- ट्रेनों की टाइमिंग सुधारने के लिए कुछ नहीं करती रेलवे

-दर्जन भर ट्रेनें तो ऐसी हैं जो कभी टाइम से स्टेशन नहीं पहुंचती

KANPUR : ट्रेनों की स्टेशन पहुंचने की टाइमिंग कई बार पैसेंजर्स का सिरदर्द बन जाती है। वीआईपी ट्रेनों के अलावा आपने अगर किसी साधारण ट्रेन में रिजर्वेशन कराया है तो इसकी सम्भावना कम ही होती है कि वह स्टेशन पर टाइम से आए। एक दो घंटे की देरी को तो रेलवे तवज्जो ही नहीं देता। वहीं कई ऐसी ट्रेनें हैं जो सेंट्रल पर कभी टाइम से पहुंचती ही नहीं हैं। ऐसे में पैसेंजर्स सवाल उठाते हैं कि किराया तो बढ़ा दिया लेकिन ट्रेन तो टाइम से चलवाइए रेलमंत्री जी

ये ट्रेनें तो कभी टाइम से आती ही नहीं

उद्यान आभा तूफान एक्सप्रेस, मुरी एक्सप्रेस, लिच्छवी एक्सप्रेस, कालका मेल, नार्थईस्ट एक्सप्रेस, बरौनी एक्सप्रेस, जनसाधारण एक्सप्रेस, लालकिला एक्सप्रेस, मगध एक्सप्रेस, मरुधर एक्सप्रेस, जनता एक्सप्रेस।

इन ट्रेनों में सफर बनता है सजा

सेंट्रल स्टेशन से गुजरने वाली कई ट्रेनें ऐसी हैं। जो कभी भी टाइम से नहीं आती और उनमें सुविधाएं भी नहीं मिलती हैं। जैसे उद्यान आभा तूफान एक्सप्रेस का सेंट्रल पहुंचने का टाइम सुबह 8.ख्भ् बजे हैं लेकिन यह ट्रेन हमेशा ही तीन से चार घंटे लेट सेंट्रल पर पहुंचती है। हैरानी की बात ये है कि लंबी दूरी की ट्रेन होने के बाद भी इसमें पैंट्री कार नहीं होती। आगरा होते हुए दिल्ली तक यह ट्रेन अमूमन क्ख् घंटे में पहुंचती है, ऐसे में इस ट्रेन में सफर करना किसी सजा से कम नहीं है।

सिर्फ वीआईपी ट्रेनों को टाइम से पहुंचाने की जिम्मेदारी?

रेलवे सिर्फ वीआईपी ट्रेनें जैसे शताब्दी, राजधानी को ही टाइम से पहुंचाने के लिए मशक्कत करता है। बाकी ट्रेनों के साथ तो सौतेला व्यवहार होता है। इन ट्रेनों को कहीं भी खड़ा करके वीआईपी ट्रेनों को पास दे दिया जाता है। कानपुर दिल्ली रूट सुबह और शाम के समय राजधानी ट्रेनों के लिए गोमती एक्सप्रेस जैसी ट्रेनों को जहां-तहां खड़ा कर दिया जाता है। ऐसे में पैसेंजर्स के पास रेलवे को कोसने के अलावा कोई चारा नहीं होता है।

कई ट्रेनों की एवरेज स्पीड तो साइकिल के बराबर

एक ओर मोदी सरकार बुलेट ट्रेन चलाने की योजना बना रही है लेकिन दूसरी तरफ आज भी कई ट्रेनों की एवरेज स्पीड साइकिल के बराबर है। कानपुर से लखनऊ की 8ब् किमी की दूरी को तय करने में झांसी पैसेंजर को सवा दो घंटे लग जाते हैं। उसकी एवरेज स्पीड तो ब्0 से भी कम है। यही हाल पैसेंजर और लंबी दूरी की एक्सप्रेस ट्रेनों का भी है इनकी औसत रफ्तार ब्0 किमी प्रति घंटे से ज्यादा नहीं होती।

कभी पानी खत्म तो कभी एसी खराब

एक्सप्रेस ट्रेनों से तो स्टेशन पहुंचने पर भी सौतेला व्यवहार किया जाता है। टाइम से न चलने के अलावा इनमें समस्याएं ही समस्याएं सामने आती रहती हैं। गर्मियां शुरू होने के बाद से ही पानी खत्म होने और एसी खराब होने की सबसे ज्यादा शिकायतें एक्सप्रेस ट्रेनों से ही आती हैं। नार्थ ईस्ट एक्सप्रेस में तो रोज ही ऐसी समस्याएं सामने आती हैं।

कोट-

ट्रेनों को टाइम से चलाना और पैसेंजर्स की सुरक्षा दोनों ही जरुरी है। कई बार कई रूटों पर ट्रैफिक ज्यादा होता है, इसलिए ट्रेनों को रोकना पड़ता है। कानपुर से दिल्ली रूट पर ट्रैफिक काफी ज्यादा है। इसलिए कभी कभी देरी हो जाती है।

- नवीनबाबू, सीपीआरओ,एनसीआर

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कानपुर कालिंग-

सरकार किराया तो बढ़ा देती है लेकिन सुविधाएं वैसी की वैसी ही रहती हैं। जाड़ों में तो ट्रेनें रेंगती हैं। इसलिए ट्रेनों की टाइमिंग कम करने के लिए रेलवे को जरुर कुछ करना चाहिए।

- विशाल साजनानी

रेलवे ने किराया तो बढ़ा दिया लेकिन टिकट बुक कराने के टाइम जो समस्याएं आती हैं उन्हें खत्म करने के लिए कुछ नहीं किया। कंफर्म टिकट लेना ट्रेन में यात्रा करने से बड़ा काम हो गया है।

- गौरव मिश्रा

सरकार ट्रेन का किराया बढ़ाए तो ठीक है लेकिन ट्रेनों में मिलने वाले सुविधाओं को भी ठीक रखे। ट्रेनों में खाने की क्वालिटी बेहद खराब है। इसके अलावा ट्रेनों की स्पीड भी बहुत कम है।

- ममता गहलोत

रेलवे बुलेट ट्रेन चलाने की योजना बना रहा है लेकिन मौजूदा ट्रेनों की स्पीड ही बहुत कम है। सर्दियों में थोड़ा का कोहरा भी ट्रेनों को रोक देता है। टेक्नोलॉजी के स्तर पर रेलवे को बहुत काम करने की जरूरत है।

- आशीष पांडे