- फॉग से पहले सभी ट्रेंस में लग जाएगा डिवाइस, ट्रेन नहीं होगी लेट

- एनईआर वाराणसी डिवीजन के सभी 40 ट्रेन में लगा सिस्टम

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ठंड की आहट से पहले ही रेलवे ने ट्रेंस को धुंध से बचाने के लिए कमर कस ली है। कोहरे के चलते ट्रेन लेट होने पर पैसेंजर्स को घंटों इंतजार करना होता था। इस समस्या से निपटने के लिए एनईआर ने ट्रेन के इंजन में फॉग सेफ्टी डिवाइस लगाने की तैयारी कर ली है। इस डिवाइस की मदद से घने कोहरे में भी ट्रेन ड्राइवर को सिग्नल की सटीक जानकारी मिल सकेगी। जीपीएस तकनीक की मदद से मैप को ट्रैक करने, सिग्नल, स्टेशन व क्रॉसिंग की सटीक जानकारी मिल सकेगी। ऑफिसर्स का मानना है कि इससे ट्रेन की स्पीड को मेंटेन रखा जा सकेगा। साथ ही धुंध के चलते ट्रेन एक्सिडेंट पर भी लगाम लग जाएगा।

500 मीटर पहले करेगा अलर्ट

कोहरे के चलते अक्सर ट्रेन लेट हो जाती है। एक्सीडेंट की संभावना भी बनी रहती है। इसके चलते लोको पायलट धीरे-धीरे ट्रेन चलाने को मजबूर होते हैं। इतने के बाद भी जबरदस्त धुंध होने पर कई बार सिग्नल न दिख पाने के कारण दुर्घटनाएं हो जाती हैं। इनको रोकने के लिए इस बार जीपीएस आधारित एक ऐसी डिवाइस का इस्तेमाल रेलवे करने जा रहा है जिसके माध्यम से लोको पायलट को 500 मीटर पहले यह पता चल जाएगा कि कितनी दूरी पर सिग्नल है। इससे वह ट्रेन की स्पीड को समय रहते कंट्रोल कर पाएगा।

एक डिवाइस 36 हजार रुपये में

ट्रेन में लगने वाले इस एक डिवाइस की कीमत 36,000 रुपए है। एनईआर की सभी ट्रेन में यह डिवाइस लगाई जाएगी। यह डिवाइस इंजन में फिक्स्ड नहीं होगी, बल्कि जब लोको पायलट ड्यूटी पर पहुंचेगा तो वह बॉक्सनुमा इस डिवाइस को अपने साथ ले जाएगा व इंजन में रख देगा। ट्रेन के डेस्टिनेशन पर पहुंचते ही लोको पायलट डिवाइस को संबंधित स्टेशन पर जमा करा देगा।

इसरो के साथ मिलाया हाथ

ट्रेंस के पल-पल की जानकारी अवेलेबल कराने के लिए दिसंबर 2018 तक सभी इंजनों पर जीपीएस लगाने की प्लानिंग है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के साथ मिलकर रेल मंत्रालय ने रियल-टाइम ट्रेन इंफॉर्मेशन सिस्टम (आरटीआईएस) को एडॉप्ट किया है। इसके तहत इंजनों पर जीपीएस/गगन (जीपीएस एडेड जियो संवर्धित नेविगेशन सिस्टम) इक्वीपमेंट लगाए जाएंगे। फ‌र्स्ट फेज में आरटीआईएस प्रोजेक्ट के तहत इलेक्ट्रिक इंजनों पर जीपीएस लगाए जाएंगे।

डिटोनेटर का प्रयोग

रेल इंजन में फॉग सेफ्टी डिवाइस लगाने के साथ-साथ डिपार्टमेंट उन एरिया को डिटेक्ट करता है, जहां धुंध के चलते विजिबिलिटी जीरो रहती है। ऐसे क्षेत्रों में से गुजरने वाली ट्रेंस में लोको पायलट को सिग्नल की जानकारी देने के लिए डिटोनेटर का इस्तेमाल किया जाएगा। बता दें कि डिटोनेटर ऐसी डिवाइस है जो ट्रैक पर व्हील के चलने से विस्फोट जैसी तेज आवाज पैदा करेगा, जिससे लोको पायलट को पता चल पाएगा कि कुछ ही समय में स्टेशन आने वाला है। यह डिवाइस सिर्फ उन क्षेत्रों में लगाई जाएगी जहां धुंध बहुत अधिक होगी। इसमें कैंट स्टेशन से नई दिल्ली का रूट भी शामिल है।

पटाखा से करते थे अलर्ट

कोहरे के दौरान रेलवे अब तक सिग्नल से पहले पटाखा का प्रयोग करता रहा है। यह इसलिए कि घना कोहरा होने पर लोको पायलट अलर्ट हो जाए। इस बीच सिग्नल न दिखाई देने पर रेलकर्मी 500 मीटर पहले रेललाइन पर पटाखा जलाते हैं, जिससे लोको पायलट को पता चल जाए कि आगे कोई खतरा है अथवा सिग्नल आने वाला है। इस पटाखे की आवाज के साथ ही लोको पायलट ट्रेन स्पीड को धीमा कर लेता है।

डिवीजन की सभी 40 ट्रेंस में यह डिवाइस का इस्तेमाल किया जाएगा। इसका पूरा इंतजाम कर लिया गया है।

अशोक कुमार, पीआरओ

एनईआर, वाराणसी डिवीजन