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GORAKHPUR: विश्व स्तर पर देश को पहचान दिलाने में खेल का बहुत महत्व है। लेकिन भारत सरकार खेल के प्रोत्साहन के लिए बहुत कुछ नहीं कर पाती है। सरकार को चाहिए कि खिलाडि़यों की सुविधाओं के साथ-साथ अधारभूत संरचना को ठीक करना चाहिए। लोगों को भी अपने बच्चों को खेल के प्रति प्रोत्साहित करना चाहिए। यह बातें उभर कर आई दैनिक जागरण आई नेक्स्ट और रेडियो सिटी के संयुक्त तत्वावधान में मिलेनियल्स स्पीक के तहत आयोजित राजनी-टी कार्यक्रम में। रीजनल स्टेडियम में आरजे सारांश से युवाओं ने देश की सुरक्षा, स्वच्छता, रोजगार, शिक्षा आदि मुद्दों पर बेबाकी से राय रखी।

सप्ताह में एक दिन खेलकूद
राजनी-टी में चर्चा का दौर शुरू हुआ तो रवींद्र दुबे ने बड़ी बेबाकी से अपनी बात रखी। रवींद्र ने कहा कि शहर में जितने भी खाली स्थान थे, वहां तेजी से बिल्डिंग बनाई जा रही है। सिटी में ऐसी बहुत कम जगह है, जो घर से नजदीक हो और वहां जाकर लोग अपनी फिटनेस के लिए कुछ कर सके। ऐसे में सरकार को चाहिए कि हर विभागों और स्कूलों में कम से कम सप्ताह में एक दिन ऐसा निर्धारित करें कि उस दिन वहां पर खेलकूद का ही आयोजन हो, जिसमें सभी को भाग लेना अनिवार्य हो। कहा कि जो भी पार्टी जाति के नाम पर वोट मांगे उसे कत्तई ना वोट करें। विभिन्न जातियों के लोगों को जोड़कर भारत देश बनाया गया है। इस देश में विभिन्नता के बाद भी एकता देखने को मिलती है।

स्वच्छता का फॉर्मूला शहरों तक सीमित
शिवम श्रीवास्तव ने कहा कि सरकार का स्वच्छ भारत का फॉर्मूला शहर तक सीमित है। इससे ग्रामीण इलाकों में अभी भी स्वच्छता ने कदम नहीं रखा है। गांव इलाके में आज भी गंदगी के कारण तमाम बीमारियां पांव पसार रहीं हैं और कई की इसमे मौत तक हो जा रही है। यही नहीं शहरी इलाकों में भी कई मोहल्लेवासी गंदगी से परेशान हैं। हालत यहां तक पहुंच गई है कि इन मोहल्लों में रहने वाले लोग गंदगी से त्रस्त होक र अपना मकान बेचकर दूसरे जगहों पर जाने को मजबूर हैं।

शिक्षा पर दें गंभीरता से ध्यान
इस दौरान सुमित बनर्जी ने कहा कि देश की तरक्की में अज्ञानता हमेशा से बाधक बनती रही है। इतने सालों के बाद भी आज शिक्षा का स्तर बढ़ने की वजह घटता जा रहा है। इसका मेन कारण यह है कि सरकारी स्कूलों में टीचर्स सैलेरी तो मोटी लेते हैं पर काम ईमानदारी से नहीं करते हैं। जिसके कारण सरकार का हर घर के लोगों को शिक्षित करने का सपना अधूरा है। साथ ही शिक्षा और रोजगार में आरक्षण को पूरी तरह से समाप्त करना चाहिए।

 

 

 

भ्रष्टाचार पर लगे लगाम
भ्रष्टाचार के मुद्दे पर केके तिवारी ने बेबाकी से अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि जिस तरह से एससी एसटी को विशेष सुविधा मिलती है। उसी तरह भ्रष्टाचार के मामलों में भी शिकायतकर्ता को सुरक्षा मिलनी चाहिए। इससे भ्रष्टाचार के खिलाफ कोई भी आवाज उठाने से डरेगा नहीं। इससे भ्रष्टाचार के खिलाफ ज्यादा से ज्यादा लोग बिना डरे शिकायत कर सकेंगे और गलत कार्यो पर लगाम लगेगी। इस फॉर्मूले पर जो भी काम करेगा उसी को हम अपना वोट देंगे।

