- कर्मकांडी पंडितों की कमी के चलते तर्पण के लिए परेशान लोग

- विधि विधान पूर्वक तर्पण कराने के लिए नहीं मिल रहे योग्य पंडित

आई कंसर्न

मेरठ। पितृपक्ष में पितरों की संतुष्टि के लिए उनकी पुण्यतिथि पर श्राद्ध का आयोजन किया जाता है। लेकिन आधुनिक होते समाज में तर्पण कराने के लिए योग्य पंडित ही नहीं मिल रहे हैं। गौरतलब है कि 6 से 14 सितंबर तक पितृ पक्ष में श्राद्ध किए जा रहे हैं।

योग्य ब्राह्माण ही करा सकते है तर्पण

शास्त्रों के अनुसार जिसे कर्मकांडों को पूरी जानकारी हो और जिसने गुरुकुल में पूर्ण शिक्षा ली हो, वहीं पंडित विधि विधानपूर्वक तर्पण करा सकता है। गौरतलब है कि शहर में मंदिरों में पूजा करने वाले पुजारियों की संख्या तो काफी अधिक है। लेकिन गुरुकुल से शिक्षा ग्रहण करने वाले पंडितों की संख्या न के बराबर है।

दिल्ली एनसीआर का रूख

शास्त्रों के अनुसार पितृपक्ष में पितरों के निमित्त तर्पण करने से उनको संतुष्टि मिलती है। पूर्वजों का आशीर्वाद मिलता है जिससे घर में सुख शांति समृद्धि आती है। लेकिन श्राद्ध पक्ष में हर साल शहर में कर्मकांडी पंडितों की कमी हो जाती है। कारण कर्मकांडी पंडितों की संख्या कम होने के कारण अधिकतर पंडित अधिक दान दक्षिणा के लिए दिल्ली और नोएडा का रुख कर लेते हैं।

वर्जन

शास्त्रों के अनुसार कर्मकांडों के ज्ञाता पंडितों को ही तर्पण करना चाहिए। लेकिन अधूरे ज्ञान वाले पंडित भी आजकल श्राद्ध करा रहे हैं। कर्मकांडी ब्राह्माणों की संख्या काफी कम है।

- पं सुरेंद्र भैंसाली बस अड्डे मंदिर

योग्य और वैदिक क्रियाओं को जानने वाले पंडितों से ही तर्पण कराना चाहिए। हालांकि अब योग्य और कर्मकांडी ब्राहमणों की संख्या कम हो रही है।

पं। श्रवण

पौराणिक ग्रंथों में तर्पण का विशेष महत्व है। पितृ पक्ष में विधि विधान पूर्वक श्राद्ध करने से पितर सुख समृद्धि का आशीष देते हैं। हालांकि इन दिनों योग्य कर्मकांडी पंडितों की कमी हो गई है।

पं। अरविंद