नंबर गेम

- 290 प्राइवेट बसें चलती हैं जिले में।

- 1.5 किमी। तक के एरिया में प्राइवेट बसों को नहीं भरनी है सवारी सरकारी बस डिपो से

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- आरटीओ ने प्राइवेट बसों के लिए नहीं तय की रूट, चलने पर ही लगा दी रोक

- सरकारी बस स्टैंड के डेढ़ किमी। के दायरे में बसों पर लगाई रोक लेकिन नहीं दी नई जगह

GORAKHPUR: सीएम के आदेश को लागू कर वाहवाही लूटने की होड़ में आरटीओ ने शहर से प्राइवेट बसों को हटा तो दिया लेकिन उनके लिए नई जगह नहीं तय की। इतना ही नहीं, विभिन्न रूट पर चल रही प्राइवेट बसों की धर-पकड़ भी शुरू कर दी लेकिन यह तय नहीं किया कि वे किन रूट पर चलाई जाएं। इस कारण अब प्राइवेट बस न तो कहीं खड़ी हो पा रही हैं और न ही कहीं चल पा रही हैं। इससे प्राइवेट बस मालिकों की कमाई बंद हो गई है तो यात्रियों को कई रूट के लिए बसें मिलनी बंद हो गई हैं, जहां सिर्फ प्राइवेट बसें ही पहुंचती थीं। इस स्थिति से आरटीओ पर सवाल खड़े होने शुरू हो गए हैं। शनिवार को बस मालिकों ने आरटीओ प्रशासन को पत्र देकर मीटिंग कर समस्या के समाधान की मांग उठाई।

नहीं की कोई तैयारी

प्राइवेट बस ऑनर का आरोप है कि आरटीओ ने नियमों को लागू करने के पहले कोई तैयारी नहीं की। सरकारी बस डिपो के डेढ़ किमी। के दायरे में प्राइवेट बसों को सवारी नहीं भरनी है लेकिन स्थिति यह है कि इस दायरे से कई किमी। बाहर भी सवारी भरने पर बसें पकड़ ली जा रही हैं। किसी भी रूट पर रास्ते में मिल रही बसों को सीज कर दिया जा रहा है। यहां तक कि लगन सीजन में बारात लेकर चल रही बसों को भी अधिकारी खड़ी करा ले रहे हैं। आरोप है कि कार्रवाई की आड़ में आरटीओ अधिकारी उत्पीड़न शुरू कर दिए हैं।

वैकल्पिक व्यवस्था भी नहीं

प्राइवेट बस ऑनर का कहना है कि कोई भी नियम लागू करने के पहले आरटीओ को वैकल्पिक व्यवस्था पर भी विचार करना चाहिए। पहले भी रोडवेज बस स्टेशन पर सवारी भरने पर प्राइवेट बसों पर रोक थी लेकिन तब वैकल्पिक व्यवस्था के तहत देवरिया और कुशीनगर की बसों को पांडेय पेट्रोल पंप के आसपास खड़ी होने की इजाजत दी गई थी लेकिन अचानक वहां से भी सभी बसों को हटा दिया गया। बस मालिकों का कहना है कि यदि वहां बसें खड़ी करना नियमसंगत नहीं था तो पहले क्यों खड़ी होने दी जा रही थी? और वहां से बसें हटाने से पहले कोई दूसरी जगह क्यों नहीं दी गई, जहां प्राइवेट बसें खड़ी की जा सकें।

बस ऑनर की बात

- सभी बसों की परमिट हैं, बीमा और फिटनेस हैं।

- कांट्रैक्टर और टूरिस्ट कैरिज की अनुमति पर बसें चलती हैं।

- बसों का संचलन बंद होने से टैक्स, बस के फाइनेंस की रकम और कर्मचारियों के वेतन की भरपाई कहां से करेंगे?

- बारात, रिजर्व पार्टियों की सवारी लेकर जा रही बसों पर कार्रवाई क्यों की जा रही है?

यह है मांग

- यदि बसें अवैध हैं तो उनको नियमानुसार टैक्स लेकर वैध किया जाए।

- सभी बसों के संचलन के लिए रूट और स्टैंड का निर्धारण किया जाए।

- किसी भी बस मालिक का बेवजह उत्पीड़न न किया जाए।

पब्लिक को हो रही समस्या

- हर रूट पर सरकारी बसों की सुविधा नहीं मिलती है।

- टेंपो और अन्य प्राइवेट वाहनों से सफर करने में ज्यादा किराया देना पड़ रहा है।

- तीन से चार जगहों पर सवारी बदलने में लोगों को पसीना छूट जा रहा है।

यहां से चलती इतनी प्राइवेट बसें

- गोरखपुर से तमकुहीराज 50

- गोरखपुर से सलेमगढ़ 40

- गोरखपुर से सोनौली तक 25

- गोरखपुर से महराजगंज सदर 25

- गोरखपुर से बड़हलगंज 50

- गोरखपुर से कौड़ीराम-गोला 20

- गोरखपुर से सहजनवां-खलीलाबाद 40

- गोरखपुर से नौगढ़, बढ़नी सिद्धार्थनगर 40

बॉक्स

सोमवार को होगी आरटीओ में मीटिंग

बस मालिकों ने नगर विधायक डॉ। राधा मोहन दास अग्रवाल से मिलकर समस्या के समाधान की गुहार लगाई थी। विधायक की पहल पर परिवहन मंत्री ने स्थानीय स्तर पर बस मालिकों और आरटीओ प्रशासन की बैठक करके प्रॉब्लम का सॉल्यूशन करने को कहा है। शनिवार को बस मालिकों ने आरटीओ को पत्र देकर बैठक कराने को कहा। आरटीओ की ओर से 17 अप्रैल को सुबह 10 बजे बैठक बुलाई गई है।

वर्जन

बस मालिकों की समस्याओं को देखते हुए इसका रास्ता निकालने की जिम्मेदारी आरटीओ की है। आरटीओ प्रशासन के लोग बेवजह उत्पीड़न करने में लगे हैं।

संजय जायसवाल, अध्यक्ष, गोरखपुर प्राइवेट बस यूनियन