यह बयान मजीठिया ने अमृतसर की एक चुनावी सभा में दिया था. उनके बयान का अमृतसर में काफ़ी विरोध हो रहा है.

कई सिख संगठनों ने सड़क पर उतरकर विरोध-प्रदर्शन किया है. कांग्रेस इन प्रदर्शनों का लाभ लेना चाह रही है और उसने चुनाव आयोग को चिठ्ठी लिख कर मजीठिया पर मामला दर्ज करने का अनुरोध किया है.

वहीं, सिख यूथ फेडरेशन (भिंडरवाले) और शिरोमणि अकाली दल (अमृतसर) ने ज़िले के उपायुक्त को एक समाचार पत्र की प्रति सौंपकर मजीठिया के खिलाफ कारवाई की मांग की है.

हलांकि, इन विरोधों को देखते हुए मजीठिया ने अपने कथित बयान के लिए अकाल तख़्त से लिखित माफ़ी मांगी है. उन्होंने इस आशय का एक वीडियो भी अपने फ़ेसबुक पेज पर डाला है, जिसमें उन्हें हाथ जोड़कर माफ़ी मांगते हुए दिखाया गया है.

अकाल तख़्त को भेजे गए माफ़ीनामे में मजीठिया ने कहा है कि उन्होंने 'अनजाने' में इस तरह की ग़लती की है और वो इसके लिए सिख पंथ से माफ़ी मांग रहे हैं.

तन्खैय्या' घोषित

उन्होंने लिखा है, "जब कभी कोई सिख ग़लती करता है और वो विनम्रता के साथ माफ़ी मांगता है, तो गुरु साहिब उसे माफ़ कर देते हैं."

खबरें हैं कि 'श्री अकाल तख़्त साहिब' के जत्थेदार ज्ञानी गुरबचन सिंह ने मजीठिया के माफ़ीनामे को स्वीकार करने से इनकार कर दिया है.

अकाल तख़्त मजीठिया के माफ़ीनामे को 'पंज सिख साहिबान' के समक्ष भेज दिया है.

पांच सदस्यों वाली 'पंज सिख साहिबान', सिखों की सर्वोच्च धार्मिक संस्था है जो ऐसे मामलों पर विचार करती है.

हो सकता है कि मजीठिया को अकाल तख़्त के सामने माफ़ी मांगने के लिए खुद ही हाज़िर होना पड़े.

महाराष्ट्र के नांदेड़ स्थित 'तख़्त श्री हुज़ूर साहिब' ने मजीठिया को पहले ही 'तन्खैय्या' घोषित कर दिया है. 'तख़्त श्री हुज़ूर साहिब' का काफ़ी महत्व है और नांदेड़ वही जगह है जहाँ गुरु गोविन्द सिंह साहिब का निधन हुआ था.

'तन्खैय्या' घोषित किए जाने के बाद मजीठिया ने 'तख़्त श्री हुज़ूर साहिब' से संपर्क कर कहा कि वो 'सजा भुगतने को तैयार' हैं और चुनाव के बाद वहां खुद जाकर माफ़ी मांगेंगे.

International News inextlive from World News Desk