'निम्न स्तर का जॉब है आईएएस'

-आईआईटी पटना के छठे फाउंडेशन डे पर पीयू के वीसी ने कहा, आईएएस से ज्यादा टफ है आईआईटी निकालना

- आईआईटी के कल्चरल प्रोग्राम नेबुला में दिखा कॉमेडी और फैशन का जलवा

PATNA : इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (आईआईटी), पटना का छठा फाउंडेशन डे बुधवार को सेलिब्रेट किया गया। इस अवसर पर चीफ गेस्ट पटना यूनिवर्सिटी के वीसी प्रो। वाई। सी सिम्हाद्रि ने स्टूडेंट्स को एड्रेस किया। अपने एड्रेस में उन्होंने आईआईटी को एक व‌र्ल्ड स्टैंडर्ड इंस्टीट्यूशन बताते हुए इसमें इनोवेशन को और बढ़ाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि क्रिटिसिज्म से हमें घबराना नहीं चाहिए। हम अच्छा करना चाहते हैं, तो भी हमें इसका सामना करना पड़ सकता है। हालांकि इसे लगातार इंपू्रव कर हम आगे बढ़ सकते हैं। आज के समय में ऐसे कई आईआईटीयंस हैं, जिन्हें देश-विदेश में काफी सम्मान मिला है। यह सिर्फ इसलिए, क्योंकि ऐसे इंस्टीट्यूशन में हॉयर एजुकेशन के स्टैंडर्ड में कोई समझौता नहीं किया जाता है। चीन में भी ऐसे ही हायर एजुकेशन के मॉड्यूल डेवलप करने की बात हो रही है।

आईएएस व आईआईटी की अजीबो-गरीब तुलना

आईआईटी के साइंस ब्लॉक में प्रो। सिम्हाद्रि ने अपने एड्रेस के दौरान कई ऐसी बातें कहीं, जिस पर वहां सभी लोग खूब हंसे। एक ऐसी बात कही कि शायद ही किसी को पचा हो। उन्होंने आईआईटीयन और आईएएस की तुलना करते हुए कहा कि कोई फेल स्टूडेंट फिर से एग्जाम दे और पास हो जाता है और आगे आईएएस बन जाता है। यह निम्न स्तर का जॉब है, जिसमें गवर्नमेंट के एजेंट के रूप में सिर्फ काम करते हैं, लेकिन आईआईटी बनना कठिन है। इसके सेलेक्शन प्रासेस टफ और ट्रांसपेरेंट हैं, इसलिए सभी आआईटीयन खास हैं और देश के डेवलपमेंट में उनका बड़ा योगदान है।

New campus in new year

फाउंडेशन डे प्रोग्राम के बाद फैकल्टी अफेयर्स के प्रोफेसर-इन-चार्ज डॉ ए.के ठाकुर ने बताया कि अभी बिहटा में कंस्ट्रक्शन वर्क चल रहा है। कैंपस दिसंबर इंड से पहले शिफ्ट होने की संभावना कम ही है, इसलिए नए कैंपस में अभी भी समय लगेगा। जानकारी हो कि अभी ओल्ड कैंपस में बीटेक के पांच बैच, एमटेक के आठ बैच और पीएचडी के बैच को मिलाकर कुल 9फ्फ् स्टूडेंट्स हैं, जबकि वर्तमान समय में 7भ् टीचर्स वर्किंग हैं। अभी तक दो बैच का कन्वोकेशन हो चुका तीसरे बैच का कन्वोकेशन दो महीने बाद होगा।

बे्रन ड्रेन का मुद्दा भी उठा

प्रो। वाईसी सिम्हाद्रि ने ब्रेन ड्रेन का मुद्दा उठाते हुए कहा कि क्9भ्फ् से अबतक ख्भ् हजार आईआईटीयन विदेश में काम करते हुए वहीं बस गए हैं। यह चिंताजनक है, क्योंकि आईआईटीयन तैयार करने में लाखों रुपए ट्रैक्सपेयर की जेब से खर्च होता है, लेकिन इस एक्सपेंडिचर से देश को कोई लाभ नहीं होता। हालांकि अब इस ट्रेंड में थोड़ी कमी आयी है। दूसरी बात यह भी है कि आईआईटी की पढ़ाई करने के बाद कई आईएएस सर्विस में चले जाते हैं। यह भी बैद्धिक गुणों का सदुपयोग नहीं कहा जा सकता है।

क्वांटिटी नहीं क्वालिटी पर ही हो फोकस

पीयू के वीसी ने स्टूडेंट्स को एड्रेस करते हुए कहा कि इन दिनों इंडिया के कई जगहों में आईआईटी बनाने की बात हो रही है। मैं इससे सहमत नहीं हूं। क्या हम हजारों आईआईटी बनाने की स्थिति में हैं। अगर हां, तो उसके लिए रिसोर्स किस प्रकार का होना चाहिए। यह सोचना पड़ेगा, इसलिए बेहतर है कि अभी जो आईआईटी हैं उसके स्टैंडर्ड को और बेहतर करने के बारे में काम करने की जरूरत है।

आर्थो केयर पर ध्यान दें

फाउंडेशन डे पर गेस्ट आफ ऑनर के रूप में मौजूद डॉ आर.एन सिंह ने आस्टियोआर्थराइटिस के बारे में स्टूडेंट्स को अवेयर किया। उन्होंने बताया कि फ्0 साल के बाद बोन को मजबूत रखने के लिए रेग्युलर एक्सरसाइज करना जरूरी है। इस मौके पर पीएमसीएच के आर्थो डिपार्टमेंट के एक्स एचओडी डॉ अर्जुन सिंह सहित कई लोग मौजूद थे। आईआईटी कैंपस में लायंस महावीर कैंसर इंस्टीट्यूट, फुलवारीशरीफ की ओर से ब्लड डोनेशन कैंप भी ऑर्गनाइज किया गया।