- 10 सूत्रीय डिमांड को लेकर 3 लाख कार्मिकों ने किया कार्य बहिष्कार

- विभागों के साथ ही सचिवालय के कर्मचारी भी आंदोलन में रहे शामिल

>DEHRADUN: राज्य सरकार के सख्त रवैए के बावजूद भी राज्य के करीब तीन लाख कर्मचारी गुरुवार को सामूहिक हड़ताल पर रहे। महकमों में कर्मचारियों ने पहले ही सामूहिक अवकाश ले लिया था। जिस कारण राजधानी के अधिकतर दफ्तरों में से कई ताला लटका मिला तो कहीं खाली दफ्तर व कुर्सियां मिली। सचिवालय में भी सन्नाटा पसरा मिला। हालांकि, आपातकालीन सेवाएं हड़ताल से बेअसर रहीं। राज्य के सभी जिलों में कर्मचारी संगठनों ने मुख्यालयों पर धरना देकर विरोध जताया। दून में परेड मैदान के निकट धरनास्थल पर कर्मचारियों ने निषेधाज्ञा तोड़कर सभा की। इधर, वित्तमंत्री प्रकाश पंत की अध्यक्षता में समिति के साथ बैठक हुई। सरकार की तरफ से मांगों को आज होने वाली कैबिनेट की बैठक में रखे जाने का भरोसा दिया गया।

नो वर्क, नो पे का भी नहीं दिखा असर

आवास भत्ते में बढ़ोत्तरी समेत 10 सूत्रीय मांगों को लेकर पहले ही कर्मचारियों ने हड़ताल का आह्वान किया था। हड़ताल को देखते हुए शासन की तरफ से सख्ताई बरती गई थी, लेकिन सब कुछ बेअसर रहा। बुधवार को उत्तराखंड अधिकारी कर्मचारी शिक्षक समन्वय समिति के संयोजक मंडल की कार्मिक विभाग की अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी के साथ हुई, तय हुआ था कि गुरुवार को वित्त मंत्री की अध्यक्षता में समन्वय समिति के संयोजक मंडल की वार्ता होगी। लेकिन समन्वय समिति नहीं मानी और अपनी हड़ताल बरकरार रखी। यहां तक कि नो वर्क नो पे की सरकार की नीति की भी कर्मचारियों ने परवाह नहीं की और समन्वय समिति के बैनर तले तमाम संगठनों से जुड़े कर्मचारी सामूहिक अवकाश पर रहे। सचिवालय कर्मी भी आंदोलन में शामिल रहे।

धरनास्थल पर सभा का आयोजन

सुबह करीब 10 बजे कर्मचारी लैंसडौन चौक स्थित धरना स्थल पर एकजुट हुए और अपनी मांगों के समर्थन में सभा की। वक्ताओं ने अपने संबोधन में साफ किया सरकार कितनी भी सख्ती बरत ले, कर्मचारी पीछे नहीं हटेंगे। वहीं कर्मचारियों ने कार्यालयों के बाहर भी प्रदर्शन किया। जबकि कार्यालयों के बाहर से लेकर सचिवालय के सभी गेटों पर पुलिस का पहरा रहा। धरनास्थल पर आयोजित सभा को समन्वय समिति के संयोजक मंडल में शामिल सचिवालय संघ के अध्यक्ष दीपक जोशी, उत्तराखंड कार्मिक, शिक्षक, आउटसोर्स संयुक्त मोर्चा के मुख्य संयोजक ठा। प्रहलाद सिंह, संतोष रावत, अरुण पांडे, सुनील कोठारी, एसपी रणाकोटी, राकेश जोशी ने संबोधित किया।

शुक्रवार को होने वाली कैबिनेट बैठक में मांगों के संबंध में कोई ठोस निर्णय होने के बाद ही आंदोलन स्थगित करने पर विचार किया जाएगा। गुरुवार को वित्त मंत्री की बैठक में सरकार की तरफ से अधिकतर मांगों पर सरकार ने विचार का भरोसा दिया है। कैबिनेट की बैठक में निर्णय न आया तो आंदोलन जारी रहेगा।

- दीपक जोशी, संयोजक, उत्तराखंड अधिकारी-कर्मचारी-शिक्षक समन्वय समिति

सरकार कर्मचारियों के हित में है और हितों के लिए भी प्रयत्‍‌नशील है। गुरुवार को सौहार्दपूर्ण माहौल में बैठक हुई। कर्मचारियों से आग्रह है कि वे कड़े रुख के बजाय नरमी रखे। शुक्रवार को होने वाली कैबिनेट की बैठक में मामला रखा जाएगा। कर्मचारियों की अटेंडेंस ली जा रही, ऐसा कुछ नहीं है।

- प्रकाश पंत, वित्त मंत्री।

ये हैं प्रमुख मांगें

- आवास भत्ते में 8,12,16 प्रतिशत वृद्धि

- एसीपी की पूर्व व्यवस्था लागू की जाए

- शिथिलीकरण नियमावली 2010 को यथावत लागू हो।

- पुरानी पेंशन की बहाली हो।

- सरकारी अस्पतालों में रेफर व्यवस्था खत्म हो

- चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को 4200 ग्रेड-पे मिले।

- वाहन चालकों को 4800 ग्रेड-पे मिले।

- उपनल कार्मिकों को भी समान कार्य-समान वेतन।

- 2005 से पहले के निगम कर्मचारियों को स्वायत्तशासी निकायों के समान पेंशन।

वित्त मंत्री की अध्यक्षता में इन बिंदुओं पर हुई चर्चा

- मकान भत्ते में देयता 8,12 व 16 प्रतिशत वृद्धि

- अन्य भत्तों को भी पहले जैसे दिया जाए।

- निगम कर्मचारियों को एसीपी व्यवस्था के स्थान पर प्रोन्नत वेतनमान दिया जाए।

- शिक्षकों को संपूर्ण सेवाकाल में तीन प्रोन्नति या तीन एसीपी का लाभ मिले।

- शिथिलीकरण नियमावली 2010 को यथावत लागू किया जाए।

- नई पेंशन व्यवस्था के स्थान पर पुरानी बहाल हो।

- आयुष्मान योजना में सरकारी अस्पतालों की बाध्यता समाप्त हो।

- इस प्रकार से वित्त मंत्री के साथ 12 बिंदुओं पर चर्चा हुई।

- वित्त मंत्री ने उत्तराखंड अधिकारी-कर्मचारी-शिक्षक समन्वय समिति से हड़ताल वापसी का अनुरोध किया।