-रेलवे स्टेशन कैंपस में टारगेट पूरा करने का खेल हुआ खत्म, आरपीएफ को नहीं मिलेगा कोई लक्ष्य

-हेड क्वार्टर ने जवानों का प्रेशर किया कम, बेकसूरों को नहीं होगी परेशानी

VARANASI

स्टेशन कैंपस में अब बेकसूर लोगों को आरपीएफ परेशान नहीं करेगी। डीजी, रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) ने आदेश जारी कर लक्ष्यपूर्ति की उस व्यवस्था को समाप्त कर दिया है, जिसमें बेकसूर लोगों को जेल भेज दिया जाता है। डेली तय टारगेट के मुताबिक मामले दर्ज करने का प्रेशर आरपीएफ जवानों पर होता था। जिसकी वजह से पोस्ट प्रभारी सभी आईओ को निर्धारित संख्या में मुकदमे दर्ज कर लोंगो को गिरफ्तार करने का टारगेट हर दिन का दे देते हैं। पर अब ऐसा नहीं होगा। उन्हें बेकसूर लोगों को पकड़ने का कोई टारगेट नहीं दिया जाएगा। यह ऑर्डर कैंट रेलवे स्टेशन स्थित पोस्ट को भी मिल गया है।

एक से छह महीने की जेल

लगभग डेली कैंपस में अनाधिकृत एंट्री करने वालों के नजर न आने पर बेकसूर लोगों को पकड़ कर रिपोर्ट दर्ज कर ली जाती है। झूठे मुकदमों में फंसाकर न जाने कितने बेकसूरों को सलाखों के पीछे डालने का कुचक्र चलता है। खासतौर पर आसपास के जिलों सहित बिहार आदि से रोजगार की तलाश में आए अशिक्षित लोगों को निशाना बनाया जाता है। रेलवे एक्ट की धारा 147 (अनाधिकृत प्रवेश) में 500 रुपये फाइन या फिर एक महीने की सजा का प्रावधान है। अधिकतर लोग कुछ दिन जेल में रहकर फाइन जमाकर एक महीने की सजा से बच जाते हैं। इसी प्रकार रेलवे एक्ट 144 में दो हजार रुपये फाइन, छह महीने की कैद या दोनों सजा का प्रावधान है। इसके चक्कर में केवल पकड़े जाने वाले ही नहीं बल्कि डिपार्टमेंट के लोग भी परेशान होते हैं।

रिव्यू के बाद डिसीजन

लगभग आठ महीने तक रेलवे एक्ट के दर्ज मुकदमों का रिव्यू करने के बाद यह डिसीजन लिया गया है। इसके बाद डीजी, आरपीएफ अरुण कुमार की ओर से आदेश जारी कर दिया गया है। इसमें साफ लिखा गया है कि गिरफ्तारी के लिए कोई टारगेट नहीं रहेगा। साथ ही कहा गया है जो मामले कोर्ट में लंबित हैं उनको जल्द से जल्द निबटाया जाए। कुल मिलाकर डिपार्टमेंट में टारगेट सिस्टम को खत्म कर दिया गया है। तर्क है कि इससे जहां टारगेट के चक्कर में आरपीएफ के जवान बेकसूरों के खिलाफ कार्रवाई नहीं करेंगे तो वो टारगेट के प्रेशर में नहीं रहेंगे।