- जनता का रुख न मिलने से बार-बार रणनीति बदल रहे उम्मीदवार

- सुबह से रात तक जनता का दिल जीतने के किए जा रहे हैं प्रयास

LUCKNOW: एक तरफ जहां सभी उम्मीदवार सुबह से रात तक जनसंपर्क करके जनता का दिल जीतने का प्रयास कर रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ जनता की चुप्पी उनकी धड़कनें बढ़ाने का काम कर रही हैं। आलम यह है कि उम्मीदवार समझ ही नहीं पा रहे हैं कि आखिर लोगों का झुकाव किस तरफ है। हालांकि जनता के मन की बात जानने के लिए उम्मीदवार बार-बार अपनी रणनीति भी बदल रहे हैं लेकिन उसका कोई खास असर नहीं दिखाई दे रहा है। जिससे उम्मीदवार परेशान हैं कि वह किस तरह लोगों को अपने पक्ष में करें।

किसी का नाम नहीं

खास बात यह है कि किसी भी वार्ड की जनता की जुबान पर किसी एक उम्मीदवार का नाम नहीं आ रहा है। लोग ऐसे उम्मीदवार को तलाश रहे हैं, जिनसे विकास की उम्मीद की जा सके।

साफ होगी तस्वीर

इस समय सभी उम्मीदवारों की ओर से एक-एक वोट जुटाने के लिए ताकत लगाई जा रही है। इसके साथ ही हर कोई मतदाता को अपने साथ लाने के लिए विकास का एजेंडा भी बता रहा है। संभावना है कि मतदान से पहले तस्वीर साफ हो जाएगी कि किस वार्ड में किस उम्मीदवार का पलड़ा भारी है।

दिख रहा त्रिकोणीय संघर्ष

जानकारों की माने तो कई वार्डो में उम्मीदवारों के बीच त्रिकोणीय संघर्ष देखने को मिल सकता है। जबकि कई वार्डो में निर्दलीय उम्मीदवार भारी पड़ते नजर आ रहे हैं, जबकि कई वार्ड ऐसे भी हैं, जहां बड़ी पार्टियों के उम्मीदवारों की छवि बेहतर बनती नजर आ रही है।

बजट की भी चिंता

उम्मीदवारों की ओर से भले ही सुबह से लेकर रात तक जनसंपर्क और बैठकें की जा रही हैं लेकिन इस दौरान उनकी ओर से अपने चुनावी बजट पर भी खास ध्यान दिया जा रहा है। कई उम्मीदवार तो ऐसे हैं, जिनका बजट बेहद कम है, जिससे वे केवल जनसंपर्क पर ही जोर दे रहे हैं। जबकि कई उम्मीदवार लग्जरी वाहनों का काफिला लेकर वार्ड की गलियों में घूम रहे हैं और जनता से अपने पक्ष में वोट की अपील कर रहे हैं।

बदल रहे एजेंडा

उम्मीदवारों की ओर से बार-बार अपना चुनावी एजेंडा बदला जा रहा है। हर कोई जनता को विश्वास दिलाने में जुटा हुआ है कि अगर उसकी जीत हुई तो वार्ड का सर्वाधिक विकास होगा। हालांकि कई उम्मीदवार ऐसे भी हैं, जो लोगों के सवालों का जवाब देने से बच रहे हैं। जाहिर है, ऐसी स्थिति में उम्मीदवारों को नुकसान उठाना पड़ सकता है। कई उम्मीदवार ऐसे भी हैं, जो जनता के बीच जाकर उन्हें बता रहे हैं कि किस तरह से वे लोग विकास कराएंगे और उनके पास रणनीति क्या है। जनता के मन में ऐसे उम्मीदवारों की छवि बेहतर बनती हुई नजर आ रही है।

बाक्स

अब घरों में दिखने लगे झंडे

सभी वार्ड चुनावी रंग से सराबोर होते जा रहे हैं। आलम यह है कि घरों की छतों से लेकर बालकनी तक में पार्टियों के झंडे दिखाई दे रहे हैं। इसके साथ ही घरों के दरवाजों पर भी कई-कई उम्मीदवारों के पोस्टर चिपके नजर आने लगे हैं। जिससे लोगों को परेशानी भी हो रही है। अगर कोई व्यक्ति अपने घर के दरवाजे पर लगे स्टीकर को हटा देता है तो अगले ही दिन उसी स्थान पर फिर से किसी न किसी उम्मीदवार को स्टीकर चिपक जाता है।