- फिजिकल वेरिफिकेशन की उठी डिमांड, पजेशन के लिए परेशान छात्रों ने बयां किया दर्द

- दूसरों के दस्तावेज पर हॉस्टल में कब्जा जमाए बैठे हैं दबंग

<- फिजिकल वेरिफिकेशन की उठी डिमांड, पजेशन के लिए परेशान छात्रों ने बयां किया दर्द

- दूसरों के दस्तावेज पर हॉस्टल में कब्जा जमाए बैठे हैं दबंग

ALLAHABAD: allahabad@inext.co.in

ALLAHABAD: इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के हास्टल्स में दबंगों का कब्जा बड़ा मुद्दा बनता नजर आ रहा है। ट्यूजडे को हुए हंगामे के चौबीस घंटे बाद भी एयू एडमिनिस्ट्रेशन हरकत में नहीं आ सका। इससे हास्टल्स में प्रवेश का इंतजार कर रहे स्टूडेंट्स के बीच आक्रोश बढ़ता ही जा रहा है। वेडनसडे को भी चीफ प्रॉक्टर और डीएसडब्ल्यू कार्यालय के इर्द गिर्द मंडरा रहे छात्र पजेशन के लिए परेशान नजर आए और पूछताछ करते देखे गए। ऐसे छात्रों से बात की गई तो उन्होंने कई चौंकाने वाली जानकारियां दीं।

नई तरकीब से बना जुगाड़

डीएसडब्ल्यू कार्यालय के पास जमा छात्रों के ऐसे ही ग्रुप से बात की गई तो उन्होंने बताया कि छात्रावासों में पैठ जमाए अवैध अन्त:वासी किसी भी सूरत में हास्टल नहीं छोड़ना चाहते। इसके लिए उन्होंने एक तरकीब भी निकाली है। दबंगों का अलग अलग ग्रुप नए नवेले अन्त:वासियों को बहला फुसलाकर हास्टल में जमा होने वाले डाक्यूमेंट्स की फोटोकापी हासिल कर ले रहा है। जिसमें इंटरमीडिएट एवं हाईस्कूल की मार्कशीट, फीस रसीद और आई कार्ड शामिल है। इन दस्तावेजों को हासिल करने के बाद वे नव प्रवेशियों को धमका कर भगा दे रहे हैं और उनके नाम पर खुद रहने में कामयाब हो जा रहे हैं।

बाबू और चपरासी तक शामिल

छात्रों की मानें तो अवैध कब्जाधारी अपने मंसूबों में कामयाब होने के लिए जातिवाद और क्षेत्रवाद तक का सहारा लेने से नहीं चूक रहे। वरिष्ठ होने का हवाला देकर नए छात्रों को आश्वस्त किया जा रहा है कि वे उन्हें कमरा दिला देंगे। इसके दम पर वे नए छात्रों पर आसानी से विश्वास जमा लेते हैं और मदद के लिए परेशान नए छात्र भी आसानी से समर्पण कर देते हैं। चौंकाने वाली बात तो यह है कि इल्लीगल हास्टलर्स के इस खेल में हास्टल्स के बाबू और चपरासी तक शामिल हैं जो हास्टल के लिए जमा होने वाले डिमांड ड्राफ्ट का इस्तेमाल अवैध अन्त:वासियों के फेवर में कर रहे हैं। एग्जाम्पल के तौर पर अगर घबराया छात्र अपनी डीडी वापस लौटाने की बात करता है तो उसे वापस देने के लिए खूब दौड़ाया जाता है।

सिंगल सीटर रूम बड़ा चैलेंज

हास्टल में दबंगई से परेशान घबराए छात्रों की परेशानी केवल इस बात से समझी जा सकती है कि उन्होंने आई नेक्स्ट रिपोर्टर से हाथ जोड़कर विनती की कि उनका नाम अखबार में न छापा जाए। बहरहाल, इन छात्रों का कहना है कि अगर हास्टल में रह रहे एक-एक छात्र का फिजिकल वेरिफिकेशन करवाया जाए तो अपने आप दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा। नव प्रवेशियों का कहना है कि हास्टल में सिंगल सीटेड कमरों का एलाटमेंट बड़ा चैलेंज है और इस पर सीनियर्स का ही कब्जा है।

फूल प्रूफ प्लान की जरूरत

उधर, एयू एडमिनिस्ट्रेशन से जुड़े कुछ टीचर्स से इस पूरी समस्या पर बात की गई तो उन्होंने कहा कि इस पूरी समस्या के लिए प्रशासनिक तंत्र ही मुख्य रूप से जिम्मेदार है। उनका कहना है कि सेंट्रल यूनिवर्सिटी बनने के बाद से प्राब्लम बढ़ती ही चली जा रही हैं। हास्टल्स के लिए अभी तक कोई फूल प्रूफ प्लान अमल में नहीं लाया गया। उन्होंने इसके लिए टीचर्स और दबंग हास्टलर्स के बीच के तालमेल और गुटबाजी को भी जिम्मेदार बताया। कहा कि हास्टल्स का एलाटमेंट सही समय पर हो सके। इसके लिए जरुरी है कि एयू में सही समय पर एडमिशन प्रॉसेस शुरू हो।