काम नहीं करता आईजीआरएस पोर्टल
अमरनाथ ने भी अपनी बातों को आरजे के सामने पेश किया। उन्होंने कहा कि सरकार ने पब्लिक की सहूलियत के लिए आईजीआरएस पोर्टल बनाया है। जिस पर कहीं से भी शिकायत दर्ज कराई जा सकती है। ये पोर्टल शुरू में तो अच्छी तरह से काम किए, लेकिन समय के साथ ये भी अब सुस्त पड़ गए हैं। पोर्टल पर की गई शिकायतों का अब कोई निस्तारण नहीं होता है। पब्लिक भी इस बात को समझ चुकी है।

इंटरनल गद्दारों की करें सफाई
बंसत ने कहा कि देश आज जब तरक्की की राह पर तेजी से आगे बढ़ रहा है, ऐसे में यहीं के लोग अराजकता फैलाकर लोगों को बांटने का कार्य कर रहे हैं। सबसे जरूरी ये है कि बाहर के लोगों से बाद में निपटा जाए और पहले जो देश को बांटने का कार्य कर रहे हैं उन्हें सबक सिखाया जाए। इससे देश में अराजकता खत्म होगी और एकता कायम होगी। इसी दौरान नितिन ने कहा कि व्हाट्सअप और फेसबुक के माध्यम से सबसे ज्यादा अराजकता फैलाई जा रही है। इसके लिए प्रशासन को कड़े कानून बनाने चाहिए।

सुस्त हैं सरकारी विभाग
गौरव ने बड़ी ही अहम बात कही। बताया कि सरकारी विभाग के कर्मचारी बहुत ही सुस्त ढंग से कार्य करते हैं। सरकारी विभागों में जाने पर काम कम डेट ज्यादा मिलती है। प्राइवेट ऑफिसों में किसी भी काम को तुरन्त किया जाता है। इससे वहां पर भीड़ भी कम होती है और काम भी तेजी से लोगों का हो जाता है। जबकि, सरकारी विभागों की सैलेरी बैठकर लोग ले रहे हैं, इसके बाद भी इनके ऊपर कड़ी कार्रवाई नहीं होती है। जिससे इनका मन इतना बढ़ जाता है कि ये कस्टमर्स से बात तक सही से नहीं करते हैं। इसी क्रम में जितेन्द्र ने कहा कि करप्शन बंद हो गया है ये हर जगह हल्ला है, लेकिन सच्चाई इससे इतर है। करप्शन अब पहले से ज्यादा मंहगा हो गया है।

 

मेरी बात

देश में हर दिशा में काम हो रहा है, लेकिन फिटनेस को ध्यान में रखकर न तो सरकार काम कर रही है न ही पब्लिक के पास इसके लिए टाइम है। जबकि, स्वस्थ आदमी ही फ्रेश काम कर सकता है। जिस दिन काम फ्रेश होने लगेगा, तब विकास तो अपने आप होगा। इसलिए शिक्षा के साथ ही जिले स्तर पर सरकार को खेल पर भी फोकस करना होगा। ये स्कूलों तक सीमित नहीं रहना चाहिए, बल्कि सरकारी विभागों में भी हर सप्ताह खेलकूद से जुड़े आयोजन होने चाहिए। इससे सरकारी विभागों के काम में भी तेजी आएगी।

रवींद्र दुबे

 

