- दोबारा भूकंप के झटके आते ही लोग फिर पहुंचे गांधी मैदान

- कई फैमिली खाना-पीना लेकर पहुंची, रात काटी ही थी, दिन भी बीता खुले में

PATNA: अपनों की सलामती के लिए ही घर छोड़कर गांधी मैदान में डेरा डाल लिया है। अपनी जान जाए तो जाए, अपनों को कुछ नहीं होना चाहिए। दो दिनों से दहशत में है। रात बीतने के बाद लगा कि सबकुछ ठीक हो जाएगा, मगर फिर जब भूकंप आया तो लगा अब कुछ होकर ही रहेगा, इसलिए सब को लेकर गांधी मैदान आ गए। चेहरे पर डर मगर गांधी मैदान में होने का इत्मिनान था बाकरगंज के रहने वाले एकरामुल हक को। फैमिली के साथ गांधी मैदान में शरण लिये हुए है। मां, चाची, पत्‍‌नी, बच्चे और बहनों के साथ चादर बिछाकर जम गए हैं। बच्चे आराम से खेल भी रहे हैं। उन्हें तो बस मस्ती चाहिए मगर घर के और लोगों के चेहरे पर चिन्ता की लकीरें साफ झलक रही थी। उनके मुहल्ले के और लोग भी आये हैं यहां। बहन फलक ने बताया कि घर का सारा सामान अचानक से हिलने लगा। चिल्लाते हुए सब लोग भागे। खुशबू और मुस्कान ने बताया कि पहले से तो भूकंप भूकंप हो ही रहा था जैसे ही हिला तुरंत समझ में आ गया कि धरती फिर से डोल गई। जान है तो जहान है बस गांधी मैदान ही सहारा बना है फिलहाल।

ऊंचे-ऊंचे घर हैं हमारे सामने

बाकरगंज की ही दो और फैमिली वहां मौजूद थी। उनका कहना था कि रात तो गांधी मैदान में ही काटी थी अब दिन भी काट रहे। साजिया खातून ने बताया कि उनका घर जहां है पास में ही उंची उंची बिल्डिंग्स हैं, हमारा घर नीचे है डर से ही गांधी मैदान में बैठे हैं। बच्चे है उन्हें कुछ नहीं होना चाहिए बस। नीरजा देवी की भी फैमिली थी, शोभा, बबीता, साइमा और सेहर सभी गांधी मैदान में जान बचाने को बैठी थी।

इको पार्क में भी जमावड़ा

ईको पार्क में बैठे सविता व राजेंद्र प्रसाद और सुनीता व गोपाल सहाय गौड़ ने कहा कि हमलोग एक बजे ही यहां आ गए थे। डर तो है ही, पर भूकंप के बहाने ही हमलोग कुछ पल एंज्वॉय करने आ गए। भूकंप के भय से लोगों ने पार्को को घर बना लिया है। इको पार्क में रात में भी आलम ऐसा ही था। दिन में भूकंप आने के बाद फिर से पटनाइट्स ने शरण लेना शुरू कर दिया है। चिल्ड्रेन पार्क और एसके नगर में भी अच्छी संख्या में लोग बैठे रहे।