15 दिन के कारावास की मिली सजा

कानपुर। 15 जुलाई को फ्रांस और क्रोएशिया के बीच फीफा वर्ल्ड कप फाइनल खेला गया था। वैसे तो यह मैच फ्रांस की ऐतिहासिक जीत के लिए जाना जाता है मगर बीच मैच में कुछ लोगों के खलल डालने की भी चर्चा हुई। मैच के 53वें मिनट पर कुछ रूसी प्रदर्शनकारी सुरक्षा में सेंध लगाकर बीच मैदान में घुस आए थे। जब तक किसी को कुछ समझ आता ये लोग खिलाड़ियों के पास तक पहुंच गए थे। खैर इन लोगों को सुरक्षाकर्मी उठाकर बाहर ले गए बाद में पता चला कि ये सभी लोग पुसी रॉयट के थे। इस संगठन ने अपने फेसबुक पेज पर खेल में बाधा डालने की जिम्मेदारी भी ली। द गार्जियन की रिपोर्ट के मुताबिक, मैदान में घुसे चार लोगों को 15 दिन के कारावास की सजा दी गई है। सोमवार को रूस की कोर्ट ने पुसी रॉयट के सदस्यों को खेल में बाधा डालने का दोषी पाया गया। यही नहीं ये लोग अब अगले तीन साल तक किसी भी इंटरनेशनल स्पोर्ट्स इवेंट में भी नहीं जा सकेंगे।

जानें क्या है पुसी रॉयट? जिसने दो मिनट के लिए रोक दिया था फीफा वर्ल्ड कप का फाइनल मैच

क्या है पुसी रॉयट

पुसी रॉयट मॉस्को स्थित महिलाओं का एक रॉक बैंड है, इसमें कुल 11 सदस्य हैं। वैसे तो यह बैंड गाने और म्यूजिक वीडियो के लिए जाना जाता है। मगर 2001 में स्थापित यह बैंड धीरे-धीरे अपने विवादों को लेकर चर्चा में आने लगा। ओपनिंग परफॉर्मेंस के साथ ही यह ग्रुप रूस में व्लादिमीर पुतिन और चर्च के कट्टरपंथ के खिलाफ आवाज उठाने करने लगा। रशियन न्यूज वेबसाइट मीडियाजोन की रिपोर्ट के मुताबिक, फीफा वर्ल्ड कप फाइनल मैच में पुसी रॉयट की तीन महिलाएं और एक आदमी पुलिस की ड्रेस में मैदान में घुस आए थे। पुलिस की वर्दी के चलते शुरुआत में सुरक्षाकर्मियों को उनके ऊपर शक नहीं हुआ मगर मामला बिगड़ता देख इन चारों को नजदीकी पुलिस स्टेशन भेज दिया गया।

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आखिर पुसी रॉयट क्यों करता है प्रदर्शन

एक रॉक बैंड होने के बावजूद पुसी रॉयट विरोध प्रदर्शन क्यों करता है, इसकी भी एक बड़ी वजह है। दरअसल यह संगठन आजादी की मांग करता है। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन चौथी बार देश के राष्ट्रपति बने हैं, जिस पर पुसी रॉयट को ऐतराज है। इसके अलावा अभिव्यक्ति की आजादी को लेकर भी यह ग्रुप अपनी आवाज उठाता रहता है।

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पुसी रॉयट की हैं ये मांगे :

- राजनीतिक कैदियों को आजाद किया जाए।

- सोशल मीडिया पर अभिव्यक्ति की आजादी मिलनी चाहिए। किसी पोस्ट को लाइक करने पर जेल में न डाला जाए।

- राजनीतिक रैलियों में होने वाली बेवजह की गिरफ्तारी पर रोक लगे।

- आपराधिक मामलों में झूठी कहानी बनाकर लोगों को बेवजह न गिरफ्तार किया जाए।

- रूस की राजनीति में कंप्टीशन पर जोर दो।

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