- स्वर्ण जयंती स्वरोजगार योजना में 1.92 लाख रुपये के घोटाले का आरोप

DEHRADUN: नेशनल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड के रिटायर्ड डेवलपमेंट अफसर व फर्जी एजेंट को विशेष न्यायाधीश सीबीआई सुजाता सिंह की कोर्ट ने ट्यूजडे को पांच-पांच साल कैद की सजा सुनाई. डीओ पर अदालत ने 2.70 लाख रुपये का अर्थदंड भी लगाया है. डीओ को वर्ष 2003-04 के दौरान केंद्र सरकार की स्वर्ण जयंती स्वरोजगार योजना में 1.92 लाख रुपये का घोटाला करने का दोषी पाया गया है.

सीबीआई के अधिवक्ता अभिषेक अरोड़ा ने अदालत को बताया कि केंद्र सरकार ने वर्ष 2002 में स्वर्ण जयंती स्वरोजगार योजना के लाभार्थियों के प्रीमियम जमा कराने के लिए नेशनल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड से एमओयू साइन किया. इसके तहत लाभार्थी को 189 रुपये का प्रीमियम जमा करना था. प्रीमियम की यह धनराशि खंड विकास अधिकारी के माध्यम से जमा होनी थी. लेकिन एनआइसीएल के देहरादून आफिस में तैनात डीओ लक्ष्मण प्रसाद भट्ट निवासी ग्राम बम्मन पोस्ट जखोली जिला रुद्रप्रयाग ने खेल करना शुरू कर दिया. उसने अपने गांव के एक युवक दीपक भट्ट व अनिल डोभाल निवासी ग्राम नकोट पोस्ट मंदाकिनी टिहरी गढ़वाल को देहरादून बुला लिया. लक्ष्मण ने दीपक व अनिल को फर्जी एजेंट बनाकर उनके जरिए लाभार्थियों से सीधे प्रीमियम जमा कराना शुरू कर दिया. यही नहीं इसके लिए उसने अपने नाम से एक खाता भी खुलवाया. वर्ष 2003-04 में यह घोटाला सामने आया. प्रारंभिक जांच के बाद सीबीआई ने 12 मार्च 2009 को आइपीसी की धारा 120बी, 420 और 13 भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज किया. सुनवाई के दौरान अनिल डोभाल सरकारी गवाह बन गया. अदालत सीबीआई की ओर से पेश साक्ष्यों को मद्देनजर रखते हुए सजा का ऐलान कर दिया. सीबीआई की ओर से 32, जबकि बचाव पक्ष की ओर से दो गवाह पेश किए गए. सीबीआई ने अदालत को बताया कि लक्ष्मण प्रसाद भट्ट वर्ष 2006 में स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले चुका है.