- सोतीगंज से पुलिस ने छापा मारकर बरामद किए गाडि़यों के इंजन

- पुलिस को जानकारी होने के बाद भी काटी जाती हैं यहां गाडि़यां

Meerut: प्रदेश में मंत्री जी की भैंस चोरी हो या फिर उनके घर से कार चोरी हो जाए। पुलिस सूचना पाते ही हरकत में आ जाती है। एक आम आदमी के घर में चोरी या डकैती हो जाए तो पुलिस पल्ला झाड़ती नजर आती है। तहरीर लेने में भी नखरे दिखाती है। शहर में भी कुछ ऐसा ही हो रहा है। सरकार के मंत्री के यहां से कार चोरी हो गई तो डीआईजी तक हरकत में आ गए। बरामदगी को लेकर पुलिस ने सोतीगंज में छापा मारा। शनिवार को पुलिस ने सोतीगंज में छापेमारी करके इंजन और बॉडी बरामद की।

यह थी छापेमारी

कुछ दिन पहले देहलीगेट एरिया से प्रदेश मंत्री शाहिद मंजूर के घर के सामने से एक कार चोरी हो गई थी। जिसकी तलाश में कप्तान और डीआईजी तक को खोजबीन करनी पड़ रही है। इसी कार की तलाश में सोतीगंज में मौजूद हाजी महताब की दुकान पर छापेमारी की गई। सदर थाना पुलिस मय फोर्स इस दुकान पर पहुंची और वहां गाडि़यों के इंजन व बॉडी जांचनी शुरू कर दी। इस दौरान इस दुकान के असली मालिक आफताब, अल्ताफ, असलम और अनस पुलिस के आने से पहले ही फरार हो गए।

लग्जरी गाडि़यों की बॉडी

पुलिस ने इस दुकान पर छापा मारकर एक लग्जरी कार का इंजन और दस बॉडीज बरामद कीं। सभी को गाडि़यों में लादकर थाने पहुंचाया गया। दुकान पर मौजूद लोगों से इन बॉडीज और इंजन के बारे में जानकारी मांगी तो कोई कुछ नहीं बता पाया। इसके चलते पुलिस ने इन सभी बॉडी और इंजन को चोरी की गाड़ी के पार्ट्स मानते हुए फरार चारों भाइयों पर मुकदमा कायम कर दिया। वहीं पुलिस अभी तक मंत्री जी की कार बरामद नहीं कर पाई, लेकिन यकीन है कि वह सोतीगंज में ही कटी होगी। इसके लिए ही यहां छापेमारी की गई थी। मगर हाथ कुछ और लगा।

रोज गाडि़यां कटती हैं

सोतीगंज गाड़ी काटने का बड़ा कमेला है। यह पुलिस और प्रशासन दोनों जानते हैं। शहर में रोज एक दर्जन से अधिक बाइकें चोरी होती हैं। आधा दर्जन से अधिक चार पहिया वाहन चोरी होते हैं। शहर में कटने वाली हर गाड़ी का पार्ट्स इस सोतीगंज में आता है। लोगों ने पब्लिक पैलेस में चोरी की गाडि़यां काटने के अड्डे बना लिए हैं। यहां गाड़ी काटते हैं और उनको सोतीगंज में बेचा जाता है। यह बात पुलिस ने कई बार स्वीकारी है और कई केस में भी खुलासा किया है।

तैनाती को हो चुकी है पंगेबाजी

पुलिस खुलासे करती है, जिसमें वाहन चोरों द्वारा गाडि़यों को यहां बेचने की बात स्वीकारी जाती है। साथ ही काटने के बाद भी यहीं माल बेचा जाता है। इसके बावजूद पुलिस कुछ नहीं करती। क्योंकि इस गाडि़यों के कमेले से पुलिस को खुलकर पैसा जाता है। जिसके लिए दो इंस्पेक्टर आपस में टकरा बैठे थे। एक तो थाना छोड़ने के लिए तैयार ही नहीं था। जिसने बामुश्किल से थाना तो छोड़ दिया, लेकिन तैनात किए गए इंस्पेक्टर को भी वहां से रफादफा करा दिया। जो भी इस सदर थाने में जाता है वह वहां से जाने की नहीं सोचता। जिसके लिए बड़ी से बड़ी सोर्स लगाने के लिए तैयार रहता है।