-प्रदर्शनकारियों के नारे की गूंज थम नहीं रही

- एडमिनिस्ट्रेशन के लिए सिरदर्द बना हुआ है यह चौराहा

PATNA: 'तू संग्राम कर ऐसा कि घड़ी संकट की आई है, न फौजों की न सरहद की, ये जीने की लड़ाई है'। राजधानी के आर ब्लॉक चौराहे पर यह गीत जब एक शिक्षक ने गाया, तो ठंड में सब ने हर पंक्तियों पर तालियां बजाना शुरू कर दिया और मौसम की ठंड कहां चली गई नहीं मालूम। आर ब्लॉक चौराहा पिछले कई दिनों से आंदोलन के तेज से गर्म है। कहीं रात भर का रतजगा है, तो कहीं सड़क किनारे और कहीं सड़क पर ही प्लास्टिक डालकर लोग सो रहे हैं। परिवर्तनकारी प्रारंभिक शिक्षक संघ सहित कई और संगठन आंदोलन कर रहे हैं।

एक से बढ़कर एक तर्क

परिवर्तनकारी प्रारंभिक शिक्षक संघ के आंदोलन में स्टैंड माइक लगा है। माइक पर जोशीले नारे लगाए जा रहे हैं। एक महिला शिक्षिका आती है और वह हम होंगे कामयाब। हम होंगे कामयाब एक दिन। मन में पूरा है विश्वास के गीत गाती है। उनके साथ-साथ बाकी सब भी गाने लगती है। कुछ शिक्षकों के साथ उनके बच्चे भी हैं। स्वेटर-टोपी पहने।

वित्त रहित शिक्षा संयुक्त मोर्चा

इस मोर्चा के कुछ सदस्यों ने बुधवार को मौखिक रूप से आत्मदाह करने की बात कही थी जिसके बाद पुलिस की भी नींद उड़ने लगी थी, लेकिन बाद में वार्ता हुई और ये मान गए। इनकी मांगें हैं-वित्त रहित शिक्षकों को वेतन दो, शिक्षाकर्मियों की सेवा सामंजित करो, सेवानिवृत्त के बाद शिक्षाकर्मियों को वेतन दो और बकाए अनुदान का शीघ्र भुगतान हो। वित्त रहित शिक्षकों के समर्थन में बुधवार को एमएलसी संजीव सिंह सहित कई नेता विधानमंडल परिसर में धरने पर भी बैठे थे। शिक्षकों ने बताया कि एक माह के लिए आंदोलन को टाला गया है। फ्क् जनवरी ख्0क्भ् तक का समय सरकार ने लिया है। अगर इसके बाद भी सरकार ने मांगें नहीं मानी तो इसी विधान सभा के सामने आत्मदाह भी करने से नहीं चूकेंगे।

बिहार प्रदेश कनीय अभियंता संघ

इस संघ का आंदोलन लगातार कई दिनों से चल रहा है। इंजीनियर ग्रामीण विकास डिपार्टमेंट के अंतर्गत आते हैं। इनकी मांग है कि सेवा नियमित की जाए, मानदेय विसंगति दूर हो और डिप्लोमा योग्यता पर डिग्रीधारी अभियंताओं की बहाली बद करो। ये एसोसिएशन अनिश्चितकालीन हड़ताल और धरने पर है। इनकी मांग है कि क्भ्ब्ब् आयुष चिकित्सकों को बिना शर्त नियमित किया जाए, मानदेय विसंगति दूर करते हुए एलोपैथ प्रक्षेत्र के समान ब्क्000 किया जाए।

