BAREILLY: रेलवे में लोको पायलट की भारी कमी, यात्रियों के सुरक्षित सफर पर खतरा बनकर मंडराने लगी है। क्योंकि रेलवे रिक्त पदों पर नियुक्तियां करने की बजाय लोको पायलट्स से एक्स्ट्रा ड्यूटी ले रहे हैं। ट्रेनों की लेटलतीफी और एक्स्ट्रा ड्यूटी के चलते लोको पायलट को नींद और थकावट से खतरा नजर आने लगा है। वह ट्रेनों का संचालन करने में खुद को सहज महसूस नहीं कर रहे हैं। यही कारण है कि एक समय सीमा तक काम करने के बाद लोको पायलट ट्रेनों को चलाने से साफ मना कर दे रहे हैं। कुछ दिन पहले ही एक्स्ट्रा ड्यूटी से परेशान होकर बिलपुर में लोको पायलट ने मालगाड़ी खड़ी कर दी थी।

 

700 लोको पायलट की कमी

नॉर्दर्न रेलवे मुरादाबाद डिवीजन में लोको पायलट के करीब 2300 पद हैं। लेकिन वर्तमान समय में 700 पद खाली पड़े हैं। पूरे डिवीजन में मात्र 1600 लोको पायलट हैं। जबकि, बरेली जंक्शन में 250 पद में से 189 लोको पायलट बचे हैं। जिनके भरोसे ट्रेनों का संचालन किया जा रहा है। वर्षो से खाली पड़े पदों पर एक भी भर्ती नहीं हुई हैं। सिर्फ 158 असिस्टेंट लोको पायलट को प्रमोट करके लोको पायलट बना दिया गया। लोको पायलट की भारी कमी के चलते ड्यूटी कर रहे लोगों को आराम करने का मौका ही नहीं मिल पाता है।

 

कराई जा रही एक्स्ट्रा ड्यूटी

जबकि, प्रत्येक ट्रेन में लोको पायलट के अलावा एक असिस्टेंट लोको पायलट और एक गार्ड होना आवश्यक हैं। लेकिन गार्ड और असिस्टेंट लोको पायलट तो दूर पर्याप्त संख्या में ट्रेन के संचालन के लिए लोको पायलट ही नहीं हैं। लिहाजा 8 घंटे की बजाय 14-15 घंटे की ड्यूटी कराई जा रही है। जिससे उनकी थकान नहीं मिट पा रही है। ट्रेन रनिंग के दौरान भी आलस्य बना रहता है साथ ही झपकी आती रहती है। नाम न छापने की शर्त पर एक लोको पायलट ने बताया कि 8 घंटे जब आराम का समय होता है, तो 2 घंटे पहले ही ड्यूटी के लिए कॉलिंग कर दी जाती है। उसे भी रेलवे आराम करना ही मानता है।

 

हेल्दी खाने की व्यवस्था नहीं

वहीं रनिंग रूम में भी कई जगहों पर हेल्दी खाने-पीने की चीजें उपलब्ध नहीं हैं। हरदुआ गंज में ही 2 रनिंग रूम बने हैं। लेकिन खाने की कोई व्यवस्था नहीं की गई है। लिहाजा, लोको पायलट बाहर का खाना खाने के लिए मजबूर होते हैं। या फिर कच्चा राशन साथ रखते हैं और रनिंग रूम में बनवा कर वहीं खाते हैं। रेलवे की इस लापरवाही से लोको पायलट को आराम करने का मौका ही नहीं मिल पा रहा है। थकान में चूर लोको पायलट ट्रेन चलाने को मजबूर हैं। ऐसे में ट्रेन रनिंग के दौरान ट्रैक फ्रैक्चर होने, मानव रहित फाटक, कोई ट्रेन रोकने का सिगनल को ध्यान न देने जैसी बातें हो सकती है।

 

कई बार जता चुके है विरोध

लोको पायलट के खाली पदों को भरने के लिए ऑल इंडिया लोको रनिंग स्टाफ एसोसिएशन के पदाधिकारी कई बार मांग कर चुके हैं। धरना प्रदर्शन भी किया। लेकिन रेलवे अधिकारियों पर इस बात का कोई असर नहीं हुआ।

 

एक नजर

- 2300 पद लोको पायलट के डिवीजन में हैं।

- 1600 पद पर लोको पायलट काम कर रहे हैं।

- 700 पद लोको पायलट के चल रहे खाली।

- 250 पद बरेली में हैं, 189 लोको पायलट कर रहे काम

 

 

क्या है नियम

- 8 घंटे ड्यूटी पर 8 घंटे की नींद जरूरी है।

- 36 घंटे के अंदर हेड क्वॉर्टर पर रिटर्न होना जरूरी।

- 72 घंटे में इमरजेंसी के दौरान ही हेड क्वॉर्टर रिटर्न होने का नियम।

- रनिंग रूम में हेल्दी खाने-पीने और सोने की व्यवस्था होनी चाहिए।

- हर ट्रेन में गार्ड और सहायक लोको पायलट होना आवश्यक।

 

यह हो रहा है

- 4 घंटे की ही नींद ले पा रहे हैं लोको पायलट।

- 8 घंटे की जगह 16-17 घंटे ली जा रही ड्यूटी।

- कई ट्रेनों में लोको पायलट को नहीं मिल रहे गा‌र्ड्स।

- 2 घंटे पहले ही आराम के टाइम कर दी जाती है कॉलिंग।

- कई जगह पर रनिंग रूम में सोने और खाने-पीने की व्यवस्था नहीं।

 

लोको पायलट की कमी को दूर करने का प्रयास किया जा रहा है। डिवीजन में 158 असिस्टेंट लोको पायलट को प्रमोट कर लोको पायलट बनाया गया है। इसके अलावा डायरेक्ट भर्ती की भी कवायद चल रही है।

शरद श्रीवास्तव, एडीआरएम, नॉर्दर्न रेलवे मुरादाबाद डिवीजन