हेलमेट कंपल्सरी के निर्णय का सभी ने किया स्वागत, बोले सही निर्णय
ट्रैफिक रूल में हो रहे बदलाव पर आईनेक्स्ट की पब्लिक से बात
ALLAHABAD: एक सितंबर से कुछ नए ट्रैफिक रूल्स लागू होने हैं। इसके तहत व्हीकल चलाने और पीछे बैठने वाले दोनों व्यक्तियों के लिए हेलमेट का यूज कंपल्सरी होगा। यही नहीं अब जिसके नाम से गाड़ी कागजात होंगे वही गाड़ी ड्राइव भी कर सकेगा। यदि कोई दूसरा व्यक्ति ड्राइव करता पाया गया तो उसका चालान काटा जाएगा। दोनों रूल्स पर पब्लिक का क्या व्यू है। क्या हेल्मेट कंपल्सरी का आदेश सही है? क्या अब हर घर में जितने लोग उतनी बाइक खरीदनी चाहिए? इन सवालों के साथ आईनेक्स्ट ने बुधवार को पब्लिक के साथ चर्चा की तो ये जवाब सामने आए।
हेलमेट की सख्ती बचाएगा जान
बिजनेसमैन राहुल मेहरोत्रा ने कहा कि हर किसी की जान कीमती है। इसलिए बाइक चलाते समय बाइक चलाने वाले और पीछे बैठने वाले के लिए हेलमेट कम्पल्सरी का आदेश सही है। इसका सख्ती के साथ हर किसी को पालन करना चाहिए। क्योंकि ये सख्ती पब्लिक के लिए ही है। इससे ट्रैफिक विभाग को कोई फायदा नहीं होगा। बल्कि जो हेल्मेट लगाएगा वो सेफ रहेगा।
इनका चालान कौन काटेगा
अधिवक्ता प्रतीक पांडेय ने कहा कि जब एक बाईक पर तीन लोग सवार होते हैं, कोई रेड सिग्नल क्रास करता है, ड्राइविंग लाइसेंस कैरी नहीं करता है तो ट्रैफिक पुलिस व्हीकल चलाने वाले का चालान काटती है। लेकिन जगह-जगह टै्रफिक जाम रहता है, सड़कें क्षतिग्रस्त हैं, जगह-जगह स्पीड ब्रेकर बना दिए गए हैं, जिनकी वजह से एक्सीडेंट होते हैं। इस पर जुर्माना कौन लगाएगा।
तो हर मेंबर के लिए खरीदेंगे बाइक
बहुत से लोग अपने नाम से बाइक न लेकर माता-पिता, भाई-बहन या फिर घर के किसी बुजुर्ग के नाम से लेते हैं। इसके पीछे सबका अलग-अलग लॉजिक है। कुछ लोग बड़ों के सम्मान में उनके नाम से बाईक लेते हैं। नया नियम लागू हुआ तो ये सिस्टम खत्म हो जाएगा। चोरी की घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए गवर्नमेंट ये सख्ती करे कि हर किसी के कागजात सही होने चाहिए। लेकिन जो व्यक्ति गाड़ी चला रहा हो, गाड़ी उसी के नाम हो यह आदेश गलत है।
ट्रैफिक पर ध्यान दें तो न लगे जाम
सुभाष चौराहा, बालसन चौराहा, जानसेनगंज चौराहा, घंटाघर चौराहा, मेयोहाल चौराहा के साथ ही शहर के अन्य चौराहों पर टै्रफिक पुलिस तैनात रहती है। जिसकी नजर केवल चालान काटने और पब्लिक से जुर्माना व पैसे वसूलने में रहती है। जबकि ट्रैफिक पुलिस को यह व्यवस्था सुनिश्चित करनी चाहिए कि गाडि़यां अस्त-व्यस्त खड़ी न हों ताकि जाम न लगे।
पब्लिक कनेक्ट
नियम ऐसे बनाएं जो व्यावहारिक हों, अव्यवहारिक नहीं। पब्लिक सेफ्टी के लिए हेलमेट की अनिवार्यता का आदेश तो ठीक है। लेकिन जिसके नाम गाड़ी हो वही गाड़ी चला सकता है, यह नियम अव्यवहारिक है।
रोहित शुक्ला
बिजनेसमैन
शहर में सिग्नल का नहीं है कोई मतलब। 100-100 सेकेंड का सिग्नल सेट किया जाता है। पब्लिक ने सिग्नल तोड़ा नहीं कि फाईन लग जाता है। लेकिन रोडवेज बस वाले पर डे सिग्नल तोड़ते हैं, कोई कार्रवाई नहीं होती।
यश पांडेय
स्टूडेंट
पाई-पाई जोड़ कर या फिर किस्त पर किसी तरह लोग एक बाइक खरीदते हैं। जिसे फैमिली के सभी मेम्बर चलाते हैं। अब जिसकी हैसियत ये नहीं है कि जितने मेम्बर उतनी बाइक खरीद सके तो वो क्या करेगा?
