- डॉक्टर ने पुराने नोट और चेक लेने से किया इनकार

- इलाज में देरी और गलत दवा के कारण बच्ची ने तोड़ा दम

GORAKHPUR: आखिर वह दिन आ ही गया जब पैसे ने भगवान को भी शैतान बनाने पर मजबूर कर दिया। कलयुग के भगवान कहे जाने वाले डॉक्टर के बड़े नोट व चेक लेने से इनकार करने का खामियाजा साढ़े छह साल की बच्ची को अपनी जान गवांकर चुकाना पड़ा। यह वाक्या है सिटी के घंटाघर स्थित अन्नपूर्णा चाइल्ड एवं मैटरनिटी क्लीनिक का। जहां के डॉ। राजेश कुमार गुप्ता ने मौत से जूझ रही साढ़े छह साल की बच्ची तसमिया सिद्दीकी की बीमारी की सिर्फ इसलिए जांच नहीं कराई क्योंकि बच्ची के परिजनों के पास छुट्टे नहीं थे।

बिना जांच के ही हाई एंटीबायोटिक

राजघाट एरिया के घंटाघर स्थित मुरब्बा गली, सिद्दीकी कटरा के रहने वाले जुनैद सिद्दीकी की साढे़ छह साल की बेटी तसमिया की आठ नवंबर को तबीयत खराब हो गई। परिजन उसे पास के अन्नपूर्णा चाइल्ड एवं मैटरनिटी क्लीनिक पर ले गए। लेकिन डॉक्टर न होने पर वापस घर लौट गए। आरोप है कि नौ नवंबर की सुबह वह दोबारा क्लीनिक पर पहुंचे। उन्होंने डॉक्टर की फीस के लिए पांच सौ का नोट दिया लेकिन नोट नहीं लिया गया। इसके बाद परिजनों ने चेक से भुगतान को कहा तो वह भी वापस लौटा दिया गया। इसके बाद मार्केट से किसी तरह 100 के नोट लेकर पहुंचे तो डॉक्टर ने बच्ची को देखा और पर्ची पर हाई एंटीबायोटिक लिख दिया मगर उसकी जांच नहीं कराई। 11 नवंबर को जांच के बाद डॉक्टर ने इंसेफेलाइटिस बताते हुए बच्ची को मेडिकल कॉलेज के लिए रेफर कर दिया।

लीवर हो गया डैमेज

मेडिकल कॉलेज में बच्ची को भर्ती कराया गया तो वहां के डॉक्टर ने रिपोर्ट देखी। इसके बाद डेंगू और इंसेफेलाइटिस की जांच कराई गई तो रिपोर्ट में कुछ भी नहीं निकला। बीआरडी के डॉक्टर का कहना था कि हाई एंटीबायोटिक दवा चलाने की वजह से बच्ची का लीवर डैमेज हो गया है। डॉक्टर्स ने नाजुक हालत बच्ची का इलाज शुरू किया। शनिवार सुबह 7:30 बजे अचानक उसकी मौत हो गई। नाराज परिजनों ने क्लीनिक पर पहुंच हंगामा कर दिया। इसकी सूचना मिलते ही मौके पर पहुंची पुलिस ने मामला शांत कराया।

वर्जन

क्लीनिक पर ले जाने के बाद डॉक्टर बड़े नोट नहीं ले रहे थे। उधर बच्ची की हालत बिगड़ती जा रही थी। डॉक्टर यह भी नहीं बता रहे थे कि मरीज को क्या हुआ है। जब हालत खराब हो गई तो उन्होंने मेडिकल कॉलेज जाने को कहा। डॉक्टर की लापरवाही से बच्ची की मौत हुई है।

- मो। यूसुफ सिद्दीकी, बच्ची के चाचा

मरीज के क्लीनिक पर आने के बाद प्रॉपर तरीके से उपचार किया जा रहा था। उसकी जांच भी कराई गई। रिपोर्ट आने के बाद दवा भी चलाई जा रही थी। इसके बाद ही परिजनों को उचित सलाह दी गई। परिजनों की तरफ से जो आरोप लगाए जा रहे हैं वे पूरी तरह से गलत हैं।

- डॉ। राजेश कुमार गुप्ता, चाइल्ड स्पेशलिस्ट