तमाम लोगों के दिलों में रैगिंग का खौफ भी है लेकिन खिलाडिय़ों की दुनिया कुछ अलग है। केडी सिंह बाबू स्टेडियम में ब्वॉयज का हॉकी हॉस्टल है। इसके अलावा गल्र्स का जिम्नास्टिक, एथलेटिक्स और हॉकी हॉस्टल है। यहां की तस्वीर और हॉस्टल्स से हटकर है। यहां पर एडमीशन लेने वाले प्लेयर्स का ख्याल सीनियर प्लेयर्स ही रखते हैं। गल्र्स में जूनियर-सीनियर की कोई बात ही नहीं है। सभी फ्रेंडस की तरह रहती हैं।

रैगिंग का था डर

गोरखपुर के हैदर अली ने जब केडी सिंह बाबू स्थित हॉकी स्टेडियम में एडमीशन लिया तो उन्हें रैगिंग का डर था। मन में बार-बार सवाल उठता कि पता नहीं सीनियर्स कैसे बिहैव करेंगे? क्या-क्या झेलना पड़ेगा? अपनी फैमिली के बिना हॉस्टल में रह पायेगा या नहीं। कहीं कॅरियर ना खराब हो जाए? इसी तरह से फरुखाबाद की वर्षा ने जब बाबू स्टेडियम स्थित गल्र्स का एथलेटिक्स हॉस्टल ज्वाइन किया तो उन्हें भी रैगिंग का डर सता रहा था।

लेकिन इन दोनों खिलाडिय़ों का डर हफ्ते भर के अंदर ही दूर हो गया। हॉस्टल में इनके सीनियर्स ने इन्हें अपनों से भी ज्यादा दुलार दिया। खुद हैदर बताते हैं कि नया होने के कारण शुरुआती दौर में मेरी किसी से बात नहीं होती थी। सोचता था कि पता नहीं कब कोई सीनियर प्लेयर मेरी रैगिंग लेना शुरू कर दे। लेकिन यहां तो सबकुछ मेरी उम्मीदों के विपरीत हुआ। जब मैं यहां के लोगों में घुल-मिल नहीं पा रहा था तो मेरे सीनियर्स ने मुझे बुलाकर मुझसे बात करनी शुरू की। मार्निंग और इवनिंग दोनों सेशन की प्रैक्टिस में मेरा ध्यान रखा जाता। लंच और डिनर में भी मेरे सीनियर्स हमेशा मेरा ख्याल रखते। सिर्फ मेरा ही नहीं यहां नए एडमीशन लेने वाले प्लेयर्स का सभी सीनियर्स खासा ख्याल रखते। रैगिंग तो दूर अगर किसी को जरा भी तकलीफ हो जाए तो हॉस्टल के सभी खिलाड़ी बेचैन हो जाते हैं। किसी खिलाड़ी की प्रॉब्लम को सभी मिलकर फेस करते हैं।

अब घर की याद ही नहीं आती

एथलेटिक्स हॉस्टल ज्वाइन करने वाली वर्षा ने बताया कि हॉस्टल में सीनियर्स और जूनियर्स का कोई भेद नहीं है। जब मैने हॉस्टल ज्वाइन किया तो ऐसा लगा कि पता नहीं घर से दूर रह पाउंगी या नहीं, लेकिन यहां सीनियर्स के साथ इतना घुलमिल गई कभी घर की याद ही नहीं आई। खास बात यह है कि यहां जिम्नास्टिक गेम में आने वाली प्लेयर्स की एज आठ से दस साल के बीच होती है। वह खुद का ख्याल नहीं रख पातीं। ऐसे में उनकी सारी जिम्मेदारी सीनियर प्लेयर्स उनकी बड़ी सिस्टर्स की तरह निभाती है।

किसी मामले में कोई शिकायत नहीं

गल्र्स हॉस्टल की नेशनल प्लेयर्स चिंता यादव, शिवा शाक्य, विभा यादव, प्रीनू यादव, मीनू निर्वाल ने बताया कि अपने घर से ज्यादा अच्छा हमें यहां लगता है। सीनियर प्लेयर्स के अलावा हमारी कोच भी हम सभी का बहुत ध्यान रखती हैं। हॉकी कोच राकेश शर्मा ने बताया कि हमारे हॉस्टल में सभी प्लेयर्स एक परिवार की तरह रहते हैं। रैगिंग तो दूर आज तक किसी भी मामले में इनकी शिकायत तक नहीं आई है। गल्र्स हॉस्टल वार्डन और एथलेटिक कोच विमला सिंह ने बताया कि जूनियर हो या सीनियर, हमारे यहां सभी प्लेयर्स फ्रेंडस की तरह रहते हैं। छोटी लड़कियों की जिम्मेदारी यहां सीनियर खिलाड़ी खुद उठाती हैं। उनके खाने-पीने से लेकर उनके कपड़े तक की व्यवस्था सीनियर प्लेयर्स संभालती हैं।