रघुराम राजन डी सुब्बाराव की जगह ले रहे हैं, जिनका पांच साल का कार्यकाल चार सितंबर को आज ख़त्म हो रहा है.

वह रिजर्व बैंक के 23वें गवर्नर होंगे.

वह भारत के वित्त मंत्रालय में मुख्य आर्थिक सलाहकार के रूप में भी काम कर चुके हैं.

वो वित्तीय क्षेत्र में सुधार पर बनी सरकार की कमेटी के भी प्रमुख थे.

अब तक का सफ़र

-रघुराम राजन भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) नई दिल्ली, भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम) अहमदाबाद और मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के छात्र रह चुके हैं.

-एक छात्र के रूप में वह हर जगह गोल्डमेडलिस्ट रहे हैं और यह महज इत्तफाक नहीं है कि बतौर गवर्नर उन्हें जिन चुनौतियों का सामना करना है उसमें सोने के आयात को नियंत्रित करना भी शामिल है.

-रिजर्व बैंक से राजन का जुड़ाव इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि एक दशक बाद रिजर्व बैंक का गवर्नर कोई अर्थशास्त्री होगा. उनका कार्यकाल 3 वर्ष का है.

-उन्हें एक युवा गवर्नर के रूप में देखा जा रहा है, जो रिजर्व बैंक की कार्य संस्कृति में शामिल सरकारी तौर-तरीकों की जगह अधिक पेशेवर माहौल को तरजीह देंगे.

-जीवन के 50 बसंत पार कर चुके राजन की उम्र उनके पूर्ववर्ती गवर्नर डी. सुब्बाराव के मुकाबले 13 साल कम है.

प्रभावशाली नेतृत्व

रघुराम राजन शिकागो यूनिवर्सिटी के बूथ बिज़नेस स्कूल में प्रोफेसर भी रहे हैं.

आंध्रा बैंक में वरिष्ठ विदेश विनिमय के वरिष्ठ वितरक विकास बाबू चित्तूप्रोलू ने कहा, "रुपये की स्थिति राजन की पहली और प्रमुख चुनौती होगी."

2008 की वैश्विक मंदी के बारे में पहले से भविष्यवाणी करने वाले  रघुराम राजन ने कहा कि मुद्रा में स्थाइत्व लाने के सभी विकल्प खुले हुए हैं.

आर्थिक नीतियां बनाने वाले लोगों को उदार, खुले हुए और विविध विकल्पों से संपन्न नेतृत्व की जरूरत है, जो प्रयोगों और असफलताओं का सामना करने के लिए तैयार हो.

यह विचार उन्होंने पिछले महीने एक कॉलम में लिखा था.

आर्थिक चुनौतियां

वह ऐसे समय में रिजर्व बैंक के गवर्नर की कुर्सी संभाल रहे हैं जब देश की  अर्थव्यवस्था बुरे दौर से गुज़र रही है.

भारतीय रुपया कमज़ोर हो रहा है, चालू खाते का घाटा बढ़ रहा है और आर्थिक वृद्धि में गिरावट हो रही है.

भारतीय रुपये में अमरीकी डॉलर के मुकाबले मई से अब तक बीस प्रतिशत की गिरावट हो चुकी है और विकास दर दस सालों के न्यून्तम स्तर पर है.

विश्लेषकों का कहना है कि नए गर्वनर रघुराम राजन के लिए गिरते रुपये में गिरावट को रोकने का सबसे प्रमुख मुद्दा होगा.

बढ़ती महंगाई, आर्थिक विकास दर में गिरावट और ऊंची ब्याज दरें उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती है.

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