-एक माह में तीन बार स्वर्ण शताब्दी में हो चुका पथराव, आधा दर्जन से अधिक यात्री हो चुके घायल

-आरपीएफ स्थानीय पुलिस के साथ ग्राम पंचायत मुखिया से भी करेगी सम्पर्क

-आरोपियों की तलाश में लगी RPF, रेलवे का नुकसान करने वालों पर होगी सख्त कार्रवाई

KANPUR : एक तरफ जहां कश्मीर में बीते तीन माह से पत्थरबाजों ने इंडियन आर्मी और भारत सरकार की नाक में दम कर रखा है। वहीं कानपुर व शहर के आसपास ग्रामीण आंचलों में रहने वाले कुछ पत्थरबाजों ने रेलवे को भी परेशान कर रखा है। लखनऊ से दिल्ली चलने वाली स्वर्ण शताब्दी में अक्टूबर माह में ही इटावा व उन्नाव के बीच तीन बार पथराव हो चुका है। पथराव में जहां एक तरफ रेलवे प्रॉपर्टी को नुकसान पहुंचा, बल्कि इनमें सफर करने वाले यात्रियों को भी चोटें आई। शताब्दी में आए दिन होने वाली पथराव की घटना को देखते हुए यात्रियों का भी रुझान स्वर्ण शताब्दी के कम हुआ है।

ग्राम पंचायत की लेंगे मदद

स्वर्ण शताब्दी में इन दिनों पथराव की हो चुकी कई घटनाओं को देखते हुए रेलवे के उच्चाधिकारी भी गंभीर हो गए हैं, जिन्होंने पत्थरबाजों की कमर टेड़ी करने की जिम्मेदारी आरपीएफ व जीआरपी को दी है। सोर्सेज की मानें तो घटनास्थल का स्थानीय आरपीएफ इन दिनों पत्थरबाजों का सुराग लगाने में लगी हैं। ताकि ऐसी वारदातों को आगे रोका जा सके। वहीं आरपीएफ के उच्चाधिकारियों की माने तो ट्रेनों में अक्सर होने वाले पथराव को ध्यान में रखते हुए रेलवे ट्रैक किनारे बसे कुछ गांवों को चिन्हित किया गया है, जहां स्थानीय आरपीएफ व जीआरपी अधिकारी ग्राम पंचायत मुखिया की मदद ले पत्थरबाजों के खिलाफ कड़ा अभियान चलाएंगे.

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चरवाहों पर रहेगी नजर

आरपीएफ सूत्रों की मानें तो शताब्दी जैसी वीआईपी ट्रेनों में पथराव करने वाले कोई और नहीं बल्कि रेलवे ट्रैक किनारे बसे गांव के चरवाहे हैं, जो बिना किसी मक्सद के ट्रेन में पथराव करते हैं। ट्रेन में पथराव करना कितना बड़ा अपराध है। इस बात की इनको तनिक भी इल्म नहीं है

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सलाखों के पीछे काटने होंगे 7 साल

इस गंभीर मुद्दे पर जब सेंट्रल स्टेशन में तैनात आरपीएफ इंस्पेक्टर राजीव वर्मा से बातचीत की गई तो उन्होंने बताया कि रेलवे एक्ट के तहत ट्रेन में पहली बार पथराव करने पर 3 साल व दूसरी बार पकड़े जाने पर 7 साल की सजा का प्राविधान है। वहीं जुर्माना रेलवे मजिस्ट्रेट के अनुसार तय किया जाता है।