- मिलेनियल्स स्पीक में बोले शहर के लोग

- नोट बंदी ने दी राहत, बेरोजगारी दूर करें सरकारें

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GORAKHPUR: देश में चरम पर पहुंच रहे करप्शन पर ब्रेक लगाने में डिमोनेटाइजेशन की अहम भूमिका है। लेकिन सिर्फ इसी से देश का विकास नहीं हो सकता है। विकास के लिए हमको हर हाथ को काम देने की जरूरत है। युवाओं को सिर्फ डिग्री देने के बजाय सरकारें रोजी-रोटी देने का प्रबंध भी करें। लोक सभा चुनाव करीब आते ही सभी राजनीतिक दल अपने मेनीफेस्टो संग मैदान में आ जाते हैं। बातें बहुत बड़ी-बड़ी होती हैं लेकिन धरातल पर कुछ नहीं मिलता। रविवार को सिविल लाइंस, पैडलेगंज में दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट की राजनी-टी में मिलेनियल्स स्पीक में सामने आया है कि बेरोजगारी दूर करके सभी समस्याओं का समाधान किया जा सकता है।

सुसाइड की वजह बन रही बेरोजगारी
देश में स्कूल-कॉलेज की तादाद रोजाना बढ़ती जा रही है। क्वालिटी एजुकेशन के नाम पर आर्थिक शोषण बढ़ता जा रहा है। स्कूल और कॉलेज के लुभावने इंफ्रास्ट्रक्चर को देखकर स्टूडेंट्स भले एडमिशन करा लें लेकिन उनको जॉब दिलाने वाली एजुकेशन नहीं मिल पा रही। पारंपरिक पढ़ाई से हटकर कुछ नहीं हो पा रहा। हर साल लाखों की तादाद में बढ़ती जा रही बेरोजगारों की फौज बड़ी समस्या को जन्म दे रही है। बेरोजगारी का दंश झेल रहे युवाओं को प्राइवेट फर्म में ठीक से नौकरी नहीं मिलती। किसी तरह से उनको जॉब मिल भी गई तो वेतन भुगतान में इतनी कटौती होती है कि उनके परिवार का भरण-पोषण नहीं हो पाता। मिलेनियल्स का मानना है कि ज्यादातर युवा बेरोजगारी से तंग आकर सुसाइड कर रहे हैं। किसी पिता के सामने उसके 30 साल के बेटे की मौत हो जाती है तो उसके सारे सपने टूट जाते हैं। मिलेनियल्स का मानना है कि यदि सरकार नौकरी नहीं दे पा रही तो रोजगार के दूसरे अवसर मुहैया कराए। कोई बेरोजगार जब रोजगार शुरू करने के लिए बैंक से लोन की आस लेकर पहुंचता है तो उसे प्रताडि़त, परेशान किया जाता है। आसानी से बैंक लोन नहीं देता कि वह रोजगार शुरू कर सकें। आधी ऊर्जा बैंकों का चक्कर लगाने में खत्म हो जाती है। मिलेनियल्स का कहना है कि नोटबंदी ने भ्रष्टाचार पर लगाम कसी है। लेकिन अभी स्मार्ट सिटी की दौड़ में हम पीछे रह गए हैं। इसलिए इन बातों पर भी सरकारों को गौर करना होगा।

मेरी बात
मेरा कहना है कि जो लोग भी गलत तरीके से धन कमा रहे थे उनको रोकने में कामयाबी मिली है। सभी व्यापारी, फर्म सही तरीके से काम करने लगी हैं। व्यवस्था के ऑनलाइन होने से करप्शन पर लगाम कसने लगी है। हमारे देश में ऐसी कोई व्यवस्था नहीं थी जिससे अवैध, काली कमाई रुक सके। इनकम टैक्स देने वालों की संख्या बढ़ी है। लिखा-पढ़ी दुरुस्त होने से तमाम जगहों पर चल रहे कंस्ट्रक्शन वर्क से लेकर टेंडरिंग तक की प्रक्रिया में धांधली थमने लगी है। यदि देश में कोई अवैध कमाई के बारे में नहीं सोचेगा तो इसका लाभ सभी को मिलेगा। पहले मौका मिलने पर लोग खूब रुपए कमाते थे। घोटालों की भरमार लगी हुई थी। नेताओं से भरोसा उठने लगा था। देश में विकास के पैसे से अपना विकास करने वाले बढ़ते जा रहे थे। अब परिस्थितियों के बदलने से जो हालात देखने को मिल रहे उससे साफ पता लग रहा है कि बेईमानी करने वाले मायूस हैं। लेकिन वह दिन दूर नहीं जब हर कोई इनकम करने लगा। लोगों को रोजगार मिल सकेगा।

- अतुल कुमार सिंह

 

कड़क मुद्दा
किसी भी पढ़े-लिखे युवा के लिए उसकी पहली प्राथमिकता नौकरी की होती है। यदि उसे उसकी रुचि के अनुसार नौकरी नहीं मिलती तो उसके सपने टूटते हैं। वह लगातार डिप्रेशन में चला जाता है। जरूरत है कि सौ प्रतिशत बेरोजगारी खत्म की जाए। पॉप्युलेशन पर लगाम कसकर हर गवर्नमेंट को चाहिए कि लोगों को रोजगार दिया जाए। नई पीढ़ी के युवाओं को जॉब की जरूरत है। सरकार को चाहिए कि उनकी क्षमता का सदुपयोग करते हुए योग्यता के अनुसार उनको नौकरी उपलब्ध कराएं। गवर्नमेंट जॉब सीमित होती है। इसलिए जगह-जगह उद्योग धंधे लगने चाहिए। इससे देश के विकास की रफ्तार अपने आप बढ़ने लगेगी।