कड़क मुद्दा

सबसे कड़क मुद्दा जाति और धर्म का था। इसके लिए मनीष ने कहा कि देश के सभी नागरिकों से मेरी अपील है कि इलेक्शन में वो अपने मत का प्रयोग जरूर करें। किसी भी पार्टी को जो जाति और भाषा के आधार पर वोट मांगे, उसका बहिष्कार करें। जिस दिन पब्लिक इस बात को समझ लेगी, उस दिन विकास की रफ्तार दोगुनी स्पीड से बढ़ेगी। वहीं जो जाति और धर्म के आधार पर लोगों को बांटने का कार्य कर रहा है। उससे दूरी बनाने की जरूरत है।

 

हाजमोला खाओ कुछ भी पचाओ
बार्डर पर मुस्तैदी से तैनात जवानों की कार्रवाई का भी कुछ लोग साबूत मांग रहे। यह शर्म की बात है। फिलहाल देश संवेदनशील समय से गुजर है। फिर भी कुछ लोग इस पर राजनीति कर रहे हैं। अपने सेना के पराक्रम पर सवाल उठा रहे हैं। इससे बचना चाहिए था।

स्वच्छ भारत का मुद्दा शहरों तक सीमित है। ग्रामीण इलाकों में इसके लिए कुछ नहीं हो रहा है। वहीं आईजीआरएस पोर्टल पर सही ढंग से काम नहीं कर रहा है। इसलिए इस पर शिकायत को भी कोई असर नहीं होता है।

शिवम श्रीवास्तव

 

जिस दिन समाज के सभी लोग अच्छे से शिक्षित हो जाएंगे, उस दिन कोई भी उन्हें धर्म और भाषा के आधार पर बरगला नहीं पाएगा। इस पहल से अराजकता आसानी से दम तोड़ देगी। देश में भी विकास की रफ्तार बढ़ेगी।

जयेन्द्र नाथ पाण्डेय

 

देश में एजुकेशन के स्टैंडर्ड को मेंटेन किया जाए। आज भी बढ़ी जनसंख्या देश में अशिक्षित है। कहीं न कहीं ये अराजकता के कारण भी बनते रहते हैं। ये दूर हो तो तरक्की कदम चुमेगी।

सुमित बनर्जी

 

देश की एकता भारत की पहचान है। इस बात से हर देश हैरत में पड़ जाता है कि भारत में विभिन्न जाति और भाषा के लोग कैसे इतने अच्छे ढंग से रहते हैं। ये एकता ही देश के दुश्मनों को गलत सोचने से रोकती है।

विवेकानंद

 

अब समय आ गया है कि देश में छिपे गद्दारों के लिए कड़ा कानून बनाकर उन्हें देश से बाहर निकाला जाए। जो भी देश को जाति को बांटने का काम करे उसे कड़ी से कड़ी सजा देनी चाहिए।

बंसत कुमार

 

स्कूलों में खेलकूद की शिक्षा को अनिवार्य कर देना चाहिए। देखा जाता है कि स्कूल में साल में एक बार प्रतियोगिता कराकर केवल खानापूर्ति की जाती है।

जतीन श्रीवास्तव

 

सख्त कानून के बाद भी महिलाएं अपने अधिकार के लिए जूझती रहती है। आज भी कम उम्र में लड़कियों की शादी कर उनके अरमानों का गला घोंट दिया जा रहा है।

अमरनाथ शुक्ल

 

शिक्षित होने के बाद भी आज रोजगार के लिए युवाओं को भटकना पड़ रहा है। यही कारण है कि देश के युवा रोजगार खोजत-खोजते भटकर कर गलत रास्ता चुन ले रहे हैं।

मनीष कुमार

 

मेरा लोगों से निवेदन है कि सैनिकों को कहीं भी देखिए उनके लिए रास्ता जरूर छोडि़ए। क्योंकि देश के असली हीरो यही हैं। इनकी वजह से ही हम चैन से सोते हैं

अजय भूषण दूबे

 

डिजिटल इंडिया का सपना सरकार जरूर देख रही है लेकिन आज भी ये अधूरा ही है। क्योकि डिजिटल के लिए सबसे जरूरी है कि सभी लोग शिक्षित हों।

नितिन यादव