कार्तिकेय मेहरोत्रा
रोट्रैक्ट इलाहाबाद ऊर्जा
एक फैमिली के अलग-अलग पर्सन यदि अपने लिए बाइक या स्कूटर खरीदने लगे तो फिर इससे व्हीकल की संख्या के साथ ही ट्रैफिक लोड भी बढ़ेगा। एक तो पहले से पार्किंग की सुविधा नहीं है।
फराज अहमद
कम्युनिटी सर्विस डायरेक्टर
रोट्रैक्ट
रूल तो सबके लिए बनाए जाने चाहिए केवल पब्लिक ही क्यों? अगर कोई ट्रैफिक रूल तोड़ता है तो वह जुर्माना भरने या फिर सजा पाने के लिए खुद जिम्मेदार है। लेकिन रोड टैक्स जमा करने के बाद भी पब्लिक को अच्छी रोड नहीं मिलती। गाड़ी खराब हो जाती है। तो इसका जिम्मेदार कौन है?
प्रतीक पांडेय
अधिवक्ता, हाईकोर्ट
इलाहाबाद
किसी भी सिस्टम की शुरुआत उपर से होनी चाहिए। जिसके नाम गाड़ी होगी वही ड्राइव कर सकेगा। इस आदेश का पालन क्या बड़े-बड़े अधिकारी और मंत्री व पॉलिटिशियन करेंगे। क्या वे खुद अपनी कार ड्राइव करेंगे। नहीं न, जिस आदेश को वे खुद नहीं मानते हैं, उसे पब्लिक कैसे मानेगी।
अमित शुक्ला
टीचर
नए-नए नियम बनाने नहीं बल्कि पुराने नियमों का ही सख्ती से पालन कराए जाने की जरूरत है। अभी लोग मनमानी करते हैं, जहां चाहे वहां गाड़ी पार्क कर देते हैं, जिसकी वजह से जाम लगता है। पार्किंग एरिया में ही गाड़ी पार्क हों कुछ ऐसी व्यवस्था करनी चाहिए।
राहुल गौरव
केवल हेल्मेट लगाने से एक्सीडेंट की घटनाएं कम नहीं होंगी। शहर में एक्सीडेंट का सबसे बड़ा कारण टेम्पो व विक्रम और नो इंट्री में शहर में प्रवेश करने वाले बड़े वाहन हैं। ट्रैफिक पुलिस को इस पर सख्ती करनी चाहिए।
ज्ञानप्रकाश
असिस्टेंट प्रोफेसर
सबसे पहले नेताओं, अधिकारियों व पॉलिटिशियनों के लिए नियम बनाए जाने चाहिए। अगर ये टै्रफिक रूल तोड़ते हैं, तो इनका चालान किया जाना चाहिए। क्योंकि वीआईपी कल्चर की वजह से ही आज पब्लिक भी रूल तोड़ती है।
संदीप सिंह
स्टूडेंट
लड़का हो या फिर लड़की, सभी के लिए हेलमेट कंपल्सरी होना चाहिए। ट्रैफिक विभाग को इस पर सख्ती करनी चाहिए। हर वर्ग के लिए नियम-कानून बराबर होना चाहिए। जो गर्ल्स स्कूटी या बाइक चलाते समय दुपट्टा बांध कर चलती हैं, उन्हें हेल्मेट लगाकर ड्राइव करना चाहिए। दुपट्टा हेलमेट से ज्यादा सेफ है।
वैष्णवी त्रिपाठी
स्टूडेंट
व्हीकल चोरी पर रोक लगाने के साथ ही एक्सीडेंट की घटनाओं पर रोक लगाने के लिए ऐसा नियम बनाना चाहिए, जिससे वीआईपी कल्चर पूरी तरह खत्म हो जाए। वीआईपी कल्चर खत्म हो जाएगा तो सब कुछ सुधर जाएगा।
गौरव सिंह पटेल
होने चाहिए ये इंतजाम
- इलाहाबाद में पब्लिक ट्रांसपोर्ट पर एडमिनिस्ट्रेशन दे ध्यान, बढ़ाई जाए बसों की संख्या
- बसों का रूट निर्धारित करने के साथ ही शहर के अंदर बड़े वाहनों का प्रवेश किया जाए बैन
- एक ट्रांसपोर्टेशन की होनी चाहिए व्यवस्था
- पब्लिक ट्रांसपोर्ट बढ़ जाए तो लोग अपना व्हीकल लेकर निकला कम कर दें।
- अन्य नगरों की तरह इलाहाबाद में क्यों नहीं लाई जा रही सीएनजी
- जो भी व्यक्ति गाड़ी चला रहा हो, उसके पास डीएल जरूर होना चाहिए