पं। गंगानाथ झा पीठ संस्कृत विभाग इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के तत्वावधान में सात दिवसीय कार्यशाला के दूसरे दिन का आयोजन

ALLAHABAD: पं। गंगानाथ झा पीठ संस्कृत विभाग इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के तत्वावधान में सात दिवसीय कार्यशाला के दूसरे दिन का आयोजन किया गया। वैदिक वांड्मय के विविध आयाम विषयक विषय पर प्रथम सत्र में प्राचीन इतिहास के पूर्व अध्यक्ष प्रो। आरपी त्रिपाठी ने अपनी बात रखी। उन्होंने उपनिषदों का दार्शनिक चिंतन एवं उसकी प्रासंगिकता पर व्याख्यान दिया। कहा कि उपनिषद दर्शन का मुख्य बिन्दु मोक्ष की प्राप्ति है।

बताया कल्प साहित्य का महत्व

प्रो। रामहित त्रिपाठी ने कहा कि वैदिक वाड्मय के तीन प्रधान आयाम कर्मकांडीय, ज्ञानकांडीय एवं भक्ति कांडीय विवेचना निश्चित होता है जो सच्चिदानंद स्वरूप वेद भगवान का विस्तारमय वाड्मय है। उन्होंने कहा कि कल्प साहित्य का महत्व उसमें प्रतिपादित धर्म व्यवस्था, समाज व्यवस्था, राज्य व्यवस्था तथा मानव जीवन विधि भारतीय सामाजिक जीवन विधि के लिये परम उपादेय है। कार्यक्रम का संचालन पीठ के प्रभारी प्रो। उमाकांत यादव, स्वागत प्रो। कौशल किशोर श्रीवास्तव तथा धन्यवाद ज्ञापन डॉ। उर्मिला श्रीवास्तव ने किया।