डीएम नवदीप रिणवा ने कर्नाटक हाईकोर्ट के इस आदेश का हवाला देते हुए बताया कि बेलगांव कैंट क्षेत्र में भी सेना द्वारा 16 स्थानों पर गेट लगाने व नाकेबंदी करने के विरोध में वहां के निवासी हाईकोर्ट गए थे। हाईकोर्ट के इस आदेश के विरुद्ध सेना की ओर से सुप्रीमकोर्ट में रिवीजन याचिका दायर की गई। परन्तु कोर्ट ने कर्नाटक हाईकोर्ट के आदेश को सही मानते हुए यह याचिका खारिज कर दी। मेरठ में भी बेलग्राम जैसी स्थिति है। ऐसे में यहां भी इसी आदेश के अनुसार कार्रवाई होनी चाहिए।
ये भी है नजीर
फिरोजपुर कैंट के मामले में चड़ीगढ़ हाईकोर्ट ने आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के उस आदेश का जिक्र किया है, जिसके आधार पर मेरठ में सैन्य अफसर का तर्क है कि ए-1 लैंड पर बनी सड़क को आम जनता मौलिक अधिकार नहीं जता सकती है। चड़ीगढ़ हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि ए-1 लैंड में बनी सड़क पर आम जनता का मौलिक अधिकार है। सुरक्षा के नाम पर आम जनता को पास बनवाने के लिए भी बाध्य नहीं किया जा सकता है।
मुख्य सचिव ने की रिपोर्ट तलब
मुख्य सचिव जावेद उस्मानी ने मेरठ कैंट मामले में डीएम से रिपोर्ट तलब की है। उन्होंने डीएम को आदेशित किया है कि पिछले 15 दिन से लगातार सेना व छावनी बोर्ड द्वारा मेरठ कैंट क्षेत्र में नाकेबंदी करने, बैरियर लगाने व गेट बनाने से जनता हो रही परेशानियों को लेकर शिकायत मिल रही है। कई जनप्रतिनिधियों व संगठनों ने सेना की कार्रवाई पर विरोध जताते हुए आन्दोलन की भी चेतावनी दी है। बहरहाल, इस मामले में किसी भी हालत में जनपद में कानून व्यवस्था प्रभावित न होने पाए। यदि दिक्कत हो तो शासन के माध्यम से इस मामले में केन्द्रीय रक्षा मंत्रालय के सचिव व सेना के वरिष्ठ अधिकारियों को अवगत कराया जाए, ताकि कानून व्यवस्था प्रभावित न हो।
"इस मामले में डीएम स्तर से कार्रवाई हो रही है। वह डीएम की कार्रवाई से संतुष्ट है। आवश्यकता पड़ी तो शासन स्तर से इस बाबत सेना के वरिष्ठ अधिकारियों से वार्ता होगी."
- मनजीत सिंह, कमिश्नर
"विभिन्न राज्यों में स्थित छावनियों में उठे मुद्दे और संबंधित हाईकोर्ट के आदेशों की कॉपी के साथ जीओसी को अवगत कराने के लिए पत्र भेजा गया है."
This website uses cookie or similar technologies, to enhance your browsing experience and provide personalised recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy. OK