विधानसभा क्षेत्र-

पिपराइच

स्थान- पूर्वाचल बैंक के सामने, रघुनाथपुर मिरचाईन चौराहा

समय - 11 बजे

GORAKHPUR: जैसे-जैसे चुनाव की तारीख नजदीक आती जा रही है, वैसे-वैसे पब्लिक भी बेबाक होती जा रही है। ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र की चाय पे चर्चा को आप तक पहुंचाने के बाद आई नेक्स्ट टीम मंगलवार को पिपराइच विस क्षेत्र में पहुंची। यहां

रघुनाथपुर मिरचाईन चौराहा पर आम दिनों में भी चाय और चर्चा साथ-साथ चलती रहती है। और जब मौसम चुनावी हो ता कहना ही क्या। पूर्वाचल ग्रामीण बैंक के सामन स्थित चाय दुकान पर मजमा लगा हुआ था। चर्चा चुनावी ही थी और बतकही का सार यह कि नेता ने जो हाल क्षेत्र का किया है, उसके साथ वैसा ही इस बार किया जाएगा। चूंकि चर्चा तो जारी ही थी, चाय का ऑर्डर कर रिपोर्टर भी उसमें शामिल हो गया

रिपोर्टर: अब तो चुनाव करीब आ गया है। नेता लोग भी खूब दौड़ रहे हैं। कैसे समझा रहे हैं सबको एक साथ?

अखिलेश तिवारी: अब कोई आ रहा है तो भगाएंगे तो नहीं ना? चुपचाप सबसे मिल रहे हैं। यह भी डर लगता है कि कहीं दो नेता एक साथ न पहुंच जाएं। जिसने 5 साल में जैसा किया है, उसके साथ वैसा ही करना है लेकिन समझा तो सबको यही रहे हैं कि वोट आपही को जाएगा।

जितेंद्र कुमार: हां, नेता लोगों को आने दीजिए। वैसे भी उनको अपनी बात रखने का अधिकार है। उन्हें सेटिंग करने दीजिए। यह तो हम लोगों की जिम्मेदारी है कि किसे जिताएं, किसे हराएं।

(जितेंद्र की बात अखर गई)

सिराजुद्दीन सिद्दीकी: किसकी सेटिंग है?अरे, वोट के कुछ सौदागर हैं जो सबका बयाना ले लिए हैं। उनको लगता है कि पॉकेट में वोट रखे हैं। जब चाहेंगे, जिसको चाहेंगे, उसको वोट दिलवा देंगे।

कैलाश शर्मा: क्यों नहीं, चुनाव की दो माह पहले से तैयारी चल रही थी। जो बड़े लोग हैं उनको पकड़ लिया गया है। लेकिन वही लोग वोट दिला देंगे क्या? जनता सब जानती है। जिसने पांच साल तक किसी को नहीं पूछा, हेलीकाप्टर से उतरकर चला आया चुनाव लड़ने, उसको वोट थोड़े दिया जाएगा।

उदय यादव: हांहां जो अचानक चुनाव लड़ने आ गया है, उसको वोट मत दीजिए। लेकिन किसी न किसी पार्टी को तो वोट देना ही पड़ेगा। भाईप्रत्याशी नहीं पार्टी को ही वोट दे दीजिए।

देवीलाल निषाद (थोड़े से तल्ख तेवर में): आप के कहने से वोट देंगे क्या? आप लोग सिर्फ एक पार्टी विशेष की बात करते हैं। सार्वजनिक रूप से जिसे लोग पसंद करते हैं, उसको वोट दिया जाएगा। इस बार तो उसी को वोट दिया जाएगा जो पांच साल से हम लोगों के बीच में रहा है। अब कोई अचानक चुनाव लड़ने आ जाएगा तो उसे वोट थोड़े दिया जाएगा।

वीरेंद्र शर्मा (देवीलाल की बात का समर्थन करते हुए): और क्या जो हमेशा आसानी से उपलब्ध रहता है, उसके बारे में ही सोचना चाहिए। क्षेत्र में कई ऐसे प्रत्याशी चुनाव लड़ने आ गए हैं जिनको पहले से कोई नहीं जानता था। पब्लिक के साथ हमेशा खड़े रहने वालों को वोट देने की जरूरत है।

मनोज वर्मा: लो, यही हाल रहा तो बन गई बहुमत की सरकार। जब सब लोग अपने-अपने प्रत्याशी को वोट देंगे तो खिचड़ी वाली सरकार बनेगी। विधायक हालचाल पूछने वाला चाहिए कि क्षेत्र का विकास कराने वाला?

जाफर: होई विकासहर साल सबके वोट दे दीहल जात बा, का होता ऊ सबके सामने बा लेकिन जब नेता क्षेत्र में अइहें, सबके बीच में रईहें तब न ऊ जनिहें कि का-का समस्या बा।

जितेंद्र (हां से हां मिलाते हुए): हां और क्या, जो क्षेत्र में नहीं आएगा] वह क्या विकास करा पाएगा! जो क्षेत्र में घूमा नहीं है। उसको क्या पता है कि यहां क्या समस्याएं हैं। चुनाव प्रचार में एक माह घूमकर क्षेत्र के बारे में कितना जान पाएंगे।

अखिलेश तिवारी (हंसते हुए): भाई, नेता कवनो होखे, एके टाइप होला नेता त नेता हवें, चुनाव के बाद ऊ सबके भुलाई जइहें

टी प्वाइंट

यहां तो भैया चर्चा चलती ही रहती है। हमेशा कुछ न कुछ बात होती रहती है। कोई-कोई ही होता है कि आए और चुपचाप चाय पीकर चला जाए। वरना अधिकतर लोग तो चाय कम पीते हैं, बात ही ज्यादा करते हैं। आजकल तो माहौल चुनावी है तो लोगों की बात ही नहीं खत्म होती। कई बार तो कहना पड़ता है कि आपकी चाय ख्त्म हो गई भैया, अब जगह खाली कीजिए दूसरे कस्टमर के लिए। 30 साल से दुकान है। कितने ही चुनाव देखे हैं लेकिन इस बार जनता कुछ अधिक जागरूक लग रही है। लोग ऐसा नेता चाहते हैं जो विकास करे और आसानी से मिल जाए।

केशव, चाय दुकानदार