इससे पहले भारतीय टीम दक्षिण अफ्रीका से एकदिवसीय सिरीज़ 2-1 से हार गई थी. पूरी एकदिवसीय सिरीज़ में भारतीय बल्लेबाज़ दक्षिण अफ्रीका के तेज़ गेंदबाज़ो के सामने बेबस नज़र आए.

इसके बाद जोहानिसबर्ग में खेल गए पहले टेस्ट मैच में जब कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाज़ी करने का फ़ैसला किया तो सभी क्रिकेट पंडित हैरान रह गए.

कप्तान महेंद्र सिंह धोनी के भरोसे पर पहली पारी में युवा बल्लेबाज़ विराट कोहली खरे उतरे और उन्होने 119 रनों की शतकीय पारी खेलकर भारत को 280 रनों के सम्मानजनक स्कोर तक पहुंचाया.

पहली पारी में भरोसे की नई दीवार चेतेश्वर पुजारा ने 25 रन बनाए लेकिन वह दुर्भाग्यपूर्ण ढंग से रन आउट हो गए.

चेतेश्वर पुजारा ने 148 मिनट विकेट पर बिताकर दिखा दिया कि उनमें धैर्य की कोई कमी नहीं है. इसके बाद भारत की दूसरी पारी में चेतेश्वर पुजारा ने विदेशी ज़मीन पर अपने टेस्ट करियर का पहला शतक लगाते हुए 153 रनों की शानदार पारी खेली. दूसरी तरफ विराट कोहली ने भी 96 रन बनाए.

विलक्षण विराट

कोहली और पुजाराः भारतीय क्रिकेट का नया भरोसा

इन दोनों बल्लेबाज़ो पर सभी क्रिकेट प्रेमियों और विशेषज्ञों की विशेष नज़रें हैं. ख़ासकर यह देखते हुए कि अब टीम में सचिन तेंदुलकर और राहुल द्रविड़ नहीं हैं. नंबर तीन पर खेलते हुए चेतेश्वर पुजारा ने अभी तक निराश नही किया है जबकि नंबर चार पर खेलते हुए विराट कोहली ने भी अपना दमख़म दिखा दिया है.

चेतेश्वर पुजारा को टेस्ट क्रिकेट के दायरे में ही बांध दिया गया है. हालांकि उन्होंने भारत के लिए दो एकदिवसीय मैच भी खेले है.

दूसरी तरफ विराट कोहली भारत के उन खिलाड़ियों में से एक हैं जो ट्वेंटी-ट्वेंटी और एकदिवसीय क्रिकेट के साथ-साथ टेस्ट क्रिकेट भी खेलते है. विराट कोहली का रिकॉर्ड भी जमकर बोलता है कि उनमें शानदार क्रिकेटर के सभी गुण मौजूद हैं.

विराट कोहली ने अभी तक 21 टेस्ट मैचों में पाँच शतक जमाए हैं. इसके अलावा उन्होंने आठ अर्द्धशतक भी लगाए हैं.

पुजारा नए द्रविड़!

एकदिवसीय क्रिकेट में विराट कोहली ने 125 मैचों में 17 शतक और 28 अर्द्धशतक की मदद से 5,154 रन बना लिए हैं. विराट कोहली में पिछले दिनों अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कहने वाले सचिन तेंदुलकर को देखा जा रहा है.

विराट की विलक्षण प्रतिभा उन्हे भरोसेमंद बनाती है. राहुल द्रविड़, सचिन तेंदुलकर और वीवीएस लक्ष्मण जैसे महान बल्लेबाज़ों के साथ अपने टेस्ट करियर का आगाज़ करने वाले विराट विरोधी टीमों का सामना करना सीख चुके हैं. उनका आक्रामक स्वभाव मैदान में उनके आक्रामक खेल से मेल खाता है.

चेतेश्वर पुजारा की तुलना हमेशा राहुल द्रविड़ से की जाती रही है. हालांकि चेतेश्वर पुजारा ने कई बार विनम्रता से कहा है कि राहुल द्रविड़ एक महान बल्लेबाज़ हैं और उन तक पहुंचने में उन्हें बहुत समय लगेगा.

दरअसल चेतेश्वर पुजारा की तकनीकी मज़बूती उन्हे राहुल द्रविड़ के करीब पहुंचाती है.

कोहली और पुजाराः भारतीय क्रिकेट का नया भरोसा

विकेट पर टिकने की क्षमता और धैर्य के साथ बल्लेबाज़ी करने का उनका यह गुण भी राहुल द्रविड़ की याद दिलाते हैं.

चेतेश्वर पुजारा अभी तक जोहानिसबर्ग टेस्ट मैच सहित 16 टेस्ट मैचों में छह शतक और तीन अर्द्धशतक जमा चुके हैं.

इसमें उनके बल्ले से निकले दो दोहरे शतक भी शामिल हैं. चेतेश्वर पुजारा भी विदेशी दौरे पर ख़ुद से लगाई जा रही उम्मीदों को लेकर लापरवाह नही हैं.

विदेशी ज़मीन पर

उन्होंने अपनी शतकीय पारी के बाद कहा, "दक्षिण अफ्रीकी दौरे को लेकर काफ़ी बातें की जा रही हैं. टीम एकजुट होकर खेलना चाहती है. मैं भी दक्षिण अफ्रीका की मुश्किल परिस्थितियों में अधिक से अधिक रन बनाकर अपने मनोबल को बढ़ाना चाहता हूं. मैं हमेशा बड़ी पारी खेलना पसंद करता हूं क्योंकि टॉप ऑर्डर बल्लेबाज़ होने के कारण यह मेरी ज़िम्मेदारी भी है."

वो कहते हैं, "मैं हमेशा गेंद को उसकी योग्यता के हिसाब से खेलता हूं. अंतिम समय तक गेंद पर नज़र रखने से मुझे विकेट पर अनियमित उछाल लेती विकेट पर भी खेलने में आसानी रहती है."

अब जबकि भारतीय क्रिकेट टीम को अपनी ज़्यादातर क्रिकेट विदेशी ज़मीन पर ही खेलनी है तब विराट कोहली और चेतेश्वर पुजारा की जोड़ी पर भारत की कामयाबी बहुत हद तक निर्भर करेगी. हार और जीत खेल के दो अलग अलग पहलू हैं.

ऐसा नहीं है कि सचिन तेंदुलकर, वीवीएस लक्ष्मण और राहुल द्रविड़ के रहते भारतीय टीम विदेशों में नहीं हारी लेकिन उनके रहते भारतीय टीम को सम्मान से देखा जाता था.

अब यह तो समय ही बताएगा कि ये कहाँ तक भारत के लिए सचिन और द्रविड़ जैसे साबित होते हैं लेकिन विराट और पुजारा का खेल क्रिकेट प्रेमियों में भरोसा तो पैदा करता है.

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