-संगम तट से लेकर गऊघाट तक एक हजार से अधिक नाव का हो रहा संचालन

-पीडब्लूडी विभाग की देखरेख में होता नावों का रजिस्ट्रेशन व रख-रखाव

-पंडों और मल्लाहों के पास लाइफ सेविंग जैकेट या फिर टयूब न होने पर होगी कार्रवाई

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PRAYAGRAJ: कुंभ मेले से पूर्व मनकामेश्वर के समीप हुए नाव हादसे को लेकर कई व्यवस्थाओं की पोल खुल गई है। संगम घाट से लेकर गऊघाट के बीच हजारों की संख्या में नावें चल रही हैं। मगर इन्हें चलाने वाले मल्लाहों के पास श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए कोई व्यवस्था नहीं की गई है। आलम यह है कि घाटों के किनारे चंद पैसे कमाने की लालच में नाविक श्रद्धालुओं की जान जोखिम में डाल रहे हैं। सोमवार को हुआ हादसा इसका गवाह है। अगर नाविक नाव का सही से रख-रखाव करता तो शायद यह हादसा टल सकता था। फिलहाल इस हादसे के बाद जिला व मेला प्रशासन की आंखे खुल गई है। अब देखना यह है कि विभागीय अधिकारी ऐसी घटना की पुनरावृत्ति न हो इसके लिए क्या उपाय करता है।

एक हजार से अधिक नाव

संगम एरिया में वैसे तो कई घाट बनाए गए है। मगर नाव का संचालन किला घाट से होता है। इसके अलावा संगम व गऊघाट है। जहां से मल्लाह नाव का संचालन करते हैं। मेला पुलिस विभाग के मुताबिक पूरे मेला क्षेत्र में एक हजार से अधिक नाव चल रही है, जिनका रजिस्ट्रेशन है। इसके अलावा मेले को देखते हुए और अधिक संख्या में मल्लाह रजिस्ट्रेशन करा रहे हैं। रजिस्ट्रेशन व नाव का रख-रखाव की जिम्मेदारी भी पीडब्लूडी की है। मेला को देखते हुए पुलिस प्रशासन ने फिलहाल कुछ समय के लिए रोक लगा दी है। पुलिस का कहना है कि जब तक नाव संचालक नियमों का मापदंड पूरा नहीं करता है, उसका रजिस्ट्रेशन नहीं होगा।

नहीं रखते सही से रख रखाव

संगम से गऊघाट के बीच चल रहीं अधिकतर नावें कंडम हो चुकी हैं। आस-पास के निवासियों और कई अधिकारियों का ऐसा ही मानना है। पुरानी नाव होने के बाद ही मल्लाह इसका सही से रख-रखाव नहीं कर रहे हैं। नतीजा, पुराना होने के साथ नाव की बॉडी में काफी डिफेक्ट आ चुका है। बताया जाता है कि नाव चलाने वाले मल्लाह लोग इन नावों को किसी तरह मेन्टेन कर चला रहे हैं। स्थिति यह है कि घाटों पर खड़ी तमाम नावें चलने की स्थिति में नहीं हैं। जगह जगह से ये फट चुकी हैं। इतना ही नहीं श्रद्धालु नाव में सवार होकर जिस पटरे पर बैठते हैं, उसकी स्थिति भी कमजोर हो चुकी है।

रेट लिस्ट का नहीं पता

देश के कोने-कोने से संगम आने वाले श्रद्धालु भक्ति भाव से आते हैं। उन्हें रेट की सही जानकारी न होने के कारण अधिक महंगे दाम ऐंठ लिए जाते हैं। कई बार तो घाटों पर पैसों के विवाद को लेकर श्रद्धालुओं और नाव संचालकों में विवाद भी हो चुका है। बावजूद इसके न तो नावों पर कोई फिक्स रेट लिस्ट विभाग द्वारा लगवाई गई और न ही घाटों के आस-पास। यही वजह यह है कि बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं को खुलेआम लूटा जाता है।

पंडों व नाविकों पर होगी कार्रवाई

उधर इस हादसे के बाद मेला पुलिस प्रशासन सख्त हो गया है। मेला डीआईजी कवीन्द्र प्रताप सिंह ने बताया कि सोमवार को हुए हादसे के बाद वह जल्द ही नाविकों व पंडों के लिए एक पॉलिसी बनाई जाएगी। मेले के दौरान भी नाविक को सख्त हिदायत दी जा रही है कि वह नाव में बैठाने से पूर्व श्रद्धालुओं को लाइफ सेविंग जैकेट या फिर टयूब दें। अगर ऐसा कोई नहीं करता है और गलत पाया जाता है तो ऐसे लोगों के खिलाफ सख्त कदम उठाया जाएगा।