 

 

भ्रष्टाचार रोकने के लिए नोटबंदी बहुत जरूरी थी। हर कोई गलत तरीके से रुपए कमाने की कोशिश करता था। पूरे विश्व में पारदर्शिता बरती जाती है। इनकम टैक्स देने वालों की तादाद बढ़ने से इन्फ्रास्ट्रक्चर बढ़ेगा। ब्लैक मनी से मिलने वाला टैक्स सरकार जनकल्याणकारी योजनाओं में लगा सकेगी।

- प्रमोद कुमार

 

बेरोजगारी अहम मुद्दा है। हर युवा पढ़ने के बाद नौकरी की आस रखता है। 10-12 हजार रुपए की नौकरी कोई करना नहीं चाहता है। आज की डेट में जो भी युवा सुसाइड कर रहा है वह बेरोजगारी से तंग आकर कर रहा है। बेरोजगारी के मुद्दे को सॉल्व करना चाहिए।

- अंकित कुमार

 

देश में गरीबी बहुत है। सरकारों को चाहिए जगह-जगह इंडस्ट्री लगाएं। सरकारी नौकरियों की संख्या कम हो गई है। विभागों में खाली पड़े पदों को भरने की कोशिश नहीं हो रही। डॉक्टरी और इंजीनियरिंग करने वाले लोग गवर्नमेंट जॉब में रुचि नहीं रखते। ऐसे में व्यवस्था कहां से बदल पाएंगे।

- तुषार यादव

 

बेरोजगारी बढ़ती जा रही है। इससे मैं पूरी तरह से सहमत हूं। हर गवर्नमेंट को चाहिए कि वह नौकरियां ले आएं। धीरे-धीरे जॉब्स कम होते जा रहे हैं। प्राइवेट फर्म में मेहनत का उचित मूल्य नहीं मिल रहा है। इससे कहीं न कहीं युवाओं में निराशा है। कॉलेज और स्कूल की बढ़ती तादाद से बेरोजगारी भी बढ़ रही।

- संजय मालवीय

 

स्मार्ट सिटी बनाने के लिए सड़क, पानी, बिजली, सफाई सहित कई समस्याओं को दूर करना होगा। देखा जा रहा है कि जब शहर के रैंकिंग की बात आती है तो अफसर जोर-शोर से लग जाते हैं। लेकिन जैसे ही मामला खत्म हुआ कोई ध्यान नहीं देता। वीआईवी के आने पर सफाई की जाती है। मोहल्लों में चले जाइए तो हकीकत नजर आएगी।

- अविनाश गुप्ता

 

हमारे लिए सबसे अहम मुद्दा सुरक्षा का है। इस मामले में तो कभी कोई समझौता किया ही नहीं जा सकता है। पुलवामा की घटना ने साबित किया है कि हमारी इंटरनल सिक्योरिटी में लूप होल्स हैं। इस वजह से देश विरोधियों को हमारी जानकारी मिलती है। सुरक्षा व्यवस्था के साथ कोई खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है।

- अरविंद यादव

 

सरकारी नौकरियों में आरक्षण पहले से मिल रहा है। प्राइवेट फर्म में इसकी व्यवस्था होनी चाहिए। जो लोग आरक्षण के खिलाफ बात करते हैं लेकिन इसका मानक बदलने की जरूरत है। आर्थिक रूप से आरक्षण की व्यवस्था होने पर हर जाति-वर्ग को इसका लाभ मिल सकेगा।

- अभिषेक तिवारी

 

अगर आबादी कंट्रोल नहीं की गई तो कोई प्रॉब्लम दूर नहीं होगी। बेहिसाब बढ़ रहे पॉप्युलेशन के हिसाब से संसाधन घटते जा रहे हैं। नेचुरल रिर्सोसेज के कम होने पर पब्लिक मुसीबत झेलेगी। कम जनसंख्या होती तो लोगों को आसानी से रोजगार मिल जाता। कम इनकम में भी लोग सुखद जीवन गुजार लेते।

- अभय कुमार गौड़

 

सरकारी विभागों में भ्रष्टाचार कम हुआ है। दूसरे विभागों में असर नजर आने लगा है। भ्रष्टाचार कम होने से गवर्नमेंट का फायदा हो रहा है। अगर करप्शन कम होगा तो आम लोगों को बड़ी राहत मिलेगी। पारदर्शिता नजर आ रही है।

- मोहम्मद शकील

 

सरकार को चाहिए कि अपनी योजनाओं को जन-जन तक पहुंचाएं। तमाम लोगों को आज भी नहीं पता चल पाता कि आखिर उनके लाभ के लिए सरकार ने क्या कदम उठाए हैं। इस चक्कर में बिचौलिया हावी होकर सारे फायदे उठा ले जाते हैं। ठगी के शिकार होने पर लोगों को जानकारी हो पाती है।

- रितेश कुमार