बिहार राज्य संविदा अमीन अंचल अमीन संघ

ये संघ पांच सूत्री मांगों को लेकर धरने पर हैं। संघ की मांग है कि जिला उपसंपवर्ग वर्ग में कार्यरत संविदा अमीन का नियोजन अवधि कर्मी के म्0 साल की आयु सीमा तक किया जाए। इसके बाद शेष रिक्त पदों पर बीएसएससी द्वारा आयोजित प्रतियोगिता परीक्षा में चयनित प्रतिभागी की नियुक्ति की जाए, बकाया मानदेय राशि का भुगतान पंद्रह दिनों के अंदर किया जाए, कार्य की अधिकता को देखते हुए प्रत्येक अंचल कार्यालय में सरजमीनी कार्य निष्पादन के लिए न्यूनतम चार अमीन का पद सृजन कर अमीन का बहाली किया जाए और मानदेय बढ़ाया जाए।

बाल श्रमिक विशेष विद्यालय शिक्षक एवं कर्मचारी संघ

यह संघ पिछले 7 नवंबर से आर ब्लॉक पर धरना दे रहा है। इनकी तंबू के नीचे गैस सिलेंडर से लेकर खाने के लिए पत्तल और सब्जियों तक के इंतजाम हैं। पंक्तिबद्ध होकर भोजन किया और फिर धरने पर बैठे भी। संघ की मांग है कि बाल श्रमिक विशेष विद्यालय के शिक्षक और कर्मचारियों को बिहार सरकार के विद्यालय में समायोजन करे, शिक्षक और कर्मचारियों का लंबित भुगतान अविलंब करे।

यह सड़क जो सदन तक जाती है

आर ब्लॉक की ये सड़क जिस पर धरना और नारेबाजी है वह विधान मंडल की तरफ जाती है, यानी आंदोलनकारी मानते हैं कि उनकी आवाज सीधे सरकार तक जा रही है। विधान मंडल का सत्र चल रहा है इसलिए भी सरकार पर दबाव डालने का ये माकूल समय है।

सबसे ज्यादा गुस्से वाला चौक

आर ब्लॉक सबसे ज्यादा गुस्से वाला चौक है। एडमिनिस्ट्रेशन के लिए सिरदर्द बना हुआ। फाटक के इस पर नारेबाजी, धरना, तख्यिां, हुंकार, चेतावनी जैसे शब्द हैं तो फाटक के दूसरी तरफ पुलिस का सख्त पहरा। पुलिस के हाथ में लाठी और दूसरे में सेफ के लिए तैयारी। बज्रयान भी मौजूद। कई बार ये फाइट टूट चुका है। कई बार लाठीचार्ज का गवाह बन चुका है आर ब्लॉक। इस बार अब तक गेट तोड़ने जैसा कुछ नहीं हुआ है। कुछ पुलिसवाले तंबू के नीचे आग जलाकर ताप भी रहे हैं।

एक तरफ गुस्सा, दूसरी तरफ बाजार

लोग नारे लगा रहें हैं। धरना दे रहे हैं और भूख लगने पर पास के होटलों में खाना खा रहे हैं। पास में आर ब्लॉक के आसपास की दुकानें इस गुस्से के जमघट से गुलजार है। ठेले पर अमरूद है। चना है। मूंगफली है। चाय है। गरमा गरम पियाजू, आलू चॉप और ब्रेड पकौड़ा भी।

समान नीति नहीं रहने से पनप रहा गुस्सा

सरकार की नीति कई जगह समान नहीं है। नतीजा यह गुस्सा स्वाभाविक है। खासतौर से शिक्षकों के मामले में तो ये साफ दिखता है। नेताओं की राजनीति और वायदे भी गुस्से के निशाने पर हैं। एक शिक्षक ने माइक पर कहा-लालू प्रसाद जब विपक्ष में तो कहा था कि शिक्षकों को मानदेय की जगह वेतन दिलवा दूंगा। अब बताएं वे क्या कर रहे हैं सरकार के साथ मिलकर? जीने की लड़ाई में ये सवाल बड़ा भी है और इसके दर्द का एहसास विधान मंडल की उस ताकत को भी होना चाहिए, जो जनता की ताकत से बना है।