- 20 रुपए का टिकट खरीदकर बना देते थे 500 का

- गिरोह के तीन शातिरों को लखनऊ जंक्शन से किया गिरफ्तार

LUCKNOW: टिकटों में टेंपरिंग कर उनका किराया, दूरी और धनराशि बदल कर रेलवे को करोड़ा का चूना लगाने वाले अंतरराज्यीय गिरोह को पूर्वोत्तर रेलवे की सीआईबी टीम ने पकड़ा। गिरोह के तीन शातिरों को उस समय पकड़ा जब ये लखनऊ जंक्शन पर टिकट बेच रहे थे। इनके पास से 45 जनरल टिकट और दूरी, किराया और धनराशि वाली 145 मोहरें बरामद की गई। ये लोग बड़ी आसानी से 20 रुपए का टिकट खरीदकर उसे 4 से 5 सौ रुपए का बना देते थे।

एक दिन में हजारों की कमाई

इंस्पेक्टर सीआईबी अशरफ सिद्दीकी ने बताया कि यह गिरोह पिछले दो तीन साल से इस धंधे में था। गिरोह में शामिल लोग रोजाना दो सौ से अधिक टिकटों पर टेंपरिंग करते और यात्रियों को कम दामों में बेचते। इससे वह रोजाना हजारों की कमाई करते थे। इससे जहां रेलवे का घाटा तो हो ही रहा था यात्रियों को पकड़े जाने पर भी इसका खामियाजा भुगतना पड़ता था। उन्होंने बताया कि जब से इन शातिरों का लखनऊ कनेक्शन सामने आया, तब से इन शातिरों की तलाश की जा रही थी।

लखनऊ जंक्शन से गिरफ्तारी

उन्होंने बताया कि बीते शुक्रवार को सूचना मिली की लखनऊ जंक्शन पर तीन लोग यात्रियों को कम दामों में टिकट बेच रहे हैं। सूचना मिलते ही सीआईबी के बीएन तिवारी, एके मिश्र, सतेंद्र प्रताप सिंह और वीरेंद्र सिंह वहां पहुचे और मुजफ्फरपुर केअजीजपुर निवासी निवासी संतोष कुमार, वीर बहादुर साहनी और उमेश साहनी को गिरफ्तार किया। जब इनसे पूछताछ की तो जब उन्होंने टेंपरिंग के तरीके के बारे में बताया।

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ऐसे करते थे काम

पकड़े गए शातिरों ने बताया कि वह स्टेशन बदल-बदल कर काम करते थे। लखनऊ में सबसे ज्यादा सेल होती है, इसलिए इसे प्राथमिकता देते थे। लखनऊ से जैतीपुर या हरौनी का टिकट खरीदते। इनकी कीमत 15 से 20 रुपए होती है। इसके बाद एक लकड़ी के गुटके पर टिकट को चिपका देते। जिस तरफ दूरी और किराया लिखा होता, उसे ऊपर रखते। इसके बाद ब्लेड से रगड़ कर उसमें अंकित सभी ब्योरा साफ करते। फिर टिकट पर मुहर के जरिए किराया, किलोमीटर और अन्य डिटेल अंकित कर कर देते।

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बस अड्डे पर भी बेचते थे टिकट

शातिरों ने बताया कि टिकट पर अंकित की जाने वाली डिटेल के लिए मुहरे पटना और मुजफ्फरपुर में ही बनवाई गई। सीआईबी के मुताबिक ये बीस रुपए के टिकट को 480 रुपए का बना देते थे। इंस्पेक्टर सीआईबी अशरफ सिद्दीकी के अनुसार तैयार किए गए फर्जी टिकटों को बेचने के लिए ये लोग बस अड्डे और रेलवे स्टेशन पर जाकर यात्रियों को सस्ते टिकट के नाम पर अपने जाल में फंसाते थे।