा दिया जा रहा था। यहां तक हड़ताल होने के कारण कुछ एक अधिकारियों को छोड़कर सभी अपने कार्यालय से गायब थे।

बोझ 500 करोड़ सालाना, नुकसान 800 करोड़ रोज का

कर्मचारी नेताओं ने दावा किया है कि राज्य कर्मचारियों की मांगें पूरी होने से सरकार पर महज 500 करोड़ रुपये सालाना का बोझ बढ़ता, जबकि सिर्फ एक दिन की हड़ताल से ही कर्मचारी नेताओं ने करीब 800 करोड़ रुपये नुकसान हुआ है। उनका कहना है कि हड़ताल में मनरेगा कर्मचारियों के शामिल होने से अकेले मनरेगा में ही लगभग 250 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है.तीन दिन तक चलने वाली हड़ताल में कुल 2400 करोड़ रुपये नुकसान की संभावना है। नेताओं का कहना है कि सरकार अपनी हठधर्मिता के चलते यह नुकसान करा रही है, जबकि हड़ताल से होने वाले नुकसान से सरकार अगले पांच साल का वित्तीय बोझ निपटा सकती है।

क्या है मांगे

-केंद्रीय कर्मचारियों के समान एचआरए हो

-पूर्व में की गई सेवाओं तदर्थ अंशदायी, सामयिक, वर्कचार्ज, दैनिक वेतन, अतिथि वक्ताओं की अवधि को जोड़कर पेंशन का लाभ दिया जाये।

-चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के पदों को पुनर्जीवित किया जाये।

-पुरानी पेंशन व्यवस्था बहाल की जाए।

-फील्ड कर्मचारियों को काम के आधार पर मोटर साईकिल भत्ता दिया जाए।

-ठेकेदारी व्यवस्था को खत्म कर सीधी भर्ती शुरू हो।

-सभी राज्य कर्मचारियों को कैशलेस इलाज की सुविधा मिले।

सफाईकर्मियों को प्रधानों से मुक्त कर प्रमोशन दिया जाए।

-नायब तहसीलदार के पदों पर राजस्व संग्रह अमीनों की सीधे प्रोन्नति दी जाये।