पब्लिक को खरीदने को मजबूर किया जाता है

इसके बाद फिर उसी चावल को 30 से 40 रुपए पर केजी के हिसाब से पब्लिक को खरीदने को मजबूर किया जाता है। इस गोरखधंधे में कई बड़े बिजनेसमैन लगे हैं। 13 दिसंबर को दीदारगंज थाना एरिया में रामप्रवेश धर्मकांटा के सामने गोदाम में रेड की गई और वहां से पकड़े गए एफसीआई के चावल के बाद एक बड़ा खुलासा हुआ। इस संबंध में थाना में कांड 197/13 दर्ज होने के बाद कृष्णा प्रसाद व जमीन मालिक मो। मुमताज को नेम्ड किया गया है।

पिता को फंसाकर बेटा बचा

चावल के गोरखधंधे का खेल रोहित कुमार उर्फ सोनू करता है। उसके साथ उसका पार्टनर पंकज कुमार भी इसमें शामिल है। जानकारी हो कि इसके पूर्व भी गोदाम में रेड की गई थी लेकिन उस समय रोहित बच निकला था, लेकिन उसके पिता कृष्णा प्रसाद को जेल की हवा खानी पड़ी थी। इस बार भी गुप्त सूचना के आधार पर एसडीओ त्यागराजन एसएम ने गोदाम में रेड किया। इसमें भी रोहित बच निकला और कृष्णा प्रसाद को नेम्ड करते हुए मामला दर्ज किया गया। एसडीओ ने बताया कि सोनू इसका संचालक है। मगर एफआईआर में उसके पिता कृष्णा प्रसाद और जमीन मालिक मो। मुमताज को नेम्ड किया है। अव्वल तो पुलिस ने जब्त किए गए 921 बोरा चावल, जिसका वेट 442 क्विंटल है, को जमीन मालिक के जिम्मानामा पर नहीं देकर रोहित के पार्टनर पंकज को जिम्मानामा पर दे दिया। पंकज की मंसूरगंज में मेसर्स बिंदा ट्रेडिंग नाम से फर्म है। बेल लेने के लिए दिसंबर माह का बना किरायानामा भी कोर्ट में दाखिल किया गया है।

दर्जन भर मिल में होता है काम

पब्लिक के चावल को कैसे गोदाम से निकालकर ब्लैक मार्केट में भेज दिया जाता है इसका भी गणित है। फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया और एसएफसी के गोदाम से चावल पीडीएस दुकान में जाने के पहले मिल ओनर उसे ब्लैक मार्केटिंग में खरीद लेता है। उस चावल को मशीन की मदद से दाने की सफाई व पॉलिश कर खुले बाजार में 30 से 40 रुपए पर केजी में बेचा जाता है। मिल ओनर की मानें तो दीदारगंज थाना एरिया में दर्जन से अधिक चावल मिल रन कर रहा है। खरीदे गए चावल में 70 परसेंट ठीक होता है। बचे 30 परसेंट चावल को फिर से एफसीआई के क्रय केंद्र पर जाकर बेच दिया जाता है। इसमें मिल ओनर मालामाल हो रहा है। वहीं सही लोगों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है। दीदारगंज में ओम साईं, सत्या, राज आटा, आरना फूड आदि रन कर रहा है। इसके पूर्व आलमगंज थाना एरिया के महाराजगंज के माल्य महादेव मंदिर के सामने चावल के प्लांट सह गोदाम पर रेड हुई थी। दानापुर के चंदेश्वर साव भी सरकारी चावल रखने व बेचने के आरोप में कई बार जेल जा चुका है, फिर भी धंधा चालू है।

कहां से और कैसे आता है चावल

फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया विभिन्न स्टेट से अधिप्राप्ति के माध्यम से चावल की खरीद करता है। इसे सब्सिडी दर पर पीडीएस के माध्यम से लाभार्थियों को सप्लाई किया जाता है। गवर्नमेंट किसानों से निर्धारित दर पर चावल खरीदती है। फिर उस पर सब्सिडी देकर कम रेट पर बीपीएल व अंत्योदय कार्डधारियों को देती है। मगर इसका लाभ सही लोगों को नहीं मिल पाता है और ब्लैक मार्केटिंग में चला जाता है। एफआईआर में भी कहा गया है कि केंद्र व स्टेट फूड कॉरपोरेशन के गोदाम से अनुदानित चावल के ढोने में लगे कर्मियों की मिलीभगत से चावल की अवैध खरीदारी कर ब्लैक मार्केटिंग करने को लेकर डंप किया जाता है, जो आवश्यक वस्तु अधिनियम की धारा 1955 की धारा तीन के तहत निर्गत पीडीएस आदेश 2001 के कंडिका 6 (4) का उल्लंघन है।